हिन्दुस्तान से गद्दारी: PAK जासूस निकला जैसलमेर का नवाब खां, ISI को भेज रहा था आर्मी की ये गुप्त सूचनाएं
Jaisalmer News जैसलमेर। हिन्दुस्तान में पैदा हुआ। यहीं की सरजमीं पर पला-बढ़ा, मगर दुश्मन देश पाकिस्तान का वफादार बन गया और अपने ही वतन से गद्दारी कर बैठा। पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के इशारों पर काम करके भारत की सुरक्षा से खिलवाड़ करने लगा।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर के सम इलाके की गंगा बस्ती निवासी 36 वर्षीय नवाब खां की। रविवार को सुरक्षा एजेंसियों की विशेष टीम नवाब खान को आईएसआई के लिए काम करने के संदेह में पकड़कर जयपुर ले गई थी। जयपुर में नवाब खान से पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे हुए हैं।
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वाट्सएप से शेयर करता था सूचनाएं
ADG इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा के अनुसार नवाब खां उर्फ नबिया पाकिस्तान के लिए जासूसी करने में लिप्त पाए जाने पर मंगलवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी नवाब खां से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में सामने आया कि वह बेहद शातिर तरीके से कोड भाषा में गोपनीय सूचनाएं अपने मोबाइल में व्हाट्सएप मैसेज और वॉइस कॉल का उपयोग कर भेजता था।
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सूचनाओं के बदले मिलता था धन
बता
दें
कि
जैसलमेर
(Jaisalmer)
सीमावर्ती
इलाका
है।
भारत-पाकिस्तान
बॉर्डर
पर
स्थित
है।
इसलिए
पाकिस्तान
की
खुफिया
एजेंसी
नवाब
से
भारतीय
सेना
से
जुड़ी
सूचना
मंगवाती
थी।
इसके
लिए
बाकायदा
समय
तय
किया
जाता
और
फिर
सूचनाओं
के
बदले
नवाब
को
धनराशि
भी
मिलती।
सूचना
प्राप्त
करने
के
बाद
पाक
एजेंसी
नवाब
(Nawab
Khan)
को
अग्रिम
टास्क
भी
बता
देती
थी,
ताकि
वो
उसकी
तैयारियों
में
जुट
जाता
था।
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Nawab Khan पिछले साल जाकर आया पाकिस्तान
सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में यह भी सामने आया कि नवाब खां पिछले साल अपने माता-पिता के साथ पाकिस्तान की कथित धार्मिक यात्रा पर गया था। उसके पिताजी के दूर के रिश्तेदार द्वारा एक होटल में खुफिया एजेंसी के ऑफिसर से नवाब की मुलाकात करवाई। उसने नवाब को सामरिक महत्व की सूचनाएं बॉर्डर पार भेजने की पेशकश की।
22 दिन रुका पाकिस्तान
नवाब
अपने
माता-पिता
के
साथ
पाकिस्तान
में
22
दिन
रुका।
इसी
दौरान
पाकिस्तान
की
खुफिया
एजेंसी
आईएसआई
के
एजेंट
ने
उसे
भारतीय
सेना
की
गतिविधियों
से
जुड़ी
सूचनाएं
भेजने
का
तरीका
बताया
और
मोबाइल
नम्बर
का
आदान-प्रदान
किया।
पाकिस्तान
से
लौटने
के
बाद
नवाब
सफारी
गाड़ी
चलाने
का
काम
करने
लगा
और
साथ-साथ
सामरिक
महत्व
की
सूचनाएं
जुटाकर
पाकिस्तान
भी
भेजना
शुरू
कर
दिया।
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कोड भाषा का इस्तेमाल करता
बता दें कि जैसलमेर के सम के धोरे विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां दुनियाभर के लाखों पर्यटक घूमने आते हैं। सम के धोरों में सफारी का भी आनंद लेते हैं। पर्यटकों को अपनी गाड़ी से सफारी करवाने के दौरान अगर नवाब को पाकिस्तान से सूचनाओं का आदान प्रदान करना होता था तो वह कोड भाषा का इस्तेमाल करता था ताकि किसी को शक नहीं हो।
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इसलिए हुआ नवाब पर शक
14 फरवरी को पुलवामा हमला और 26 फरवरी को एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान क बीच तनावपूर्ण माहौल के बीच सीमावर्ती इलाके जैसलमेर में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। भारतीय सेना के साथ सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई थी। हर छोटी-बड़ी संदिग्ध गतिविधियों को अधिक गंभीरता से लिया जा रहा था। इसी दौरान सुरक्षा एजेंसियों को नवाब खान की गतिविधियां संदिग्ध लगी।
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सफारी ग्राहक बनकर पहुंची टीम
रविवार को जयपुर से सुरक्षा एजेंसियों की विशेष टीम सफारी ग्राहक बनकर नवाब के गंगा बस्ती स्थित घर पहुंची। सफारी के लिए उसकी गाड़ी किराए पर की और फिर घूमते हुए जैसलमेर ले आए। यहां पर टीम के सदस्यों ने अपना मोबाइल फोन सम में ही भूल जाने की बात कही और नवाब के किसी परिचित को मोबाइल लेकर जैसलमेर बुलाया, जहां उसे नवाब की गाड़ी सौंप दी और फिर टीम नवाब को लेकर जयपुर आ गए।