8 दिन बाद घर पहुंचा कोरोना योद्धा, बाहर बाइक पर बैठकर खाना खाकर अस्पताल लौटा
धौलपुर। धौलपुर जिले के चिकित्सा विभाग का एक ऐसा कोरोना योद्धा चिकित्साकर्मी जो पिछले आठ दिन से अपने घर नहीं पहुंचा। कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में जुटा रहा। सप्ताहभर बाद परिजन और बच्चों की याद आने पर जब यह यह कोरोना योद्धा घर पहुंचा तो माहौल बड़ा भावुक और गमगीन हो गया।
पत्नी टिफिन लेकर दरवाजे पर आई
इसने बाहर से ही बच्चों को आवाज लगाई। पत्नी बच्ची को गोद में लिए टिफिन में खाना लेकर पहुंची। चिकित्साकर्मी ने घर के बाहर बाइक पर बैठकर ही खाना खाया। जब पिता घर नहीं घुसे तो मासूम बोल पड़ी। 'पापा आप पहले जैसे नहीं रहे', 'आप घर क्यों नहीं आते हो' ये शब्द ही काफी थे इस कोरोना योद्धा पिता की आंखें नम करने को।
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राजकीय अस्पताल धौलपुर में कार्यरत
दरअसल, धौलपुर के राजकीय सामान्य चिकित्सालय के कोरोना वार्ड में संदिग्धों की देखभाल में जुटे नर्सिंग ऑफिसर जगदीश सिंह मान पिछले 8 दिन से घर नहीं गए। गुरुवार को जब बच्चों की बहुत याद आई तो देखने पहुंचे। इस दौरान घर के दरवाजे पर पत्नी खाना लेकर आई तो बाइक पर बैठे-बैठे ही खाना खाया और लौट आए।
मासूस बेटी की पिता से शिकायत
इस दौरान 3 साल की बेटी गोद में आने के लिए मचलने लगी। लेकिन अपने कर्तव्यों के बंधन में बंधे और कोरोना संक्रमण फैलने से अपनों को बचाने के लिए पिता ने अपनी बेटी को देखा और बाद में घर जाने को कहा। इस दौरान रुंधे हुए गले से बेटी के मुंह से बोल निकल पड़े और नाराजगी भरे लहजे में कहा, पापा आप पहले जैसे नहीं रहे, अब आपने घर आना बंद कर दिया है। लेकिन उस मासूम बेटी को क्या पता कि पापा इस महामारी से निपटने के लिए जान जोखिम में डालकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
घर की बजाय होटल में रुकते हैं
जगदीश सिंह मान ने बताया कि वे चिकित्सालय के बाद घर नहीं जाकर पास स्थित होटल में ही रुकते हैं। जिससे कोरोना संक्रमण से परिवार वालों को बचाया जा सके। घर में माता-पिता और पत्नी हर वक्त चिंतित रहते हैं। फोन पर भी सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं। मान ने बताया कि चिकित्सकों की ओर से दिए गए निर्देशों तथा दवाओं को कोरोना संदिग्धों को देते हैं। उनका ख्याल रखते हैं। दिनभर संदिग्धों के मध्य रहने के बाद संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए घर नहीं जाते हैं।