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Mother's Day : मिलिए बेटों को कलेक्टर बनाने वालीं मां से, मजबूरी में झाड़ू लगाने से लेकर दारू तक बेची

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नई दिल्ली, 7 मई। मां...। यह इकलौता शब्द बच्चों के लिए पूरी दुनिया है। ये ही वो शख्स है जो खुद के दम पर बच्चों की तकदीर बदल सकती है। मदर्स डे 2022 के मौके पर हम आपको ऐसी ही माओं से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने मुश्किल हालात में संघर्ष करके अपने बेटों को आईएएस सरीखे असफर बनाए।

mothers day 2022

पति की मौत के बाद इन महिलाओं के सामने बच्चों को पालने का संकट खड़ा हो गया था, मगर हिम्मत नहीं हारी। इन्होंने सड़कों पर झाड़ू लगाई। दारू व चूड़ियां बेची। सिलाई भी की।

मां विमल देवी : बेटा IAS रमेश घोलप

मां विमल देवी : बेटा IAS रमेश घोलप

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के महागांव में गोरख घोलप व विमल देवी के घर 30 अप्रैल 1988 को बेटा जन्मा। नाम रखा रमेश घोलप। पिता गोरख घोलप पंक्चर बनाने की दुकान चलाते थे। मां आस-पास के गांवों में चूड़ियां बेचा करती थी। एक पैर से दिव्यांग रमेश 12वीं कक्षा में थे तब इनके पिता की मौत हो गई।

Ramesh Gholap Viral Photos : कभी पिता बनाते थे पंक्चर, मां बेचती थीं चूड़ियां और बेटा बना IAS<br/>Ramesh Gholap Viral Photos : कभी पिता बनाते थे पंक्चर, मां बेचती थीं चूड़ियां और बेटा बना IAS

पढ़ाई छोड़कर काम करके मां का हाथ बंटाना चाहा तो मां ने साफ इनकार कर दिया और खु​द चूड़ियां बेचती रहीं। बेटे को खूब पढ़ाया और काबिल बनाया। साल 2012 में दूसरे प्रयास में रमेश घोलप 287वीं रैंक के साथ आईएएस बने गए। झारखंड कैडर में कोडरमा डीएम समेत कई पदों पर सेवाएं दे चुके हैं।

मां कमलाबाई : बेटा IAS डॉ. राजेंद्र भारूड़

मां कमलाबाई : बेटा IAS डॉ. राजेंद्र भारूड़

महाराष्ट्र ​के धुले जिले के सामोडा में 7 जनवरी को 1988 को आदिवासी भील समाज के बंडू भारूड़ व कमला बाई के घर राजेंद्र भारूड़ का जन्म हुआ। राजेंद्र जब अपनी मां के गर्भ में थे तब इनके पिता बंडू भारूड़ की मौत हो गई। परिवार व रिश्तेदारों ने कमलाबाई ने बच्चा गिराने की सलाह दी, क्योंकि परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण सबको लगता था कि कमलाबाई बच्चे को पाल नहीं सकेगी।

Rajendra Bharud : गर्भ में थे तब पिता की मौत, मां ने शराब बेचकर पढ़ाया, बेटा पहले IPS फिर बना IAS<br/>Rajendra Bharud : गर्भ में थे तब पिता की मौत, मां ने शराब बेचकर पढ़ाया, बेटा पहले IPS फिर बना IAS

राजेंद्र के जन्म के बाद कमलाबाई ने शराब बेचना शुरू कर दिया। न केवल राजेंद्र को पाला बल्कि पढ़ाकर लिखाकर काबिल भी बनाया। बारहवीं कक्षा 90 प्रतिशत और दसवीं 95 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण ​की। वर्ष 2011 में कॉलेज के बेस्ट स्टूडेंट चुने गए। 2013 में पहले ही प्रयास में महाराष्ट्र कैडर के आईएएस बन गए। नंदूरबार जिले के कलेक्टर भी रहे।

मां मोहन कंवर : बेटा RAS राजेंद्र सिंह शेखावत

मां मोहन कंवर : बेटा RAS राजेंद्र सिंह शेखावत

राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय के पास छोटे से कस्बे शिश्यु रानोली के रघुनाथ सिंह शेखावत व मोहन कंवर के घर दो बेटी सुमन व ममता के बाद 30 जनवरी 1982 को राजेंद्र सिंह शेखावत का जन्म हुआ। दस साल रघुनाथ सिंह की मौत हो गई। तीनों बच्चों को पालने की जिम्मेदारी मोहन कंवर के कंधे पर आ गई।

राजेन्द्र सिंह शेखावत : मां ने सिलाई करके पढ़ाया, बेटा 6 बार लगा सरकारी नौकरी, अफसर बनकर ही माना<br/>राजेन्द्र सिंह शेखावत : मां ने सिलाई करके पढ़ाया, बेटा 6 बार लगा सरकारी नौकरी, अफसर बनकर ही माना

मोहन कंवर ने हिम्मत नहीं हारी और ​घर पर ही सिलाई का काम करने लगी। बेटा राजेंद्र भी होनहार निकला। निजी स्कूल में ​बतौर​ शिक्षक व घर-घर जाकर बच्चों को टयूशन पढ़ाने के साथ राजेंद्र सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की।

राजेंद्र सिंह शेखावत सबसे 2005 में थर्ड ग्रेड शिक्षक की नौकरी लगे। फिर छह बार अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की। साल 2015 में वर्ष 2015 में राजस्थान प्रशासन सेवा (आरएएस) में पुरुष वर्ग में तीसरी रैंक प्राप्त कर आरएएस अधिकारी बने। जयपुर के दूदू में एसडीएम भी रहे।

मां सु​मित्रा देवी : बेटे कलेक्टर, इंजीनियर व मेडिकल अफसर

मां सु​मित्रा देवी : बेटे कलेक्टर, इंजीनियर व मेडिकल अफसर

चार साल पहले तक सुमित्रा देवी झारखंड के रामगढ़ जिले के रजरप्पा टाउनशिप में झाड़ू लगाया करती थी। रिटारमेंट हुआ तब समारोह में बिहार सिवान के जिला कलेक्टर महेंद्र कुमार, रेलवे चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार व मेडिकल अफसर धीरेंद्र कुमार पहुंचे। ये तीनों बड़े अफसर कोई और नहीं बल्कि सुमित्रा देवी के बेटे थे।

तीन बेटे के जन्म के बाद पति की मौत हो गई तो घर की जिम्मेदारी सुमित्रा ने अपने कंधों पर ली और बेटों को खूब पढ़ाया लिखाया। नतीजा आज हम सबके सामने है। इनके घर बिजली नहीं थी। फिर भी तीनों भाई कभी स्ट्रीट लाइट के नीचे तो कभी दोस्तों के घर जाकर पढ़ते थे।

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English summary
Mothers Day 2022 special story Meet mothers who make sons collectors
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