IMF ने पीएम इमरान खान से कहा, सरकारी नौकरों की सैलरी को रोको
इस्लामाबाद। आर्थिक तंगी और कोरोना वायरस महामारी से जूझते पाकिस्तान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने एक अपील कर मुश्किल में डाल दिया है। आईएमएफ ने पाक सरकार से अपील की है कि वह सरकारी कर्मियों की सैलरी रोक दे। आईएमएफ ने यह भी कहा है कि वह नए बजट में नाममात्र का प्राथमिक घाटा दिखाकर राजकोषीय जमा पर टिका रहे। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के सूत्रों की तरफ से यह जानकारी दी गई है।
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12 जून को आना है पाकिस्तान का बजट
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है। अखबार ने कहा कि आईएमएफ ने सरकारी कर्मियों की सैलरी रोकने के लिए कहा है। आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान से यह बात भी कही है कि उसे उच्च और अस्थिर सार्वजनिक कर्ज की वजह से राजकोषीय जमा को ही आगे बढ़ाना चाहिए ताकि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की कुल कीमत का 90 प्रतिशत हो जाए। पाकिस्तान पहले ही कोरोना वायरस की मार झेल रहा है। इस महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था जो पहले ही संकट में थी और ज्यादा मुश्किलों वाले हालात में पहुंच गई है। पाकिस्तान ने जी20 देशों से कर्ज में राहत की मांग की है। आईएमएफ ने इसे देखते हुए सरकारी कर्मियों की सैलरी को रोकने के लिए कहा है। हालांकि सरकार आईएमएफ की इस मांग का विरोध कर रही है। उसका मानना है कि देश में महंगाई की वजह से लोगों की वास्तविक आय को खत्म हो चुकी है। बहरहाल सरकार 67,000 से अधिक पदों को ख्त्म करने को तैयार हो चुकी है। यह ऐसी पोस्ट्स हैं जो एक साल से भी ज्यादा समय से खाली हैं। पाकिस्तान सरकार कोरोना महामारी के बीच 12 जून को देश का आम बजट पेश करेगी।
IMF ने दिया अरबों डॉलर का कर्ज
पाकिस्तान को पिछले दिनों आईएमएफ से 1.39 अरब डॉलर का कर्ज मिला है। इसके अलावा उसे छह अरब डॉलर का राहत पैकेज भी दिया गया है। आईएमएफ की तरफ से इस कर्ज को देने का मकसद आर्थिक नरमी की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार को दुरुस्त करना था। सेंट्रल स्टेट बैंक ऑफ पकिस्तान ने ट्विटर पर इस बारे में बताया था और लिखा था, 'एसबीपी को त्वरित वित्त पोषण व्यवस्था के तहत आईएमएफ से 1.39 अरब डॉलर मिला है।' पाकिस्तान ने मार्च में कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए आरएफआई के तहत सस्ता और तुरंत कर्ज उपलब्ध कराने की अपील की थी। आईएमएफ सदस्य देशों को तत्काल भुगतान संतुलन की जरूरत को पूरा करने के लिए आरएफआई के तहत आर्थिक मदद देता है। इस मदद को हासिल करने वाले देश को पूर्णकालिक कार्यक्रम तय करने की जरूरत नहीं पड़ती है।