पंजाब दी गल: पार्टी से क्यों किनारा कर रहे कांग्रेसी, PLC में क्यों शामिल नहीं हुए कैप्टन के करीबी ?
पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं। पंजाब दी गल में आज हम आपको सियासी गलियारों की कुछ चटपटी ख़बरों से रूबरू करवाएंगे।
चंडीगढ़,
30
दिसंबर
2021।
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
को
लेकर
प्रदेश
में
सियासी
सरगर्मियां
बढ़
चुकी
हैं।
पंजाब
दी
गल
में
आज
हम
आपको
सियासी
गलियारों
की
कुछ
चटपटी
ख़बरों
से
रूबरू
करवाएंगे।
जैसे
कि
पंजाब
कांग्रेस
से
क्यों
किनारा
कर
रहे
हैं
उनके
नेता,
पंजाब
लोक
कांग्रेस
में
शामिल
क्यों
नहीं
हुए
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
के
करीबी
नेता,
कितनी
सीटों
पर
किसान
संगठन
अपने
प्रत्याशी
उतारने
की
तैयारी
कर
रहे
हैं।
वहीं
आम
आदमी
पार्टी
विधानसभा
चुनाव
में
कोई
रिस्क
नहीं
लेना
चाह
रही
है।
इसलिए
हर
विधानसभा
सीट
पर
एक
वरिष्ठ
नेता
को
कैंपेनिंग
की
ज़िम्मेदारी
सौंपने
की
रणनीति
तैयार
कर
रही
है।
आईए
जानते
हैं
कि
पंजाब
के
सियासी
गलियारों
में
क्या
उठा
पटक
चल
रही
है।पंजाब
में
विधानसभा
चुनाव
से
पहले
कांग्रेस
बड़ा
झटका
लगा
है।
वर्तमान
तीन
विधायक
कांग्रेस
से
किनारा
कर
भारतीय
जनता
पार्टी
में
शामिल
हो
गए।
राज्य
में
सरकार
होने
के
बावजूद
विधायक
पार्टी
से
किनारा
कर
रहे
हैं
इससे
कांग्रेस
की
मुश्किलें
बढ़
रही
हैं।
पार्टी का दामन छोड़ रहे हैं कांग्रेस नेता
सियासी गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर कांग्रेस नेता पार्टी का दामन क्यों छोड़ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का दामन वही नेता छोड़ कर जा रहे हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी से टिकट की उम्मीद लगा रखी थी लेकिन उन्हें टिकट मिलने के आसार नहीं थे। पंजाब कांग्रेस मे एक परिवार को एक ही टिकट देने की चर्चा चल रही है। इस वजह से भी कई नेता दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। बताया जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमीटी की बैठक के बाद 40 नामों की एक सूची तैयार की गई है। इस सूची में ऐसे नेताओं के नाम शामिल हैं जो बाग़ी हो सकते हैं या फिर 2017 विधानसभा चुनाव में हारे थे। वहीं कुछ विधानसभा सीटों पर सर्वे के आधार पर टिकट दिया जाएग क्योंकि उन सीटों पर टिकट दावेदारों की तादाद एक से ज़्यादा है। यह सब भी कांग्रेस से किनारा करने की वजह मानी जा रही है।
PLC में शामिल नहीं हुए कैप्टन के करीबी
कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी कांग्रेस के मौजूदा तीन विधायक पंजाब लोक कांग्रेस में शामिल होने की बजाए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। राणा गुरमीत सोढ़ी, बलविंदर सिंह लाडी और फतेह जंग बाजवा ने कांग्रेस को अलविदा बोलते हुए भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इसके बाद से ही चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि कैप्टन के क़रीबी होने के बावजूद वह लोग भाजपा में क्यों शामिल हुए। सियासी जानकारों की माने तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी नई है और इस विधानसभा चुनाव में अभी पार्टी एक प्रयोग कर रही है। वहीं पंजाब लोक कांग्रेस के मुक़ाबले में भारतीय जनता पार्टी बड़ी पार्टी है। पंजाब के चुनावी रण में पहले भी उतर चुकी है, इसलिए कांग्रेसी नेताओं ने बेहतर विकल्प के तौर भारतीय जनता पार्टी को चुना है। भाजपा में जाने के बाद भविष्य में उनके लिए सियासत के रास्ते और खुल सकते हैं, यही वजह है कि उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्हें भारतीय जनता पार्टी से टिकट मिलने की संभावना ज़्यादा है क्योंकि पीएलसी के मुक़ाबले भाजपा ज्यादे सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजनीतिक रणनीति
पंजाब के सियासी सलाहकारों की मानें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह भविष्य में अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी में विलय कर सकते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजनीतिक रणनीति का यह दांव हो सकता है कि उनके करीबी नेताओं ने पंजाब लोक कांग्रेस की बजाए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। पंजाब लोक कांग्रेस के प्रवक्ता प्रिंस खुल्लर की मानें तो कैप्टन के क़रीबी नेताओं ने उनसे ( कैप्टन अमरिंदर सिंह) सलाह लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली है। उन्होंने बताया कि कैप्टन के करीबी नेताओं के पीएलसी में शामिल नहीं होने की दूसरी वजह यह भी है की वोटो का ध्रुवीकरण नहीं हो। बीजेपी के गढ़ वाले निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता बीजेपी में शामिल होंगे तो इससे पार्टी अपने पारंपरिक वोट बैंक को बरकरार रख पाएगी। अगर गठबंधन के तहत दूसरी सीटों पर टिकट मिल जाएगा तो वोटो का ध्रुवीकरण भी हो सकता है।
पंजाब के चुनावी रण में किसानों की एंट्री
पंजाब के सियासी रण में किसानों की पार्टी भी एट्री करने जा रही है, अगर किसान पंजाब के चुनावी रण में उतरते हैं तो ही न कही भारतीय जनता पार्टी को इसका ख़ामियाज़ा भुगतनमा पड़ सकता है। क्योंकि तीन कृषि कानूनों की वजह करीब एक साल तक किसानों ने संघर्ष किया जिसके बाद केद्र की भाजपा सरकार को अपना फ़ैसला वापस लेना पड़ा। यही वजह है कि पंजाब में भारतीय जनता पार्टी को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था। कृषि कानूनों की वापसी के बाद भाजपा इसका सियासी माइलेज लेने की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं गुरनाम सिंह चढूनी किसानों की पार्टी का नेतृत्व कर चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इससे भारतीय जनता पार्टी की बनी बनाई बिगड़ती हुई नज़र आ रही है। सूत्रों की माने तो पंजाब के 22 किसान संगठन सर्वे करवाने के बाद चुनिंदा विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
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