स्मार्ट सिटी के नाम से चिढ़न महसूस करते पटनावासी, जानिए क्यों
पटना। केंद्र सरकार का पटना को स्मार्ट सिटी बनाने का ढिंढोरा अब और बर्दाश्त नहीं होता। आलम यह है कि जब कोई पटना को स्मार्ट सिटी बनाने की बात करता है, तो चिढ़न महसूस होती है। जी हां यह हाल है पटनावासियों का जो बिजली की किल्लत से बढ़े तापमान में इतने ज्यादा पक चुके हैं कि उन्हें लगता है कि सरकार मीठी-मीठी बातें करके उन्हें ठग रही है।
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असल में बिहार में इन दिनों टेम्परेचर सिरदर्द बना हुआ है, तो बिजली भी कुछ कम नहीं है। ये तो सौतन बनी बैठी है। दिन भर की तेज धूप के बाद लोग रात में जैसे ही सोने के लिए जातें, वैसे ही बिजली देवी सौतन वाले तेवर दिखाने लगती है। जी हां यह हाल है नीतीश-लालू के बिहार का।
स्मार्ट सिटी के नाम से चिढ़न महसूस करते पटनावासी
यह हाल है बिहार के उस शहर का जिसे स्मार्ट सिटी बनाने का संकल्प लिया गया है। ऐसी स्मार्ट सिटी किस काम की, जिसमें सड़कों, बूथ, कार्यालयों, आदि पर एक से एक ऑटोमेटिक यंत्र तो लगे हों, लेकिन उन्हें चलाने के लिये बिजली नहीं हो।
शहर के लोग हर रोज इन समस्याओं के दौर से गुजर रहे हैं। रात-रातभर बिजली के गायब रहने और बिजली के बार-बार आने-जाने के कारण शहर के लोगों को रात गुजारना मुश्किल हो गया है।
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पूर्ण शराबबंदी के अचीवमेंट के ढोल देश भर में पीटे जा रहे हैं, लेकिन 24 घंटे बिजली सप्लाई का वादा फाइलों में सिमटता नजर आ रहा है। एक महीने पहले ही पटना प्रमंडल के आयुक्त आनंद किशोर ने बिजली विभाग को प्यार से समझाया था कि गर्मी आ रही है, बिजली आपूर्ति पर ध्यान दीजिए, 24 घंटे की उपलब्धता होनी चाहिए। लेकिन वर्तमन हालात को देखते हुए साफ नजर आ रहा है कि सारे ऑर्डर किनारे लग चुके हैं।
डीएम डॉ. त्याग राजन ने भी कहा था कि अगर किसी कारण से बिजली आपूर्ति में दिक्कत है, तो अख़बार की माध्यम से सूचित कर दें, ताकि जनता उस समय के लिए माइंड मेकअप कर ले, लेकिन बिजली विभाग अपने ही टशन में है। एक कान से सुनना व सुनकर आदेश को दूसरे कान से निकाल देना ये उनकी नियति में शामिल है। बिजली का आना और बिना बताये चले जाना अब सभी को सौतन की तरह चुभमे लगी है।
सुबह से लेकर रात तक टेम्परेचर पागल किए हुए है। ऊपर से बिजली विभाग की मेहरबानी सोने नहीं देती। सुबह से लेकर रात तक में इंस्टॉलमेंट में बिजली मिल रही है ऊपर से वोल्टेज देखकर लगता है, कि पंख बंद कर दें। हाथ वाला पंखा उससे ज्यादा हवा देती है। पड़ोस के बच्चे चीखते-चिल्लाते सो जाते हैं। आलम यह है कि ऐसे में जब कोई स्मार्ट सिटी का नाम लेता है तो लगता है जैसे कोई चिढ़ा रहा है।