पाकिस्तानी महिलाओं पर डोरे डाल रहा तालिबान, रिझाने के लिए लाया 'सुन्नत-ए-खाउला'
तहरीक-ए-तालिबान ने अब महिलाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। तालिबान इसके लिए एक मैगजीन निकाल रहा है जिसका नाम है सुन्नत-ए-खाउला।
नई दिल्ली। तहरीक-ए-तालिबान ने अब महिलाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। तालिबान इसके लिए एक मैगजीन निकाल रहा है जिसका नाम है सुन्नत-ए-खाउला। यह मैगजीन केवल महिलाओं के लिए है। इस मैगजीन को निकालने के पीछे का मकसद महिलाओं को तालिबान के बारे में जानकारी देना और उन्हें संगठन में शामिल कर जिहाद के रास्ते पर लेकर जाना है। मंगलवार को इस मैगजीन का पहला अंक जारी हुआ।
मैगजीन का नाम 'सुन्नत-ए-खाउला' का अर्थ है खाउला के बताए तरीके। बता दें कि खाउला नाम की महिला पैगंबर मुहम्मद की सबसे शुरुआती महिला समर्थकों में से एक थीं। इस मैगजीन के कवर पर एख महिला की फोटो छपी है जो सर से लेकर पांव तक खुद को बुर्के से ढकी है। इसके अलाव मैगजीन में तहरीक-ए-तालिबान के सरगना फजलुल्लाह खोरासानी की पत्नी का इंटरव्यू भी छपा है। इस इंटरव्यू में फजलुल्लाह की पत्नी ने अपने शादी के बाद को अनुभवों को बताया है। उन्होंने कम उम्र में शादी की वकालत करते हुए कहा कि मेरी 14 वर्ष की उम्र में फजलुल्लाह के साथ शादी हुई थी। शादी कम उम्र में ही हो जानी चाहिए नहीं तो जवान और कुवांरे लड़के-लड़कियां समाज के नैतिक पतन का कारण बन सकते हैं।
इसके अलावा फजलुल्लाह की पत्नी ने मुस्लिम महिलाओं से अपील करते हुए उन्हें तालिबान में शामिल होने मुजाहिदीन बनने को कहा है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को घर पर गुप्त सभाएं करने, शारिरक अभ्यास करने, हथियार चलाना सीखने और जिहाद से जुड़ी किताबें पढ़ने और उन्हें अन्य महिलाओं को बांटने को कहा है।
इस मैगजीन में मुस्लिम डॉक्टर का 'अज्ञान से ज्ञान की मेरी यात्रा' नाम से एक लेख भी छपा है। इस लेख में डॉक्टल साहिबा ने बताया कि कैसे वो पहले पश्चिमी तोर तरीके से रहती थीं और फिर कैसे ज्ञान की प्राप्ति के बाद उन्होंने इस्लाम को अपनाया। बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान इससे पहले भी कई मौकों पर मैगजीन निकाल चुका है लेकिन तब उसका मकसद पुरुषों को अपने संगठन में शामिल करना होता था।