करतारपुर साहिब: जानिए पाकिस्तान के उस जिले के बारे में जहां है पावन गुरुद्वारा, जिसे मिस करते थे अभिनेता देव आनंद
नई दिल्ली। नौ नवंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच एक नई शुरुआत देखने को मिलेगी जब कई दशकों से अटका करतारपुर कॉरिडोर वाकई श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच करतारपुर कॉरिडोर का खुलना एक नई उम्मीद जैसा नजर आ रहा है। करतारपुर में दरबार साहिब गुरुद्वारा शायद एक नई शुरुआत की इबारत लिख सके। दरबार साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के उस नारोवाल जिले में है जो एवरग्रीन एक्टर देव आनंद की जन्मभूमि थी।
सांस्कृति और सैन्य विरासत को दी नई पहचान
नारोवाल, पाकिस्तान का वह जिला है जो है तो दुश्मन देश में लेकिन इसके बाद भी यहां से आए लोगों ने भारत की सांस्कृतिक और सैन्य विरासत को एक नई पहचान दी। बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर देव आनंद हों या फिर पंजाब के मशहूर कवि शिव कुमार बटालवी या फिर इंडियन आर्मी के परमवीर चक्र विजेता गुरबचन सिंह सलारिया, यह सब नारोवाल के ही थे। फैज अहमद फैज की धरती, नारोवाल हो सकता है कि आने वाले समय रेडक्लिफ लाइन के दोनों तरफ स्थित भारत और पाकिस्तान के बीच एक नई सुबह लेकर आए।
कठुआ, अमृतसर और गुरदासपुर से घिरा नारोवाल
नारोवाल, पाकिस्तान के पंजाब का जिला है और नारोवाल सिटी यहां की राजधानी है। जिस समय अंग्रेजों का शासन था उस समय नारोवाल, सियालकोट में आता था। सन् 1991 में नारोवाल जिला बना। इसके बाद सियालकोट से शकरगढ़ और नारोवाल को अलग कर दो नए जिले बना दिए गए। इसके उत्तर पश्चिम में सियालकोट है, उत्तर में भारत के जम्मू राज्य का कठुआ जिला है, दक्षिण पश्चिम में भारत का गुरदासपुर और पठानकोट तो दक्षिण में अमृतसर जिला है। वहीं दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान का शेखुपुरा जिला है। हो सकता है कि नौ नवंबर को जो रास्ता खुल रहा है, वह अब नफरत और खून-खराबे की जगह अमन और मोहब्बत का गवाह बने।
अपनी जन्मभूमि को मिस करते थे देव आनंद
2,337 स्क्वायर किलोमीटर तक फैले इस जिले की आबादी में 12.11 प्रतिशत आबादी शहरी है। 98 प्रतिशत लोग यहां पर पंजाबी बोलने वाले हैं तो बस 1.2 प्रतिशत लोग ही उर्दू जुबान में बात करते आपको मिलेंगे। एवरग्रीन एक्टर देव आनंद का जन्म नारोवाल के शकरगढ़ में हुआ था। वह हमेशा अपनी उस सरजमीं को याद करते थे जहां पर उन्होंने पहली बार सांस ली थी। यही वजह थी कि जब सन् 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर लाहौर लेकर गए तो देव आनंद को आगे की सीट पर जगह दी गई।