Zika Virus: केरल के बाद महाराष्ट्र में दस्तक, कोरोना से क्यों जुड़ रहे हैं तार ? जानिए
पुणे, 1 जुलाई: महाराष्ट्र में जीका वायरस का पहला मामला शनिवार को पुणे जिले से सामने आया है। इससे पहले कोरोना से इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित केरल में इसके 60 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। हालांकि महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कहा है कि कि घबराने की बात नहीं है और जो महिला इससे संक्रमित हुई थी, वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। लेकिन, स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मच्छर की वजह से फैलने वाले इस वायरस ने इसलिए चकरा दिया है, क्योंकि इसकी शुरुआती जांच के दौरान उन्हें कोविड-19 वाले लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
पुणे में 50 साल की महिला जीका वायरस से संक्रमित हुई
महाराष्ट्र में जीका वायरस का पहला मामला पुणे जिले के पुरंदर तहसील के बेलसर गांव में सामने आया है। यहां पर 50 साल की एक महिला की जांच में इस वायरस का पता चला है। हालांकि, वह महिला अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'वह और उसके परिवार के सदस्यों में कोई लक्षण नहीं हैं।' उसकी रिपोर्ट शुक्रवार को आई है। जीका वायरस का मामला सामने आने से महाराष्ट्र में इसलिए हड़कंप है, क्योंकि केरल में कोरोना के साथ-साथ इसके मामले लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। शनिवार को वहां एक नाबालिग लड़की समेत दो और नए केस सामने आए हैं। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक जीका वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या वहां 63 तक पहुंच चुकी है।
Recommended Video
कोरोना जैसे लक्षण के चलते जांच में चुनौती
कोविड के कहर के बीच जीका वायरस की जांच स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए इसलिए चुनौती साबित हो रही है, क्योंकि इसके संक्रमण के शुरुआती स्टेज में इसके कुछ क्लिनिकल लक्षण एसएआरएस-सीओवी2 जैसे संक्रमण वाले ही होते हैं, जो कि कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार है। पिछले साल जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में एक्सपर्ट ने लिखा था कि इसीलिए इसकी जांच एक चुनौती है।
जीका वायरस के लक्षण
रिपोर्ट के मुताबिक जीका वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं पैदा होते। वैसे जीका वायरस के लक्षणों में बुखार, स्किन रैशेज, कंजंक्टिवाटिस ,मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, बेचैनी और सिर दर्द शामिल हैं। इसके लक्षण बहुत कुछ मच्छरों की वजह से होने वाले दूसरी बीमारियां जैसे कि डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं। आमतौर पर जीका वायरस के लक्षण बहुत ही हल्के होते हैं और 2 से 7 दिनों तक रहते हैं। 4 में से एक ही संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण विकसित होते हैं।
क्या जीका वायरस चिंता की वजह है?
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के विशेषज्ञों ने कहा कि जीका वायरस चिंता की वजह हो सकता है और देश में फैल रहे वायरस के स्ट्रेन को समझने की कोशिश की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीका वायरस स्थानीय स्तर पर फैल सकता है। 2015 में गर्भावस्था के दौरान इससे संक्रमित हुई माताओं से पैदा हुए बच्चों में माइक्रोसेफली की समस्या देखी गई थी। वैसे आमतौर पर यह वायरस गर्भवती महिलाओं के अलाव दूसरों के लिए खतरनाक नहीं माना जाता। भारत में इसका पहला मामला 2017 में गुजरात में और फिर तमिलनाडु में आया था। 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में यह बीमारी बड़े पैमाने पर फैली थी।
इसे भी पढ़ें- तमिलनाडु सरकार सख्त, केरल से आने वाले लोगों को दिखानी होगी RT-PCR रिपोर्ट
जीका वायरस संक्रमण से बचाव कैसे करें ?
जीका वायरस से संक्रमण का बचाव वही है जो मच्छरों के कारण पैदा होने वाली बीमारियों से है, जैसे कि डेंगू। एडीज मच्छर और उनके प्रजनन स्थल जीका वायरस के संक्रमण के लिए एक महत्वपूर्ण कारण हैं। मच्छरों की रोकथाम ही इस वायरस से बचाव का भी सबसे जरूरी और कारगर उपाय है। अपने आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छरदानी और दूसरे उपायों का प्रयोग करें। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)