जानिए क्या होता है काउंसलर एक्सेस, क्यों पाकिस्तान को जाधव को देना पड़ा यह अधिकार
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की तरफ से कुलभूषण जाधव के लिए भारत को काउंसलर एक्सेस प्रस्ताव मिलने के बाद सोमवार को पाक में भारत के डिप्टी हाई-कमिश्नर गौरव आहलूवालिया जाधव से मुलाकात की है। 17 जुलाई को आए फैसले में आईसीजे ने पाक को आदेश दिया था कि वह जाधव को काउंसलर एक्सेस मुहैया कराए और साथ ही उसकी सजा पर तब तक के लिए रोक लगा दी है जब तक पाकिस्तान अपने फैसले का रिव्यू नहीं कर लेता। जानिए क्या होता है काउंसलर एक्सेस और क्यों पाकिस्तान, जाधव के मामले में इस बात के लिए विवश हुआ है।
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क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया
काउंसलर एक्सेस वह प्रक्रिया है जिसके जरिए किसी दूसरे देश में बंद नागरिक को उसके देश के दूतावास के अधिकारियों से मिलने का मौका दिया है। इसका मकसद कैदी को जरूरी या मानवीय मदद करना होता है। काउंसलर्स, किसी देश के उच्चायोग या दूतावास से हो सकते हैं। काउंसलर एक्सेस के तहत कानूनी सलाह और मदद दी जाती है ताकि कैदी को अपने देश में वापस जाने में संभव मदद मिल सके। 17 जुलाई को आए फैसले में आईसीजे ने पाक को आदेश दिया था कि वह जाधव को काउंसलर एक्सेस मुहैया कराए और साथ ही उसकी सजा पर तब तक के लिए रोक लगा दी है जब तक पाकिस्तान अपने फैसले का रिव्यू नहीं कर लेता।
काउंसलर संबंधों पर आधारित विएना संधि
काउंसलर संबंधों पर विएना संधि की शुरुआत वर्ष 1963 में हुई थी और यह एक अंतराष्ट्रीय संधि है। इसका मकसद आजाद देशों के बीच काउंसलर के संबंधों का एक खाका तैयार करना है। किसी दूसरे देश में काउंसल, दूतावास से अपना काम करता है और इसके दो अहम काम होते हैं। पहला वह मेजबान देश में अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करता है। दूसरा दो देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध स्थापित करत है। काउंसल को राजनयिक नहीं होता है लेकिन वह दूतावास से ही अपने काम को अंजाम देता है। इस संधि में 79 आर्टिकल हैं। विएना कनवेंशन में एक वैकल्पिक प्रोटोकॉल है जिसके बाद विवाद के समय इस संधि को साइन करने वाले इसे मान्य करने के लिए बाध्य होते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि में शामिल हैं और ऐसे में पाकिस्तान और भारत दोनों को ही विएना कनवेंशन का पालन करना होगा।
अमेरिका नहीं मानता काउंसलर एक्सेस
सिद्धांतों और वास्तविकता में काफी अंतर है। साल 2004 में आईसीजे ने 51 मैक्सिकन नागरिकों को लेकर फैसला दिया था। उस समय अमेरिका ने कोर्ट ट्रायल में इन सभी 51 नागरिकों को दोषी माना था। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि फैसला राष्ट्रीय कानूनों को किनारे नहीं कर सकता है। साल 2005 में अमेरिका ने खुद को इस वैकल्पिक प्रोटोकॉल से बाहर कर लिया। विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका ने हमेशा विदेशी नागरिकों को काउंसलर एक्सेस देने से इनकार कर दिया है। हाल ही में अमेरिका ने मैक्सिको के रॉबर्टो मारेनो रामोस को काउंसलर एक्सेस देने से इनकार किया और उसे फांसी की सजा दे दी।
भारत ने दिखाया आईना
इससे पहले पाकिस्तान ने दो अगस्त को जाधव को काउंसलर एक्सेस की पेशकश की थी। भारत ने उस एक्सेस को मानने से इनकार कर दिया था। दरअसल पाकिस्तान ने उस समय तीन शर्तों के साथ जाधव को एक्सेस दिया था। भारत ने कहा था कि निगरानी में मुलाकात संभव नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान, जाधव को बिना रोक-टोक वाला काउंसलर एक्सेस मुहैया कराए। भारत ने कहा है कि विएना कनवेंशन के आर्टिकल 36 का पहला पैरा कहता है कि 'अपने नागरिक से बात करने के लिए काउंसलर ऑफिसर्स पूरी तरह से फ्री होंगे। इसी तरह से जिस नागरिक को काउंसलर एक्सेस दिया गया है वह भी काउंसलर ऑफिसर्स से संपर्क करने और उनसे बात करने के लिए पूरी तरह से आजाद होगा।'