मोदी और ट्रंप के बीच 'दोस्ताना' और बढ़ा पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ का ब्लड प्रेशर
वॉशिंगटन। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली मुलाकात हुई। इस पहली ही मुलाकात में दोनों काफी सहज नजर आए। सिर्फ इतना ही नहीं इस मुलाकात के बाद जो तस्वीरें आनी शुरू हुईं, उन्हें देखकर लगा मानों दोनों एक दूसरे को काफी बरसों से जानते हैं। इन तस्वीरों से अगर कोई सबसे ज्यादा मुश्किल में है तो वह पाकिस्तान और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के माथे पर मुलाकात की शिकन को वहां की मीडिया ने भांप लिया है। दोनों ही नेताओं ने मुलाकात के बाद पाकिस्तान को साफ-साफ कहा है कि वह अपनी सरजमीं पर पनप रहे आतंकवाद पर लगाम लगाए नहीं हो उसके लिए यह परेशानी का सबब बन सकता है।
11,364 किलोमीटर दूर से ही नवाज पसीने-पसीने
इस्लामाबाद और वॉशिंगटन की दूरी 11 हजार किलोमीटर से ज्यादा है। लेकिन इतनी दूरी के बावजूद सोमवार को पाकिस्तान में एक अजीब सी बेचैनी थी। वजह भी लाजिमी थी, पीएम मोदी और ट्रंप की व्हाइट हाउस में पहली मुलाकात। मोदी पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं जिन्हें ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वर्किंग डिनर पर सम्मानित किया। पांच घंटे की इस मुलाकात पर पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ हर पल नजर बनाए हुए थे। दोनों की पांच घंटे की यह मुलाकात कभी उनका ब्लड प्रेशर हाई रही थी तो कभी लो।
पांच घंटे की मुलाकात
पांच घंटे की मुलाकात के दौरान भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजित डोवाल, मोदी के साथ थे तो ट्रंप के साथ एनएसए एचआर मैकमास्टर थे। हाल ही में मैकमास्टर पाकिस्तान की यात्रा करके पहुंचे हैं। दोनों नेताओं के बीच पेरिस क्लाइमेट डील, एच-1बी वीजा से लेकर एनर्जी सिक्योरिटी तक पर चर्चा हुई। लेकिन इन सबमें सबसे ऊपर था आतंकवाद। पीएम मोदी से मिलने से पहले ही अमेरिका की ओर से हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर सैय्यउ सलाउद्दीन को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया जा चुका था।
फिर आया वह बयान
दोनों नेता जब व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में आए तो जो बयान आया वह पाकिस्तान के लिए एक बड़े सबक की तरह ही था। दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से मांग की कि अब उसके लिए इस बात को सुनिश्चित करने का समय आ चुका है कि उसकी सरजमीं का प्रयोग आतंकवाद के लिए हरगिज न हो। दोनों नेताओं का ज्वाइंट स्टेटमेंट में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों का जिक्र था। साथ ही इस बयान में 26/11 और पठानकोट आतंकी हमलों के अलावा दूसरे सभी हमलों का जिक्र हुआ जिनकी साजिश पाकिस्तान में की गई थी।
पाक को चेतावनी
पिछले राष्ट्रपति बराक ओबामा से एक कदम आगे जाकर डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही आतंकी संगठनों और चरमपंथी विचाराधारा को तबाह करने के लिए मन बना चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम मिलकर चरमपंथी इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने के लिए काम करेंगे।
ओबामा के मुकाबले सख्त ट्रंप
विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप का रुख पाकिस्तान को लेकर हमेशा से ही काफी आक्रामक था। लेकिन अपने इस बयान से उन्होंने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद पर पाकिस्तान का लचर रवैया हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे। ट्रंप का बयान उनके और उनके प्रशासन के पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख को बयां करता है। भारत को ऐसे में उम्मीद रखनी चाहिए कि इस मुलाकात का कोई नतीजा जरूर निकलेगा।
अफगानिस्तान के लिए भारत की मदद से खुश ट्रंप
पीएम मोदी के व्हाइट हाउस पहुंचने से पहले अमेरिका ने कहा है कि भारत, अफगानिस्तान का सबसे भरोसेमंद साथी है।अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की ओर से नई अफगान रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट ट्रंप प्रशासन की अफगानिस्तान पर पेश की गई पहली रिपोर्ट थी। इस रिपोर्ट में कहा गया, 'भारत, अफगान ऑफिसर्स और जवानों को ट्रेनिंग के कई अहम मौके दे रहा है। करीब 130 अफगानी हर वर्ष विभिन्न मिलिट्री एकेडमी और कमीशनिंग प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए भारत आते हैं।'
अमेरिका ने पाक को बताया खतरा
आतंकवाद पर लगाम लगाने में फेल पाकिस्तान पर फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसियों ने कांग्रेस को बताया है कि पाकिस्तान उसकी सरजमीं से संचालित हो रहे आतंकी संगठनों को रोक पाने में नाकाम रहा है। पाकिस्तान की असफलता के चलते ये आतंकी संगठन इस क्षेत्र में अमेरिका के लिए लगातार खतरा बने रहेंगे। साथ ही आतंकी भारत और अफगानिस्तान पर सुनियोजित हमले करते रहेंगे।
'मैं और मोदी वर्ल्ड लीडर'
राष्ट्रपति ट्रंप ने मजाक में कहा कि वह और पीएम मोदी दोनों ही 'सोशल मीडिया पर वर्ल्ड लीडर' हैं और उनका यह मजाक उस समय आया जब दोनों नेता ज्वॉइन्ट स्टेटमेंट देने वाले थे। पहले ओवल ऑफिस में द्विपक्षीय वार्ता और फिर एक वर्किंग डिनर, साफ है कि पाकिस्तान ने ट्रंप की फोन कॉल पर जो एक झूठ दिसंबर में बोला था, उस पर अब उसे पछतावा हो रहा होगा। पाकिस्तान को यह समझ आ गया होगा कि कहीं न कहीं उसके यहां मौजूद आतंकी संगठन उसके लिए अब खतरा बन सकते हैं।