ट्रंप के दबाव में चीन भी, पाक को कहा मसूद अजहर 'समस्या' का अब हल तलाशे
पाकिस्तान को दो टूक कह चुका है चीन अब जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर पर बैन के मुद्दे का जवाब तलाशे। चीन खुद भी अपने यहां पर अब आतंकवाद को झेलने पर मजबूर है।
बीजिंग। अमेरिका ने मंगलवार को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलान मसूद अजहर को बैन करने का प्रस्ताव यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में बढ़ाया है। लेकिन एक बार फिर से चीन ने इस पर टेक्निकल होल्ड लगा दिया है। वहीं इस बार इस टेक्निकल होल्ड के साथ ही चीन की बेचैनी को भी साफ-साफ देखा जा सकता है। चीन पिछले कई बार से अपनी वीटो ताकत का प्रयोग कर मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव में मुश्किलें डाल देता है।
पाक को चीन की खरी-खरी
चीन ने ऐसे समय में जैश कमांडर को आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव में अंड़गा डाला है जब वह खुद भी अपने यहां आतंकवाद को झेल रहा है। चीन के शिनजियांग प्रांत के उयघूर में पिछले कुछ माह से आतंकवादियों को आंदोलन जारी है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सूत्रों की ओर से भारत को जानकारी दी गई है कि इस बार चीन ने पाक को साफ कर दिया है कि वह अब इस मुद्दे का जवाब तलाशे। पाक की मीडिया में भी इस बात को लेकर खबरें हैं। चीन के डिप्लोमैटिक सूत्रों के हवाले से पाक की मीडिया ने लिखा है कि बीजिंग ने इस बार मसूद अजहर के मुद्दे पर पाक की ओर से हर बार वीटो ताकत के प्रयोग के अनुरोध पर अपनी नाखुशी जाहिर कर दी है। पाक के डेली दुनिया में आई रिपोर्ट में लिखा है कि एक सुपरपावर के तौर पर चीन यूनाइटेड नेशंस से इस एक मुद्दे पर खुद को बाहर नहीं रख सकता है। पाकिस्तान को अब इस समस्या का हल तलाशना होगा और अंतराष्ट्रीय समुदाय को संतुष्ट करना पड़ेगा।
चीन के अंदर ही अब पैदा हो रहे मतभेद
इससे
पहले
एक
ब्लॉग
में
भी
चीन
के
पूर्व
कांसुलेट
जनरल
ने
भी
इस
मुद्दे
पर
चीन
की
सरकार
को
अपना
रुख
बदलने
के
लिए
कहा
था।
कोलकाता
में
कांसुलेट
जनरल
के
तौर
पर
रहे
माओ
सिवेई
ने
एक
ब्लॉग
लिखकर
चीन
के
मसूद
अजहर
के
रुख
के
बारे
में
लिखा।
सिवेई
का
यह
ब्लॉग
इस
तरफ
इशारा
था
कि
आतंकवाद
के
मुद्दे
और
हर
मसले
पर
पाकिस्तान
को
समर्थन
देने
के
मुद्दे
पर
चीन
के
अंदर
ही
मतभेद
हो
सकते
हैं।
माओ
ने
पाकिस्तान
का
समर्थन
तो
किया
लेकिन
यह
भी
कहा
कि
चीन
पाक
को
इस
बात
को
समझाए
कि
कुछ
मसलों
में
इसे
चीन
की
अहमियत
समझनी
होगी।
उन्होंने
लिखा,
'चीन
हमारे
'आयरन
बॉर्डर'
के
साथ
रणनीतिक
रिश्तों
का
आनंद
उठाता
है
लेकिन
कृपया
मुद्दों
को
और
न
गर्माएं।'
उन्होंने
जिक्र
भी
किया
कि
चीन
अगर
अजहर
को
यूनाइटेड
नेशंस
के
यूएन
1267
लिस्ट
में
शामिल
करने
के
रास्ते
में
नहीं
आता
तो
पाकिस्तान
और
भारत
के
अलावा
बाकी
दुनिया
पर
इसका
कितना
सकरात्मक
असर
होता?
पढ़ें-कौन
है
चीन
का
'चहेता'
आतंकी
मौलाना
मसूद
अजहर
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