मुकेश अंबानी से सिर्फ उगाही नहीं, सचिन वाजे गैंग की ये सब भी थी योजना
मुंबई, 8 सितंबर: पुलिस की नौकरी से बर्खास्त हो चुके सचिन वाजे ने मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी से बड़ी उगाही की योजना बना रखी थी। यह जानकारी मुंबई में अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से लदे वाहन रखे जाने के मामले में दर्ज चार्जशीट में एनआईए ने दी है, जिसके मुताबिक इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड मुंबई का पूर्व एसिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे है। इस मामले में एनआईए ने अबतक कुल 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जिसमें शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ चुका पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का नाम भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर कारोबारी मनसुख हिरेन के कत्ल में बहुत बड़ी भूमिका अदा की थी।
'अमीरों और धनाढ्यों को आतंकित करने की थी चाल'
उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर एंटीलिया के बाहर इस साल 25 फरवरी को विस्फोटकों से लदी गाड़ी खड़ी करने के मामले में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने जो चार्जशीट अदालत में दायर की है उसके मुताबिक इसके पीछे का मकसद स्पष्ट रूप से अमीरों को आतंकित करके पैसे की उगाही करना था। चार्जशीट के मुताबिक, 'इरादा स्पष्ट रूप से धनी और धनाढ्य व्यक्तियों को आतंकित करने का था.....यह रखकर पैसों की उगाही करना था.....गंभीर परिणाम भुगतने का डर दिखाना था.....'जिसके तहत आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के साथ-साथ आईपीसी की सख्त धाराएं लागू होती हैं। एनआईए के मुताबिक गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी से साफ जाहिर है कि वह इस पूरी साजिश से अंबानी से मोटी उगाही करना चाहता था। इसलिए वह खुद ही विस्फोटक लदी वह स्कॉर्पियो अंबानी के बंगले पर लेकर गया और उसके पीछे चल रही पुलिस की गाड़ी के ड्राइवर को उसके इरादों की जरा भी भनक नहीं थी।
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'आतंकी वारदात से तार जोड़ने की साजिश'
एनआईए के मुताबिक इस साजिश में 5 सेवारत और पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा समेत रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। इन लोगों ने पूरी साजिश को अंजाम देने के लिए 5 और लोगों को भी अपने साथ जोड़ा, जिनमें से कुछ का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। एनआईए ने कहा है कि गाड़ी में अंबानी को धमकाने वाला नोट सचिन वाजे ने ही छोड़ा था, जिसमें लिखा था- 'अगले बार कनेक्ट होकर आएगा।' यह धमकी सीधे तौर पर अगली बार विस्फोटकों को सर्किट से जोड़कर रखे जाने से जुड़ी थी। यही नहीं इस साजिश को जानबूझकर आतंकी वारदात से जोड़ने के लिए टेलीग्राम ऐप पर कथित मैसेज छोड़ा गया था, जिसमें विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी जैश-उल-हिंद नाम के आतंकी संगठन की ओर से लेने का दावा किया गया था। इसके बाद जिस तरह से मनसुख हिरेन की हत्या हुई, उसके जरिए वह इसे पुख्ता तौर पर आतंकी वारदात साबित करना चाहता था।
खुद को 'सुपरकॉप' साबित करना चाहता था वाजे
इतना ही नहीं एनआईए के मुताबिक इस वारदात को अंजाम देकर सचिन वाजे खुद को 'सुपरकॉप' भी साबित करना चाहता था, ताकि वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट वाली अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा को फिर से हासिल कर सके। इसलिए, वाजे ने पहले अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक प्लांट किया और फिर उसकी जांच के लिए खुद ही सबसे पहले वहां पहुंच गया। चार्जशीट के मुताबिक इस गहरी साजिश के जरिए न सिर्फ अंबानी परिवार, बल्कि आम जनता को भी आतंकित करने की साजिश रची गई थी। दूसरे दिन जब पुलिस ड्राइवर ने न्यूज देखा तो वह भौंचक्का रह गया, लेकिन वाजे ने उसे मुंह न खोलने की चेतावनी दे दी थी।
'हिरेन के कत्ल के लिए दिए 45 लाख'
चार्जशीट के मुताबिक यह इतनी सोची-समझी गहरी साजिश थी और इसमें इतनी मोटी उगाही का टारगेट तय था कि वाजे ने पहले से होटल ओबेरॉय में सुशांत खामकर के फर्जी नाम से 100 रातों के लिए रूम बुक करा लिया था। उसने सोचा था कि इतनी बड़ी साजिश रचने और उसे अमल में लाने के लिए यह सबसे सुरक्षित ठिकाना था। एनआईए के अनुसार उसी ने पुलिस कमिश्नर के दफ्तर का विजिटर रिकॉर्ड नष्ट कर दिया, ताकि उसका नाम न आ सके। यही नहीं उसी के कहने पर मनसुख हिरेन ने पहले विक्रोली थाने में 17 फरवरी को अपनी स्कॉर्पियो चोरी होने की फर्जी रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसे वाजे ठाणे स्थित अपनी हाउसिंग सोसाइटी में लेकर गया था। लेकिन, जब हिरेन ने आगे उसका साथ देने से इनकार कर दिया तो वाजे और उसके गैंग ने उसको भी मारने की भी साजिश रच दी। अदालत में अभियोजन पक्ष ने कहा है कि हिरेन की हत्या के लिए 45 लाख रुपये दिए गए। इस काम को अंजाम देने में शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ चुके पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी।