Rajasthan : लेह से भीलवाड़ा पहुंचे एक ही परिवार के 9 शव, रो पड़ा पूरा पालड़ी और लांबिया गांव, VIDEO
भीलवाड़ा। जम्मू कश्मीर के लेह में सड़क हादसे में मारे गए राजस्थान के 9 लोगों के शव मंगलवार सुबह उनके पैतृक गांव पहुंचे। लेह से विशेष विमान के जरिए शव दिल्ली लाए गए और फिर यहां से ट्रक से शवों को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पालड़ी व लांबिया गांव पहुंचाया गया है। सभी मृतक एक ही परिवार के रहने वाले थे। बागरिया समाज के विधि विधान में अनुरूप इनका एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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टूट चुकी थी अंतिम दर्शनों की उम्मीद
जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में शनिवार को ट्रक के खाई में गिरने से भीलवाड़ा के पप्पू (40), उसकी पत्नी प्रेमदेवी (35), पुत्र एक माह के रामस्वरूप, घनश्याम (12) व नंदा (8) तथा पुत्री आशा (5) व पायल (3) तथा पप्पू की बहन नंदूदेवी (25) व नंदू के पुत्र तुलसीराम (2) की मौके पर ही मौत हो गई थी। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने एवं लेह का रास्ता कठिन होने से शवों के भीलवाड़ा लाने और मृतकों के अंतिम दर्शन की उम्मीद परिजनों की टूट चुकी थी।
प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पालड़ी पहुंचे
मामले को राज्य सरकार द्वारा गम्भीर से लिये जाने के बाद मृतकों के परिजनों में एक उम्मीद बंधी और मंगलवार सुबह मृतक पप्पू का भाई महावीर व अन्य चार रिश्तेदार दिल्ली से ट्रक में शवोंं को लेकर रवाना हुए।शवों के पालड़ी पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया। मौके पर प्रभारी मंत्री अर्जुन बामनियाग, सीओ ग्रामीण, सदर व सुभाषनगर थाना प्रभारी और आरएससी का जाब्ते के साथ ही कुछ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे है।
आर्थिक मदद भी की जाएगी
अजीत सिंह ने बताया कि लेह से विशेष विमान से दिल्ली लाए और फिर राज्य सरकार की ओर से गठित तीन टीमें इनके शव गांव लेकर आई है। सात शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया है। शेष दो का दूसरे गांव में अंतिम संस्कार हुआ है। राज्य सरकार की ओर से नियमानुसार मृतकों के आश्रितों की आर्थिक मदद भी की जाएगी।
झाड़ू बेचने गए थे लेह
यह परिवार खजूर के पत्तों से झाड़ू बनाने का काम करता है। झाड़ू बेचने के लिए ही लेह गया था, जहां रास्ते में हादसे का शिकार हो गया है। 9 मृतकों में से एक शादीशुदा बहन व उसका बेटा शामिल था। उन दोनों का अंतिम संस्कार गांव लांबिया में किया गया। लांबिया और पालड़ी गांव में सोमवार व मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहा। घरों में चूल्हे तक नहीं जले।