PCMC से करीब 5000 करोड़ रुपए सौदे से जुड़े दस्तावेज गायब, ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा
पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम (PCMC) के विभिन्न विभागों से पिछले 40 वर्षों में 4,917 करोड़ रुपए के लेन-देन से संबंधित दस्तावेज "गायब" हो गए हैं। इसका दावा लेखा विभाग की रिपोर्ट में किया गया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट स्थायी समिति के समक्ष रखी जाएगी। इसके बाद नगर आयुक्त शेखर सिंह को सौंपी जाएगी।

हजारों करोड़ रुपए के दस्वावेजों के गायब होने के संबंध में निगम के मुख्य लेखा परीक्षक प्रमोद भोसले ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस से बात की। उन्होंने कहा कि हमारे संज्ञान में आया कि 2014-2015 के ऑडिट के दौरान 4,917 करोड़ रुपये के सौदों से संबंधित दस्तावेज विभिन्न विभागों की तरफ से नहीं उपलब्ध कराए गए हैं।
भोसले ने कहा कि जो दस्तावेज लापता हुए हैं उन्हें 1982 के बाद से ऑडिट विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया था। क्योंकि इसी वर्ष पीसीएमसी अस्तित्व में आया था। उन्होंने कहा कि 30-40 साल पहले ऑडिट करने वाले ऑडिटरों ने कहा था कि कुछ राशि के सौदों से जुड़े कुछ दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इसी प्रकार बाद के लेखापरीक्षकों ने भी पिछले दस्वावेज नहीं उपलब्ध कराने की टिप्पणी की। भोसले ने कहा जिन दस्तावेजों को नहीं उपलब्ध कराया गया है, उनकी कीमत 4,900 करोड़ रुपए से अधिक है।
वहीं, इस संबंध में जानकारी देते हुए ऑडिट विभाग के अधिकारी ने कहा कि संबंधित विभागों को बार-बार याद दिलाने के बावजूद दस्तावेज उन्हें उपलब्ध नहीं कराए गए। हर बार रिपोर्ट मांगने पर संबंधित विभागों की तरफ से रिपोर्ट नहीं दी गई है।
ऑडिट रिपोर्ट में खर्च पर भी जताई गई आपत्ति
ऑडिट रिपोर्ट में "विभिन्न विभागों की तरफ से 1,296 करोड़ रुपये के खर्च" पर भी आपत्ति जताई गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विभागों से 119 करोड़ रुपए की वसूली की जा सकती है। वसूली का मतलब यह है कि संबंधित नागरिक विभाग को उन्हें पार्टियों या ठेकेदारों से पैसा वसूल करना होगा। क्योंकि इस राशि को बट्टे खाते में नहीं डाला जा सकता है। जानकारी के मुताबिक ऑडिट विभाग की तरफ से वार्षिक रिपोर्ट में 44118 आपत्तियां दर्ज की गई हैं।
आपको बता दें कि एक्टिविस्ट मारुति भापकर के हस्तक्षेप पर एक दशक पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऑडिट करने में विफल रहने के लिए निगम को फटकार लगाई थी। एक्टिविस्ट मारुति भापकर ने कहा कि "लापता" दस्तावेज गंभीर सवाल खड़े करते हैं। क्योंकि इसका मतलब यह हो सकता है कि पीसीएमसी ने गैर-मौजूद लेनदेन या सौदों के लिए राशि का भुगतान किया था। यानि कि पीसीएमसी के गलियारों में पिछले कुछ सालों में कई गलत चीजें हुई हैं। ऐसे में अब पीसीएमसी प्रशासन को जागना चाहिए और मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि ऑडिट विभाग की जांच के दायरे में आने वाले विभागों में भवन निर्माण अनुमति, स्वास्थ्य, नगर नियोजन, उद्यान, आकाश चिन्ह और जनसंपर्क विभाग शामिल हैं।
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