सीकर में 1 KM लंबी सुरंग बनाकर निकालेंगे 10 हजार टन यूरेनियम, 3 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
राजस्थान: बाड़मेर में 48 सौ खरब लीटर पानी और सीकर में मिला 10 हजार टन यूरेनियम का भंडार
सीकर। राजस्थान के बाड़मेर जिले के माडपुरा बरवाला क्षेत्र की जमीन में 48 सौ खरब लीटर पानी मिलने के बाद अब सीकर जिले से भी खुशखबरी है। सीकर जिले के खंडेला उपखंड के गांव रॉयल व सुहागपुरा और इनके आप-पास के इलाके में 10 हजार टन यूरेनियम का भंडार मिलने की पुष्टि हुई है। अकेले रायल गांव की 23 हेक्टेयर जमीन में इतना यूरेनियम पाया गया है जिसकी खुदाई करके निकालने में ही कम से कम 20 साल लग जाएंगे।
सीकर जिले की जमीन में 400 फीट नीचे है यूरेनियम
सीकर-झुंझुनूं की सीमा से लगते इन गांवों में 22 साल के सर्वे के अच्छे परिणाम सामने आने पर अब यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने यहां से यूरेनियम निकालने की तैयारियां शुरू कर दी है। जमीन में 400 फीट नीचे मौजूद यूरेनियम की खुदाई के लिए 22 करोड़ की लागत से एक किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई है। सीकर जिले में यूरेनियम निकालने का यह प्रोजेक्ट राजस्थान का पहला और देश का तीसरा प्रोजेक्ट होगा।
डीपीआर बनाने में लगेगा एक साल
खंडेला उपंखड के गांव सुहागपुरा और रॉयल की जमीन में यूरेनियम चट्टानों के बीच में धार के रूप में मौजूद है। यहां पर यूरेनियम की खुदाई शुरू होने से तीन हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की टीम ने खंडेला में प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है। डीपीआर बनने में लगभग एक साल का समय लगेगा। तब तक खुदाई के लिए सुरंग का काम पूरा होने की संभावना है। डीपीआर स्वीकृति के बाद यहां से यूरेनियम खुदाई का काम शुरू होगा।
शेखावाटी में यहां भी मौजूद है यूरेनियम
मीडिया से बातचीत में यूसीआइएल के माइंस मैनेजर हेमन्त कुमार मण्डा बताते हैं कि खंडेला के सुहागपुरा और रॉयल से यूरेनियम निकालने के लिए आधुनिक तकनीक से युक्त एक किलोमीटर लंबी सुरंग तैयार की जा रही है। इन दो गांवों के अलावा शेखावाटी के गांव जहाज, नृसिंहपुरी और नीमकाथाना के भी तीन गांव शामिल हैं।
1998 में पता चला यूरेनियम का
बता दें कि शेखावाटी का यह इलाका अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां प्रचूर मात्रा में खनिज मौजूद है। इसी क्षेत्र में तांबा निकालने के लिए कई दशक पूर्व खेतड़ी में हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड का प्लांट लगाया गया, जो फिलहाल बंद पड़ा है। वर्ष 1998 में खंडेला के रॉयल गांव में यूरेनियम होने की उम्मीद जगी।
2005 में यूरेनियम मौजूद होने की पुष्टि
वर्ष 1999 में सर्व शुरू किया गया। वर्ष 2005 में यूरेनियम मौजूद होने की पुष्टि हुई। वर्ष 2016 में यहां यूरेनियम निकालने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया गया। वर्तमान में यहां 6 मीटर चौड़ी और एक किमी लंबी सुरंग बनाने का कार्य प्रगति पर है।