FATF की ग्रे लिस्ट में बरकरार पाकिस्तान, लेकिन चीन की मदद से ब्लैक लिस्ट होने से बचा
ओरलैंडो। अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के ओरलैंडो में शुक्रवार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अहम मीटिंग हुई। इस मीटिंग में पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैकलिस्ट होने से बच गया है। पाक को मीटिंग में टर्की, चीन और मलेशिया का समर्थन मिला। हालांकि अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों की मानें तो फ्रांस की राजधानी पेरिस में 13 से 18 अक्टूबर तक होने वाली एक और मीटिंग में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट न करने के फैसले का ऐलान एफएटीएफ की ओर से किया जाएगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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भारत, अमेरिका और ब्रिटेन का प्रस्ताव
जून 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में रखा था। पाक को उस समय 27 बिंदुओ वाला एक एक्शन प्लान दिया गया था। संस्था की अक्टूबर 2018 में हुई मीटिंग में रिव्यू किया गया। इसके बाद पाक को इस वर्ष फरवरी तक का समय दिया गया था। इसके बाद पाक को फिर से ग्रे लिस्ट में डाला दिया गया। 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों के बारे में नई जानकारी संस्था को दी थी। टर्की मीटिंग में अकेला ऐसा देश था जिसने अमेरिका, ब्रिटेन और भारत के कदम का विरोध किया। हालांकि पाकिस्तान का साझीदार चीन इस मीटिंग से नदारद था। पाकिस्ताप का एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहना उसकी मुश्किलों को दोगुना करना है। कहा जा रहा है कि ग्रे लिस्ट में रहने की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के साथ ही यूरोपियन यूनियन भी उसकी रैंकिंग को कम कर सकते हैं। इसके अलावा मूडीज, एसएंडपी और फिच की ओर से पाक की रेटिंग गिराई जा सकती है।
ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए चाहिए 15 वोट
ग्रे लिस्ट में आने की वजह से पाक का आर्थिक संकट और बढ़ जाएगा। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक मदद के लिए भी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। एफएटीएफ के चार्टर के मुताबिक कम से कम तीन देशों का समर्थन जुटाना पाकिस्तान के लिए जरूरी था। टर्की ने जहां ब्लैकलिस्ट करने के फैसले का विरोध किया तो चीन नदारद था। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अधिकारी की ओर से बताया गया, 'यह वाकई एक सकारात्मक खबर है कि पाकिस्तान पर ब्लैकलिस्ट होने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि हमें टर्की, चीन और मलेशिया की ओर से बड़ा समर्थन हासिल हुआ।' विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने हालांकि यह भी कहा कि खतरा अभी टला नहीं है। अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आना है तो उसे 36 में से कम से कम 15 वोट्स की जरूरत होगी। ग्रे लिस्ट की वजह से पाक को हर वर्ष 10 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की मानें तो यूके ने उनके देश को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए हर जरूरी मदद करने का वादा किया है।