Raipur: संविधान दिवस पर किसानों ने दिखाए तेवर, मांगी MSP पर गारंटी,नहीं तो फिर होगा आंदोलन
संविधान दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में किसानों ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर एक बार फिर किसान सड़कों पर नजर आये।
संविधान दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में किसानों ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर एक बार फिर किसान सड़कों पर नजर आये।संयुक्त किसान मोर्चा और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े किसानों ने राजधानी रायपुर के घड़ी चौक से राजभवन तक मार्च करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इसके बाद किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर के सचिवालय में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम एक मांगपत्र भी सौंपा। किसानों के आंदोलन के संदर्भ में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के तेजराम विद्रोही ने बताया, 21 नवंबर 2021 को दिल्ली में चल रहे आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को अपनी 6 लंबित मांगों के संदर्भ में एक पत्र भेजा,जिसके जवाब में किसानो को सरकार की तरफ से आश्वासन देकर आंदोलन को वापस लेने का निवेदन किया था। तेजराम विद्रोही ने कहा कि सरकार पर भरोसा करके संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमा पर अपना धरना वापस ले लिया था ,लेकिन एक साल होने के बाद भी किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया है ,इसलिए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर हमने आग्रह किया है, केंद्र सरकार को अपना वादा निभाते हुए किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाना चाहिए ।
किसानों के ज्ञापन में यह मांगे लिखी हुई हैं।
1.
स्वामीनाथन
आयोग
की
सिफारिश
के
आधार
पर
सभी
फसलों
के
लिए
सी
2
धन
50
फीसदी
के
फार्मूला
से
एमएसपी
की
गारंटी
का
कानून
बनाया
जाए।
केन्द्र
सरकार
द्वारा
एमएसपी
पर
गठित
समिति
व
उसका
घोषित
ऐजेंडा
किसानों
द्वारा
प्रस्तुत
मांगों
के
विपरीत
है।
इस
समिति
को
रद्द
कर,
एमएसपी
पर
सभी
फसलों
की
कानूनी
गारंटी
के
लिए,
किसानों
के
उचित
प्रतिनिधित्व
के
साथ,
केंद्र
सरकार
के
वायदे
के
अनुसार
एसकेएम
के
प्रतिनिधियों
को
शामिल
कर,
एमएसपी
पर
एक
नई
समिति
का
पुनर्गठन
किया
जाए।
2.
खेती
में
बढ़
रहे
लागत
के
दाम
और
फसलों
का
लाभकारी
मूल्य
नहीं
मिलने
के
कारण
80
फीसदी
से
अधिक
किसान
भारी
कर्ज
में
फंस
गए
हैं,
और
आत्महत्या
करने
को
मजबूर
हैं।
ऐसे
में,
आपसे
निवेदन
है
कि
सभी
किसानों
के
सभी
प्रकार
के
कर्ज
माफ
किए
जाएं।
3.
बिजली
संशोधन
विधेयक,
2022
को
वापस
लिया
जाए।
केंद्र
सरकार
ने
9
दिसंबर
2021
को
संयुक्त
किसान
मोर्चा
को
लिखे
पत्र
में
यह
लिखित
आश्वासन
दिया
था
कि,
"मोर्चा
से
चर्चा
होने
के
बाद
ही
बिल
संसद
में
पेश
किया
जाएगा।"
इसके
बावजूद,
केंद्र
सरकार
ने
बिना
कोई
विमर्श
के
यह
विधेयक
संसद
में
पेश
किया।
4.
(अ)
लखीमपुर
खीरी
जिला
के
तिकोनिया
में
चार
किसानों
और
एक
पत्रकार
की
हत्या
के
मुख्य
साजिशकर्ता
केन्द्रीय
गृह
राज्यमंत्री
अजय
मिश्र
टेनी
को
मंत्रिमंडल
से
बर्खास्त
किया
जाए
और
गिरफ्तार
करके
जेल
भेजा
जाए।
(ब)
लखीमपुर
खीरी
हत्याकांड
में
जो
निर्दाेष
किसान
जेल
में
कैद
हैं,
उनको
तुरन्त
रिहा
किया
जाए
और
उनके
ऊपर
दर्ज
फर्जी
मामले
तुरन्त
वापस
लिए
जाएं।
शहीद
किसान
परिवारों
एवं
घायल
किसानों
को
मुआवजा
देने
का
सरकार
अपना
वादा
पूरा
करे।
5.
सूखा,
बाढ़,
अतिवृष्टि,
फसल
संबंधी
बीमारी,
आदि
तमाम
कारणों
से
होने
वाले
नुकसान
की
पूर्ति
के
लिए
सरकार
सभी
फसलों
के
लिए
व्यापक
एवं
प्रभावी
फसल
बीमा
लागू
करे।
6.
सभी
मध्यम,
छोटे
और
सीमांत
किसानों
और
कृषि
श्रमिकों
को
₹
5000
प्रति
माह
की
किसान
पेंशन
की
योजना
लागू
की
जाए।
7.
किसान
आन्दोलन
के
दौरान
भाजपा
शासित
प्रदेशों
व
अन्य
राज्यों
में
किसानों
के
ऊपर
जो
फर्जी
मुकदमे
लादे
गए
हैं,
उन्हें
तुरंत
वापस
लिया
जाए।
8.
किसान
आंदोलन
के
दौरान
शहीद
हुए
सभी
किसानों
के
परिवारों
को
मुआवजे
का
भुगतान
और
उनके
पुनर्वास
की
व्यवस्था
की
जाए,
और
शहीद
किसानों
के
लिए
सिंघु
मोर्चा
पर
स्मारक
बनाने
के
लिए
भूमि
का
आवंटन
किया
जाए।
ज्ञापन के अंत में लिखा हुआ है कि यदि सरकार अपने वायदे और किसानों के प्रति जिम्मेदारी से मुकरना जारी रखती है, तो किसानों के पास आंदोलन को और तेज करने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
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