बिहार में अंतिम सांसें लेता मनरेगा, मजदूरों को मजदूरी नहीं
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) अंतिम सांसें ले रही है। कारण फंड की कमी है। मजदूरों को महीनों से पगार नहीं मिली है वहीं फंड के अभाव में कोई नया काम भी नहीं लिया जा रहा है।
श्रम बजट
मालूम हो कि केंद्र ने चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंतर्गत करीब 2200 करोड़ रुपये का श्रम बजट बिहार के लिए स्वीकृत किया है। इनमें से आधी राशि भी राज्य को नहीं मिली है।
जमकर लूट मची
उधर, बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कृपा शंकर सिंह का कहना था कि प्रदेश में मनरेगा के तहत जमकर लूट मची हुई है। पैसा पात्रों को नहीं मिल पा रहा। संबंधित विभाघों और अफसरों को इस तरफ भी गौर करना चाहिए।
160 करोड़ रुपये मिले
जानकारी के मुताबिक, मजदूरों का सरकार पर 700 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया हो गया है जबकि केंद्र से सिर्फ 160 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे तो बकाये का भी भुगतान नहीं होगा। राशि की कमी का अभाव सबसे ज्यादा शौचालय निर्माण पर पड़ा है।
इंदिरा आवास योजना
जानकारी के मुताबिक, मनरेगा के तहत सरकार ने इंदिरा आवास योजना के सभी लाभार्थियों के साथ साथ राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में चालू वित्तीय वर्ष के अंतर्गत दो-दो सौ शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा है परंतु राशि के अभाव में शौचालय का भी निर्माण नहीं हो रहा है।
इस बीच, बिहार से राज्य सभा सांसद आर.के. सिन्हा ने कहा कि मेरी जानकारी में केन्द्र सरकार से तयशुदा राशि बिहार सरकार को पहुंचाई जा रही है ताकि मनरेगा का काम चलता रहे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे उक्त आरोपों को देखेंगे। सिन्हा भाजपा से संबंध रखते हैं।