कौन हैं भिंडरावाले के अनुयायी सिमरनजीत मान? जिनसे AAP अपनी इकलौती लोकसभा सीट भी हारी
संगरूर। पंजाब में हुए संगरूर लोकसभा उपचुनाव के परिणाम आ गए। यहां शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान ने जीत हासिल की। 23 साल में अपनी पहली चुनावी जीत दर्ज करते हुए सिमरनजीत ने आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी समेत कई दलों के प्रत्याशियों को हराया।
संगरूर लोकसभा उपचुनाव के परिणाम आ गए
बता दें कि, संगरूर लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी (आप) के पास इकलौती लोकसभा सीट थी, जहां से भगवंत मान दो बार सांसद रहे। मुख्यमंत्री बनने के लिए मान को इस सीट को खाली करना पड़ा था और तब उपचुनाव कराए गए थे। हालांकि, 'आप' ने भगवंत मान के बाद यहां से अपने जिस नेता को प्रत्याशी बनाया वो हार गया। शिअद (अ) के सिमरनजीत सिंह मान जीत गए। बहुत से लोग अब सिमरनजीत सिंह मान के बारे में जानना चाहते हैं।
जानिए कौन हैं सिमरनजीत सिंह मान
यहां
हम
आपको
सिमरनजीत
सिंह
मान
के
बारे
में
बताने
जा
रहे
हैं।
सिमरनजीत
पंजाब
के
एक
धार्मिक
नेता
जरनैल
सिंह
भिंडरावाले
के
अनुयायी
माने
जाते
हैं।
इसलिए
सिमरनजीत
ने
अपनी
जीत
को
जरनैल
सिंह
भिंडरावाले
की
कृपा
बताया
है।
चुनाव
आयोग
से
मिले
ब्यौरे
के
मुताबिक,
सिमरनजीत
ने
अपने
निकटतम
प्रतिद्वंद्वी
आप
के
गुरमेल
सिंह
को
5,822
मतों
के
अंतर
से
हराया
है।
साथ
ही
इस
उपचुनाव
के
नतीजे
ने
आप
को
निचले
सदन
में
शून्य
सीट
के
साथ
छोड़
दिया
है।
यानी
अब
आप
के
पास
कोई
लोकसभा
सांसद
नहीं
बचा।
खालिस्तान समथर्क हैं सिमरनजीत
सिमरनजीत ने अपनी जीत के बाद कल कहा कि, यह पार्टी कार्यकर्ताओं और एक धार्मिक नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की शिक्षाओं की जीत है, जिन्होंने एक अलग सिख राज्य के लिए हिंसक अभियान का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि, "यह हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं और संत जरनैल सिंह भिंडरावाले की शिक्षाओं की जीत है। दीप सिंह सिद्धू और सिद्धू मूसेवाला की मौत से सिख समुदाय बहुत परेशान है। हमारी इस जीत के बाद अब भारत सरकार उस तरह का व्यवहार नहीं करेगी, जैस कि मुसलमानों से किया जा रहा है। जैसे कि भारतीय सेना कश्मीर में अत्याचार कर रही है और मुसलमानों को रोज मार रही है।"
कहां जन्मे सिमरनजीत सिंह मान?
सिमरनजीत सिंह मान का जन्म 1945 में शिमला में हुआ था। उन्होंने बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की और चंडीगढ़ के एक सरकारी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1967 में वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और पुलिस अधीक्षक (सतर्कता), एसपी (मुख्यालय), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), फिरोजपुर सहित विभिन्न पदों पर रहे; जिनमें एसएसपी फरीदकोट और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के ग्रुप कमांडेंट होना शामिल है।
ऑपरेशन ब्लूस्टार के समय चर्चा में आए
वर्ष 1984 में सिमरनजीत ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया था। यह आॅपरेशन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए किया गया था। बताया जाता है कि, हर साल 6 जून को, वह और उनके समर्थक स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर इकट्ठा होते हैं और ऑपरेशन ब्लूस्टार की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हैं।
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आप के ही उम्मीदवार से पिछला चुनाव हारे थे
अपने कुछ आलोचकों द्वारा 'बुड्डा जरनैल' कहे जाने वाले यह 77 वर्षीय नेता विभिन्न मंचों पर सिखों और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। वर्ष 1989 में वह तरनतारन और 1999 में संगरूर से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने अमरगढ़ सीट से 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन आप के जसवंत सिंह गज्जनमाजरा से 6,043 मतों के अंतर से हार गए थे।