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क्या सिद्धू का अतीत विवादास्पद नहीं ? फिर कैप्टन अमरिंदर पर निजी हमले क्यों ?

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चंडीगढ़, 25 अक्टूबर। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजनीतिक लड़ाई अब व्यक्तिगत हमले में तब्दील हो गयी है। कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने पाकिस्तानी पत्रकार अरुसा आलाम का जिक्र कर अमरिंदर सिंह पर निजी हमला किया है। 66 साल की अरुसा आलम को कैप्टन अमरिंदर सिंह का महिला मित्र बताया जाता है।

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सिद्धू की पत्नी खुद विधायक रह चुकी हैं। उन्हें राजनीति में मर्यादा का महत्व मालूम है। सिद्दू जब अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री थे तब उन्होंने ये सवाल क्यों नहीं उठाये ? तब क्या वे अरुसा आलम के बारे में नहीं जानती थी ? अरुसा आलम 2007 में पहली बार भारत आयीं थीं और उस समय मनमोहन सिंह की सरकार थी। अगर कोई एतराज था तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें भारत आने की मंजूरी क्यों दी ? क्या अब पंजाब में जाती मसलों पर राजनीति होगी ? क्या नवजोत सिंह सिद्धू का अतीत विवादस्पद नहीं है ?

नवजोत सिंह सिद्धू का विवाद

नवजोत सिंह सिद्धू का विवाद

क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू तब सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने 1987 के विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता में छक्कों की बरसात कर दी थी। उन्होंने चार मैच खेले और और सभी में हाफ सेंचुरी ठोकी। फिर तो वे क्रिकेटप्रेमियों की आंखों का तारा बन गये। सिद्धू की गिनती बड़े खिलाड़ी के रूप में होने लगी। वे पटियाला में रहते थे। 27 दिसम्बर 1988 को वे अपने घर से निकल कर पटियाला के शेरोंवाला गेट चौराह के पास आये थे। इस दौरान उनकी जिप्सी एक मारुति कार से रगड़ खा गयी। 65 साल के गुरनाम सिंह मारुति कार चला रहे थे। सिद्धू को तब क्रिकेट की बदौलत स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में नौकरी मिल गयी थी। शेरोंवाला गेट चौराहा के पास ही उनका बैंक था। जिप्सी में सिद्धू के साथ उनके मित्र रुपिंदर सिंह सिंधु भी सवार थे। गाड़ी में रगड़ खाने के बाद सिद्धू और रुपिंदर नीचे उतरे और गुरनाम से बहस करने लगे। आरोप लगा था कि जब बात बढ़ गयी तो सिद्दू ने रुपिंदर सिंह को जोर से एक मुक्का मारा था। फिर वे वहां से चले गये। बाद में रुपिंदर सिंह की मौत हो गयी। पटियाला के सिविल लिंस थाना में सिद्धू के खिलाफ गैरइरादन हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया। सिद्धू उस समय भारत के उभरते हुए क्रिकेट खिलाड़ी थे। गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज होने के बाद उनका क्रिकेट करियर खतरे में पड़ गया। मार्च 1989 में भारतीय क्रिकेट टीम को वेस्टइंडीज के दौरे पर जाना था। इस केस के कारण चयनकर्ता असमंजस में फंस गये कि सिद्धू को टीम में चुने या नहीं। लेकिन सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद सिद्धी को टीम में चुन लिया गया। किंगस्टन के चौथे टेस्ट में सिद्धू ने शानदार शतक (116) लगा कर अपनी उपयोगिता साबित कर दी। इसके बाद गैरइरादन हत्या का केस रहते हुए भी सिद्धू का क्रिकेट करियर आगे बढ़ता रहा। जेल जा कर भी राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलने वाले वे भारत के अनोखे खिलाड़ी हैं।

गैरइरादतन हत्या का केस, सांसदी से इस्तीफा

गैरइरादतन हत्या का केस, सांसदी से इस्तीफा

1999 में वे क्रिकेट से रिटायर हो गये। फिर राजनीति में आ गये। गुरनाम सिंह हत्या का मामला उनके जीवन में शूल बन कर चुभता रहा। इसकी वजह से एक बार उनका क्रकिट करियर खतरे में पड़ा था। राजनीति में भी उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। 2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अमृतसर से टिकट दिया। वे चुनाव जीत कर सांसद बन गये। इस बीच सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामल चलता रहा। दिसम्बर 2006 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधु को इस मामले में तीन-तीन साल की सजा सुनायी। सिद्दू उस समय भाजपा के सांसद थे। सजा का एलान होते ही उन्हें सांसदी से इस्तीफा देना पड़ा। फिर उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगन आदेश दे दिया। जब अमृतसर सीट पर लोकसभा का उपचुनाव हुआ तो नवजोत सिद्धू ने कोर्ट की अनुमति के बाद फिर चुनाव लड़ा। उस समय पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी और कैप्टन अमरिंदर सिंह ही मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस ने उनके खिलाफ पूर्व वित्त मंत्री सुरिंदर सिंगला को मैदान में उतारा। सिद्धू ने आसानी से यह चुनाव जीत लिया।

राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव

राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव

2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गये। वे विधायक बने और कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री भी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ गैरइरादन हत्या मामले की सुनवाई चलती रही। अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 15 मई को फैसला आने वाला था। इसबीच सिद्धू के राजनीतिक करियर के लेकर अटकलें लगायी जाती रहीं। अगर सिद्धू दोषी करार दिये गये तो क्या उनका राजनीतिक जीवन खत्म हो जाएगा ? हाईकोर्ट उन्हें तीन साल की सजा सुना चुका था। उस समय वे पंजाब के पर्यटन मंत्री थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें गैरइरादतन हत्या के मामले से बरी कर दिया। लेकिन उन्हें मारपीट का दोषी करार दिया। इसके लिए उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। फिर सितम्बर 2018 में सुप्रीम कोर्ट सिद्धू को दी गयी सजा पर पुनर्विचार के लिए तैयार हो गया। कई उतार चढ़ाव के बाद नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति के इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले व्यक्तिगत मामलों को उछाल कर क्या वे अपना और कांग्रेस का मकसद पूरा कर पाएंगे ?

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English summary
punjab election why navjot singh sidhu personal attack on captain amarinder singh?
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