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रेतीले धोरों के बीच 400 साल से लोगों की प्यास बुझा रहा 'तालाब', देवर के ताने पर भाभी के पिता ने बनवाया था

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जैसलमेर, जुलाई 30: बताया जाता हैं कि विदेशी पर्यटक भारत आकर अपनी यात्रा की शुरुआत राजस्थान से करना पसंद करते हैं। इसके पीछे का कारण राजस्थान का रेगिस्तान, गौरवशाली इतिहास और यहां के राजाओं के समय के बने ऊंचे-ऊंचे किले, लेकिन इन सब के बीच पर्यटकों को राजस्थान की एक और चीज जो सबसे ज्यादा लुभाती हैं और वो ही यहां की संस्कृति, जिससे रूबरू होने के लिए देश के अलावा विदेशों के भी लाखों पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। इन सब चीजों के बीच आपको रेगिस्तान के बीच एक ऐसे तालाब के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको लेकर वहां के लोगों का दावा है कि वो 400 सालों से कभी नहीं सूखा।

400 सालों से एक बार भी नहीं सूखा तालाब

400 सालों से एक बार भी नहीं सूखा तालाब

जी हां, सुनकर आप भी थोड़ा हैरान हो गए होंगे, कि जिस रेगिस्तान में पानी की इतनी किल्लत है कि लोगों को पीने के पानी के लिए मीलों दूर चलकर एक घड़ा पानी मयस्सर होता है, वहां कोई तालाब पिछले 400 सालों से लोगों के कंठ तर कर रहा है। इस तालाब के पीछे की कहानी भी काफी रोचक है। बताया जाता है कि जैसलमेर जिले के डेढ़ा गांव में आज से 400 साल पहले एक देवर के उलाहने (ताना) पर भाभी के पिता ने इस चमत्कारी तालाब की नींव रखी थी। साथ ही यहां के लोगों का यह भी दावा है कि जब से यह तालाब यहां खुदा है, जब से लेकर आजतक एक बार भी नहीं सूखा।

जैसलमेर के डेढ़ा गांव में चमत्कारी तालाब!

जैसलमेर के डेढ़ा गांव में चमत्कारी तालाब!

जैसलमेर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर कुलधरा खाभा रोड पर डेढ़ा गांव इस ऐतिहासिक तालाब का गवाह बना हुआ है। इस तालाब को पालीवाल संस्कृति का भी प्रतीक माना जाता है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में कई दफा तो 3 से 4 साल तक पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी, लेकिन इसके बावजूद भी तालाब का पानी बरकरार रहा। बताया जाता है कि आज भी यहां से दर्जनों गांवों के लिए बड़ी संख्या में पानी टैंकर में भरकर सप्लाई किया जाता है।

देवर के ताने पर भाभी के पिता ने बनवाया तालाब

देवर के ताने पर भाभी के पिता ने बनवाया तालाब

वहीं इस कभी ना सूखने वाले तालाब से एक किवदंती जुड़ी हुई हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक गांव करीब 4 सौ साल पहले पालीवाल संस्कृति का एक हिस्सा था। उस दौरान पास के ही गांव जाजिया में पालीवाल जाति के एक धनी व्यक्ति की बेटी जसबाई की शादी डेढा गांव में की गई थी। उस दौरान गांव के लोगों को पानी भरने के लिए पनघट पर जाना पड़ता था। एक दिन जसबाई भी घड़ा लेकर पानी भरने कुएं पर गई, लेकिन वहां पहले से मौजूद एक पशुपालक अपने जानवरों को पानी पिला रहा था, जिसकी वजह पानी भरने में जसबाई को काफी देरी हो गई और फिर पानी भरकर गुस्से में वो मटका लेकर घर की तरफ चल रही थी। इस दौरान रास्ते में उसे उसका देवर मिला और उसने देवर को अपनी आपबीती सुनाई, जिसके बाद देवर ने उसे ताना मारते हुए कहा कि अगर तुम्हें ज्यादा जल्दी है घड़ा भरने की तो अपने पिता को कह दो, कि तुम्हारे लिए नया तालाब खुदवा दें। देवर के इस ताने से आहत जसबाई ने अपने पिता को संदेश भिजवा दिया, जिसके बाद उसके पिता ने मजदूरों को लेकर डेढ़ा गांव तालाब खुदवाने पहुंचे और तालाब का निर्माण करवाया।

आज तक कभी नहीं सूखा तालाब

आज तक कभी नहीं सूखा तालाब

दावा किया जाता है कि तालाब के निर्माण के दौरान उसमें पीतल की चादर की परत भी लगवाई थी, जिससे पानी उसमें बरकरार रहे। वहीं स्थानीय लोगों की माने तो जैसे ही तालाब खुदकर तैयार हुआ तो उसी रात बारिश हुई और तालाब लबालब हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब से लेकर आज तक तालाब कभी नहीं सूखा। गांव के लोग इसे तालाब को चमत्कारी तालाब मानते हैं। दूसरी तरह यह तालाब वैज्ञानिकों के लिए भी रिसर्च का विषय है कि आखिर कैसे इतने सालों से ये तालाब पानी से भरा हुआ कैसे है। बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक तालाब की तस्वीर दिल्ली के विज्ञान भवन में लगी हुई है।

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English summary
Interesting story of 400 years old pond of Jaisalmer
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