Razia Sultana DSP : बिहार की पहली मुस्लिम लड़की जो बनीं डीएसपी, सरकारी नौकरी छोड़ खाकी चुनेगी रजिया सुल्ताना
पटना, 9 जून। ये हैं रजिया सुल्ताना। इन्होंने इतिहास रच दिया है। रजिया बिहार पुलिस में डायरेक्ट पुलिस उपाधिक्षक (डीएसपी) बनने वाली पहली महिला हैं। चार साल के लंबे इंतजार के बाद हाल ही जारी बिहार लोक संघ आयोग (बीपीएससी) में रजिया ने यह उपलब्धि हासिल की है।
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कौन हैं DSP रजिया सुल्ताना?
बिहार पुलिस में डीएसपी बनने वालीं पहली मुस्लिम लड़की रजिया सुल्ताना मूलरूप से गोपालगंज जिले के हथुआ के रतनचक की रहने वाली हैं। इनके पिता एमडी असलम अंसारी बोकारो स्टील प्लांट में स्टेनोग्राफर पद पर नौकरी करते थे। उनका साल 2016 में इंतकाल हो चुका है। फिलहाल पूरा परिवार बोकारो में ही रह रहा है।
चाचा ने कहा भतीजी पर गर्व
रजिया के चाचा डॉ. एआर अंसारी मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पूर्व चिकित्सा प्रभारी रह चुके हैं। मीडिया से बातचीत में अंसारी ने कहा कि भतीजी की कामयाबी पर गर्व है। रजिया सात भाई बहनों में सबसे छोटी है। इकलौता भाई एमबीए करके झांसी में निजी कंपनी में जॉब कर रहा है।
नौकरी के साथ की बीपीएससी की तैयारी
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में रजिया बताती हैं कि वे वर्तमान में बिजली विभाग में सहायक अभियंता पद पर कार्यरत हैं। नौकरी के साथ बीपीएससी की तैयारी की थी, मगर दिक्कत यह आई कि पटना में बीपीएससी की कोचिंग हिंदी में होती है, जिसमें वे सहज नहीं थी। ऐसे में घर पर खुद ही अंग्रेजी माध्यम से तैयारी की। पहले प्रयास में सफल हो गईं।
40 डीएसपी में चार मस्लिम
कोचिंग जगत से जुड़े डॉ. एम रहमान बताते हैं कि 64वीं बीपीएससी के 1454 में से 98 मुस्लिम उम्मीदवार सफल रहे हैं। 40 अभ्यर्थी डीएसपी बने हैं। इनमें चार मुस्लिम हैं। डायरेक्टर बिहार पुलिस में डीएसपी बनने वालीं रजिया सुल्तान बिहार की पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं।
राजस्थान से प्राप्त की स्नातक की डिग्री
बता दें कि बिहार पुलिस में डीएसपी बनी पहली मुस्लिम महिला रजिया सुल्ताना का राजस्थान से संबंध ये है कि इन्होंने स्नातक की डिग्री राजस्थान से हासिल की है। रजिया ने साल 2011 में बोकारो से 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद रजिया राजस्थान आ गई थीं। राजस्थान के जोधपुर से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक की।
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मुझे तो डीएसपी का मतलब तक पता नहीं
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में रजिया सुल्ताना की मां गुलाबुन निशा ने बताया कि रजिया का जन्म 1994 में हुआ था। वह बचपन से ही होनहार रही है। बेटे के डीएसपी बनने के बाद मुबारकबाद देने वालों का तांता लगा हुआ है। मुझे तो डीएसपी की पोस्ट के बारे में पूरी जानकारी तक नहीं है, मगर बेटी ने पुलिस अधिकारी पूरे परिवार का नाम रोशन किया है।
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पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने की पूरी आजादी - Razia Sultana
लोगों की अक्सर सोच रहती है कि मुस्लिम परिवारों में बेटियों को पढ़ने लिखने और आगे बढ़ने के ज्यादा अवसर नहीं मिलते हैं। उन्हें बुर्के में रहकर घर तक ही सीमित रहना पड़ता है। इसके जवाब में रजिया सुल्ताना कहती हैं कि वे इस मामले में भाग्यशाली हैं। उनके परिवार की सोच आधुनिक है। बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा जाता है। बेटियों को पढ़ने लिखने का भरपूर अवसर मिलता है। परिजनों ने मुझे पढ़ने के लिए बोकारो से राजस्थान के जोधपुर भेज दिया था।