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वो 'शीशा' तोड़ा गया जिससे ख़िलजी ने किया था पद्मावती का दीदार

चित्तौड़ के किले में लगा था शीशा. ख़िलजी और पद्मावती से जोड़कर देखा जाता था.

By नारायण बारेठ - बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
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पद्मावती महल का टूटा हुआ शीशा
Narayan Bareth
पद्मावती महल का टूटा हुआ शीशा

निर्देशक संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावती' पर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.

एक राजपूत संगठन से जुड़े लोगों ने कथित रूप से चित्तौड़गढ़ किले में बने पद्मिनी महल में लगे शीशे तोड़ दिए हैं.

कहा जाता है कि अलाउद्दीन ख़िलजी को रानी पद्मावती की झलक इसी शीशे में दिखाई गई थी.

कौन है 'पद्मावती' का विरोध कर रही करणी सेना?

किले की पुलिस चौकी के प्रभारी भूर सिंह ने बीबीसी से कहा कि घटना के ज़िम्मेदार लोगों का पता लगाया जा रहा है.

शीशा हटाने की मांग की थी कर नी सेना ने

पद्मावती महल के टूटे हुए शीशा का टुकड़े
Narayan Bareth
पद्मावती महल के टूटे हुए शीशा का टुकड़े

भूर सिंह ने कहा, "अभी अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. अभी कोई नाम सामने नही आया है. पुरातत्व महकमे को सूचना दे दी गई है."

शीशा के टूटे होने की जानकारी कुछ पर्यटकों ने पुलिस को दी.

करनी सेना का दावा है कि उसने दो हफ़्ते पहले ही पद्मिनी महल में लगे कांच हटाने और वहां पत्थरों पर लिखी सूचना हटाने की मांग की थी.

नज़रिया: क्या इतिहास में कोई पद्मावती थी भी?

फ़िल्म पद्मावती के सेट पर संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट

चित्तौड़ में पुरातत्व विभाग के प्रभारी प्रेमचन्द ने घटना की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि मामले की जाँच की जा रही है.

बीते 27 जनवरी को जयपुर में फ़िल्म 'पद्मावती' की शूटिंग कर रहे संजय लीला भंसाली और उनकी टीम के साथ करनी सेना के सदस्यों ने कथित रूप से बदसलूकी और सेट पर तोड़फोड़ की.

'शीशे को ग़लत रूप से पेश किया जाता रहा है'

राजस्थान पुलिस
Narayan Bareth
राजस्थान पुलिस

इसके बाद फ़िल्म निर्माता ने शूटिंग रोक दी और अपनी टीम के साथ जयपुर से चले गए. बाद में कई दौर की बातचीत के बाद दोनों पक्षो में सुलह होने का दावा किया गया था.

दुर्ग में कलिका माता मंदिर के निकट एक तालाब में बने महल को पद्मिनी महल कहा जाता है. इसके गोलाकार कक्ष में कांच लगे हैं. राजपूत समाज इस पर आपत्ति करता रहा है.

करनी सेना का कहना है कि इस शीशे को ग़लत रूप से पेश किया जाता रहा है.

करनी सेना के चित्तौड़ ज़िला अध्यक्ष गोविन्द सिंह का कहना है कि शीशे में पद्मावती की झलक अलाउद्दीन ख़िलजी को दिखाने जैसी कोई घटना नहीं हुई.

गोविंद सिंह ने बीबीसी से कहा, "अलाउद्दीन ख़िलजी के समय कांच का अविष्कार ही नहीं हुआ था. यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है. राजपूत क्या, पूरा हिंदू समाज इससे नाराज़ है. हमने सरकार को ज्ञापन दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.''

क्या शीशे को तोड़ने के पीछे करनी सेना का हाथ है ?

इसी जगह शीशा लगा हुआ था.
Narayan Bareth
इसी जगह शीशा लगा हुआ था.

इस सवाल के जवाब में गोविंद सिंह कहते हैं, "यह जन आक्रोश का नतीजा है. कौन इसमें शामिल था, कौन नहीं, यह गौण है."

उन्होंने मांग की कि चित्तौड़ किले में लगे हर उस सामान को हटाया जाए जो इतिहास को ग़लत ढंग से पेश करता है.

स्थानीय इतिहासकार प्रोफेसर देव कोठारी कहते हैं कि पद्मिनी महल कब बना, यह कहना मुश्किल है. पर यह अलाउद्दीन ख़िलजी के दौर में तो नही था.

वे यह भी कहते हैं कि कांच में परछाई देखने की बात कोई प्रमाण नही है।

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English summary
Karni Sena vandalises Chittorgarh Fort breaks mirrors in the palace
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