अमृतसर सिविल अस्पताल के इकलौते मेडिसिन डॉक्टर की VIP की ड्यूटी में तैनाती, जोखिम में मरीज़ों की जान
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि देश की राजनीति वीआईपी कल्चर का 'शिकार' है। मेडिसिन डॉक्टर कुणाल बंसल को सुबह सवेरे ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से आदेश मिला था कि वह वीआईपी ड्यूटी पर चले जाएं।
चंडीगढ़,
सितंबर
15,
2021।
देश
अजीबोगरीब
स्थिति
से
गुजर
रहा
है।
शहर
हो
या
सुदूर
गांव
हालात
चिंताजनक
बनी
हुई
है।
आजादी
के
बाद
देश
पहली
बार
एक
ऐसी
चुनौती
का
सामना
कर
रही
है
जिसके
सामने
अमीर-गरीब,
ऊंच-नीच,छोटे-बड़े,महिला-पुरुष,बच्चे-बुजुर्ग,शहर-गांव
सभी
संकट
का
सामना
अभूतपूर्व
ढंग
से
कर
रहे
हैं।
ऐसा
नहीं
है
कि
महामारी
पहली
बार
आई
है
लेकिन
साल
भर
के
भीतर
ही
किसी
महामारी
ने
दूसरी
बार
दस्तक
देकर
पूरी
मानवता
के
सामने
कठिन
परिस्थिति
खड़ी
कर
दी
है।
इस
बाबत
वन
इंडिया
हिंदी
ने
पूर्व
स्वास्थ्य
मंत्री
प्रो.
लक्ष्मीकांता
चावला
से
बात
की
उन्होंने
बदहाल
स्वास्थ्य
सेवाओं
पर
बेबाकी
से
अपनी
राय
रखी।
देश
की
राजनीति
VIP
कल्चर
का
'शिकार'
पूर्व
स्वास्थ्य
मंत्री
प्रोफेसर
लक्ष्मीकांता
चावला
ने
कहा
कि
देश
की
राजनीति
वीआईपी
कल्चर
का
'शिकार'
है।
राजनीतिज्ञों
के
लिए
प्रशासन
भी
हर
कदम
पर
वीआईपी
इंतज़ाम
करता
है।
उन्होंने
बताया
कि
बुधवार
को
अमृतसर
पहुंचे
हरियाणा
के
राज्यपाल
बंगारू
दत्तात्रेय
की
सुरक्षा
में
जहां
भारी
पुलिस
फोर्स
तैनात
थी,
वहीं
सिविल
अस्पताल
का
एक
मेडिसिन
डॉक्टर
भी
उनकी
सेवा
में
हाज़िर
रहे।
मेडिसिन
डॉक्टर
कुणाल
बंसल
को
सुबह
सवेरे
ही
स्वास्थ्य
विभाग
की
ओर
से
आदेश
मिला
था
कि
वह
वीआईपी
ड्यूटी
पर
चले
जाएं।
विभाग
ने
यह
नहीं
सोचा
कि
डा.
कुणाल
एकमात्र
मेडिसिन
डॉक्टर
हैं
और
उनके
जाने
से
सिविल
अस्पताल
में
सेहत
सेवाओं
का
क्या
हाल
होगा
?
पंजाब में 1 दिन में 37 नए कोरोना मरीज मिले, कुल संक्रमित अब तक 6 लाख पार, देखिए ताजा आंकड़े
मेडिसिन
विभाग
स्वास्थ्य
सेवाओं
की
रीढ़
पूर्व
स्वास्थ्य
मंत्री
प्रोफेसर
लक्ष्मीकांता
चावला
ने
कहा
कि
सिविल
अस्पताल
में
मेडिसिन
विभाग
स्वास्थ्य
सेवाओं
की
रीढ़
है।
डा.
कुणाल
के
वीआईपी
ड्यूटी
पर
जाने
के
बाद
मेडिसिन
ओपीडी
के
बाहर
मरीजों
की
भीड़
जमा
रही
जिनकी
सुध
लेने
वाला
कोई
नहीं
था
।
वहीं
प्रोफ़ेसर
लक्ष्मीकांता
चावला
ने
बताया
कि
इसके
अलावा
अस्पताल
में
उपचाराधीन
डेंगू
मरीजों
की
तीमारदारी
करने
के
लिए
भी
कोई
नहीं
था।
अस्पताल
के
डॉक्टर
भी
दबी
जुबान
में
कह
रहे
थे
कि
एक
वीआईपी
को
आपातकालीन
स्थिति
में
चिकित्सा
देने
के
लिए
डॉक्टर
भेज
दिया
जाता
है
यहां
मरीज़
के
लिए
डॉक्टर
मौजूद
नहीं
रहते
हैं।
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले BJP को बड़ा झटका, BSP में शामिल हुए कई भाजपा नेता और कार्यकर्ता
मरीज़ों
की
जान
जोखिम
में
डालना
अनुचित
है
पूर्व
स्वास्थ्य
मंत्री
प्रोफेसर
लक्ष्मीकांता
चावला
ने
सरकार
पर
सवालिया
निशान
लगाते
हुए
कहा
कि
अगर
डॉक्टर
की
कमी
की
वजह
से
सिविल
अस्पताल
में
उपचाराधीन
मरीजों
को
कुछ
हो
जाए
तो
इसका
ज़िम्मेदार
कौन
होगा
?
उन्होंने
कहा
कि
बहरहाल
यह
पहली
बार
नहीं
हुआ
है,
जब
भी
वीआईपी
का
आगमन
होता
है
तब
डॉक्टरों
को
उनकी
डयूटी
पर
झोंक
दिया
जाता
है।
एक
वीआईपी
के
बदले
हजारों
मरीज़ों
की
जान
जोखिम
में
डालना
अनुचित
है।
सिविल
अस्पताल
में
डेंगू
पॉजिटिव
मरीज़
भी
उपचाराधीन
हैं,
जो
जिंदगी
और
मौत
से
जंग
लड़
रहे
हैं।
अस्पताल
में
डॉक्टर
की
कमी
है
जिसकी
वजह
से
मरीज़ों
को
काफ़ी
परेशानियों
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
सरकार
इस
बाबत
मूक
दर्शक
बनी
हुई
है।
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