Vijay Diwas : यह है 'शहीदों की बटालियन', 1971 की जंग में अकेले शेखावाटी के 168 वीरों ने दी थी शहादत
विजय दिवस : 1971 में सबसे बड़ा बलिदान देने वाले झुंझुनूं के वीरेंद्र सिंह शेखावत ने तैयार की 'शहीदों की बटालियन'
झुंझुनूं। आज पूरे देश में विजय दिवस ( Vijay Diwas ) मनाया जा रहा है। 49 साल पहले का वो दिन याद किया जा रहा है जिस दिन भारत के बहादुर सैनिकों के सामने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने सरेंडर कर दिया था। उसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लदेश के रूप में नए देश का जन्म हुआ।
1971 की जंग में झुंझुनूं के 108 वीर शहीद
साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुई जंग में सबसे बड़ा बलिदान राजस्थान के शेखावाटी अंचल ने दिया है। अकेले झुंझुनूं के 108 वीरों ने शहादत दी थी। विजय दिवस 2020 के मौके जानिए झुंझुनूं के ही एक ऐसी शख्स के बारे में जो शहीदों की बटालियन तैयार कर रहे हैं। नाम वीरेंद्र सिंह शेखावत।
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वीरेंद्र सिंह शेखावत के घर 'शहीदों की फौज'
दरअसल, वीरेंद्र सिंह शेखावत मूर्तिकार हैं। इन्हें शहीद प्रतिमाएं बनाने में महारत हासिल है। इस बात का सबूत है राजस्थान के गांव-गांव में लगी शहीद प्रतिमाएं। ये प्रतिमाओं वीरेंद्र सिंह के हाथों बनी हैं। वर्तमान में इनके घर पर शहीदों की 450 प्रतिमाएं बनकर तैयार खड़ी हैं, जो 'शहीदों की बटालियन' सी नजर आती हैं।
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कौन हैं शहीदों की प्रतिमा बनाने वाले वीरेंद्र सिंह
मूतिकार वीरेंद्र सिंह शेखावत मूलरूप से पिलानी पंचायत समिति के गांव खुडानिया के रहने वाले हैं। यह गांव झुंझुनूं जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। 73 को जन्मे वीरेंद्र सिंह पिछले 35 साल से प्रतिमाएं बना रहे हैं। जब ये तीसरी कक्षा में थे तब इन्हें स्कैच बनाने का ऐसा शौक लगा था, जो अब तस्वीरें देखकर उसे प्रतिमा के रूप में मूर्त रूप देने में बदल गया।
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कौन बनवा रहा है शहीदों की प्रतिमाएं
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में झुंझुनूं के मूर्तिकार वीरेंद्र सिंह शेखावत बताते हैं कि राजस्थान सरकार में सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे प्रेम सिंह बाजोर ये प्रतिमाएं बनवाकर शहीदोंं के गांव में निशुल्क लगवा रहे हैं। अब तीन सौ शहीद प्रतिमाएं बनाकर लगवाई जा चुकी है। छह सौ और बननी हैं जबकि 450 बनकर तैयार खड़ी हैं।
पूरा परिवार लगा शहीद प्रतिमाएं बनाने में
वीरेंद्र सिंह शेखावत अकेले नहीं बल्कि इनका पूरा परिवार शहीद प्रतिमाएं बनाने में जुटा है। बीएड डिग्रीधारी बेटी रीतु कंवर, बेटा दीपेंद्र सिंह शेखावत और पत्नी मंजू कंवर भी काम में वीरेंद्र सिंह का सहयोग करते हैं। इनके अलावा 10-15 कारिगर भी लगा रखे हैं।
भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 का इतिहास
बता दें कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 में हुआ यह युद्ध 13 दिन चला था। इसमें भारत के 3900 सैनिक शहीद हुए थे, जिनमें शेखावाटी अंचल के 168 शहीदों में झुंझुनूं के 108, सीकर के 48 और चूरू के 12 जवान शामिल थे। भारतीय फौज के सामने पाकिस्तानी सेना के समर्पण की तस्वीर को भी वीरेंद्र सिंह शेखावत ने प्रतिमा का रूप दिया है, जो इन दिनों गांव दोरासर स्थित शौर्य उद्यान में लगी हुई है।
1971 की जंग में शहीद थे दो भाई
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई लड़ाई में झुंझुनूं जिले के गांव जाबासर के दो भाइयों ने भी शहादत दी थी। सेना से रिटायर सैनिक करीम खान के दो बेटे ग्रेनेडियर उम्मीद अली खान और राज राइफल्स के जवान हाकम अली शहीद हुए थे। उम्मेद अली खान राजोरी में और हाकम अली शक्करगढ़ में वीरगति को प्राप्त हुए थे।
1948 से 1999 तक के शहीद
वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि फिलहाल वे जो शहीद प्रतिमाएं बना रहे हैं उनमें 1948 से लेकर 1999 तक शहीद हुए फौजी शामिल हैं। एक शहीद प्रतिमा बनाने में महीनाभर का समय और डेढ़ लाख रुपया खर्च होता है। अब राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी शहीद प्रतिमा बनाने की डिमांड आ रही है।