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इसरो से आठ साल पहले आगे था पाक, आतंक की फैक्ट्री बनने से पीछे छूटा

16 सितंबर 1961 में भारत से आठ वर्ष पहले पाकिस्‍तान ने शुरू किया था अपना स्‍पेस प्रोग्राम लेकिन आज भारत के मुकाबले काफी पीछे। वैज्ञानिकों को भेजा गया था नासा तक ताकि मिल सके बेहतर ट्रेनिंग।

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कराची। भारत की स्‍पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 15 फरवरी को जो कारनाम किया है उसके बाद दुनियाभर में उसके चर्चे हैं और उसके लिए तालियां बज रही हैं। जब भारत में इसरो की सफलता का जश्‍न मन रहा था तो पाकिस्‍तान के सिंध में एक बड़े हमले की साजिश हो रही थी। इसरो की सफलता के 24 घंटों के अंदर श्रीहरिकोटा से 2,000 किलोमीटर की दूरी पर एक ब्‍लास्‍ट हुआ और सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्‍तान की स्‍पेस एजेंसी की शुरुआत इसरो से आठ वर्ष पहले ही हो चुकी थी।

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भारत से पहले पाक ने शुरू की स्‍पेस एजेंसी

कभी एक ही देश भारत और पाकिस्‍तान आज दो अलग-अलग किनारों पर खड़े हैं, एक विज्ञान और आर्थिक मोर्चे पर तरक्‍की कैसे हो इसकी योजना बनाता है तो एक यह सोचता है कि अपनी सरजमीं पर मौजूद आतंकवाद की फैक्‍ट्री पर काबू कैसे किया जाए। आज इन बातों का जिक्र इसलिए हो रहा है क्‍योंकि पाकिस्‍तान ने भारत से पहले ही अपना अतंरिक्ष प्रोग्राम शुरू कर दिया था। पाक ने भारत की तुलना में आठ वर्ष पहले ही अपना स्‍पेस प्रोग्राम लॉन्‍च कर दिया था। आज वह भारत से काफी पीछे है। 16 सितंबर 1961 को पाकिस्‍तान की स्‍पेस एजेंसी स्‍पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च कमीशन यानी सुपरको की स्‍थापना हुई। पाक के मशहूर भौतिक विज्ञानी अब्‍दुस सलाम ने उस समय के राष्‍ट्रपति अयूब खान को बड़ी मुश्किल से राष्‍ट्रीय स्‍पेस एजेंसी की शुरुआत के लिए मनाया था। यह स्‍पेस एजेंसी इस महाद्वीप में सबसे पहली स्‍पेस एजेंसी थी जिसका हेडक्‍वार्टर कराची में था। इसके ठीक आठ वर्ष बाद भारत ने अपनी स्‍पेस एजेंसी इसरो की शुरुआत की।

रॉकेट लॉन्चिंग वाला तीसरा देश बना पाक

पाक की स्‍पेस एजेंसी के शुरुआती वर्ष काफी उम्‍मीदों से भरे थे। चार टॉप साइंटिस्‍ट्स को अमेरिकी एजेंसी नासा में स्‍पेस टेक्‍नोलॉजी की पढ़ाई के लिए भी भेजा गया। कहते हैं कि सलाम का कदम विज्ञान की दुनिया में बढ़ रहा था और वर्ष 1979 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्‍कार भी दिया गया। वर्ष 1962 में सुपरको ने अपना पहला रॉकेट रहबर 1 को लॉन्‍च किया। कराची से लॉन्‍च हुए इस रॉकेट की लॉन्चिंग में नासा ने भी मदद की थी। वर्ष 1963 में भारत ने अपना पहला रॉकेट लॉन्‍च किया। पाक रॉकेट लॉन्चिंग के बाद एशिया का तीसरा ऐसा देश बना जिसने यह उप‍लब्धि हासिल की थी। पाक से पहले इजरायल और जापान ने यह उपलब्धि हासिल की थी। आज सुपरको की हालत यह है कि यह इसरो से आठ वर्ष पहले लॉन्‍च होने के बाद भी कई दशक पीछे चल रहा है। पढ़ें-कैसे इसरो की वजह से पाक के खिलाफ सर्जिकल स्‍ट्राइक होगी आसान

परमाणु कार्यक्रम पर लगा ध्‍यान

जहां एक तरफ इसरो ने 104 सैटेलाइट्स लॉन्‍च कर वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया है तो सुपरको को ऐसा करने में कम से कम दो दशकों का समय लगेगा। सुपरको ने खुद इसके लिए वर्ष 2040 का लक्ष्‍य तय किया है। तब तक भारत शुक्र ग्रुह पर पहुंच चुका होगा और मंगल का एक और चक्‍कर लगा चुका होगा। वर्ष 1970 में जहां भारत ने पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्‍च कर दिया था तो वहीं पाक सरकार का ध्‍यान और मकसद परमाणु बम बनाने में लग गया। पाक ने वर्ष 1990 में अपना पहला सैटेलाइट बदर 1 लॉन्‍च किया था और वह भी चीन की मदद से। वर्ष 1980 और 1990 में पाक के स्पेस प्रोग्राम के लिए वाकई बुरे दिन शुरू हुए। उस वर्ष पहले तो राष्‍ट्रपति जिया-उल-हक ने कई बड़े प्रोजेक्‍ट्स के लिए मिलने वाली रकम में कटौती कर ली और फिर कई मिलिट्री जनरल को संस्‍था में वैज्ञानिकों की जगह पर अहम पद दे डाले गए। पढ़ें-इसरो को क्‍यों सैल्‍यूट कर रही दुनियाभर की मीडिया

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English summary
Pakistan launched its space program eights years before India but now this country is far behind than India.
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