सिर्फ 2 रुपए किलो बिक रहे टमाटर, किसानों को भारी घाटा, नागपुर-मुंबई हाईवे पर ऐसे उड़ेल दीं ट्रॉलियां
मुंबई। उत्तर भारत के कई शहरों में लोगों को ताजा एवं सस्ते टमाटर खरीदने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। मगर, महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद जिलों में टमाटर की कोई कमी नहीं है। यहां टमाटरों का उत्पादन इतना ज्यादा होता है कि हर साल बड़ी मात्रा में टमाटर फेंकने पड़ जाते हैं। किसान घाटा झेलते हैं, क्योंकि थोक विक्रेताओं की कम खरीद दरों के कारण वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पाते। आज नागपुर-मुंबई हाईवे पर कई गांव-कस्बों के किसानों ने जगह-जगह कई टन टमाटर फेंके। किसानों ने कहा कि, टमाटर के भाव 2 रुपए किलो तक लगाए गए, ऐसे में भला कैसे मुनाफा हो सकता है?
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शिलगांव
थाना
के
प्रभारी
सहायक
पुलिस
निरीक्षक
रवींद्र
खांडेकर
के
मुताबिक,
किसान
टमाटरों
की
अच्छी
कीमत
न
लगाए
जाने
की
वजह
से
परेशान
हैं
और
यही
वजह
है
कि
किसान
टमाटर
से
लदी
ट्रैक्टर-ट्रॉली
राजमार्ग
के
किनारे
उड़ेल
गए।
पुलिस
निरीक्षक
ने
बताया
कि,
औरंगाबाद
जिले
के
गंगापुर
तालुका
के
किसान
अपने
ट्रैक्टर-ट्रॉली
लेकर
लासुर
स्टेशन
पहुंचे
और
वहीं
टमाटर
को
राजमार्ग
के
किनारे
फेंक
दिया।
इसी
तरह
गंगापुर
के
धमोरी
खुर्द
गांव
के
उप
सरपंच
रवींद्र
चव्हाण
ने
कहा,
"2
रुपये
किलो
का
भाव
लग
रहा
है...,
हमें
इससे
क्या
बचेगा"
किसानों की आय दोगुना कराने में जुटी सरकार, आप मूंग के बाद प्याज की खेती कर ले पाएंगे दुगना फायदा
एक
और
किसान
ने
कहा,
'थोक
विक्रेता
हमारे
टमाटर
को
100
रुपये
प्रति
क्रेट
के
हिसाब
से
ले
रहे
हैं।
एक
क्रेट
लगभग
25
किलो
का
होता
है।
अब
सोचिए
कि,
मुनाफा
कैसे
होगा?
यदि
रेट
300
रुपये
प्रति
क्रेट
होगी,
तो
हमारे
लिए
नुकसान
की
स्थिति
नहीं
होती
है।
मुनाफे
के
लिए
यह
रेट
बढ़ाए
जाने
चाहिए।'
सड़क
किनारे
इतनी
बड़ी
मात्रा
में
सड़ते
टमाटरों
को
देखकर
बड़े
शहरों
के
लोग
जरूर
चिंतित
होते
होंगे
कि,
उन्हें
तो
टमाटर
मिल
नहीं
पा
रहे
और
दूसरी
ओर
किसानों
की
भी
बर्बादी
हो
रही
है।
सब्जियां
उत्पादित
करने
वाले
किसानों
का
कहना
है
कि,
सरकार
को
इस
मामले
पर
गौर
करना
चाहिए
और
अगर
दरों
में
और
कमी
आती
है
तो
सरकार
को
नुकसान
की
भरपाई
करनी
चाहिए।
इसी
तरह
गुजरात
में
सड़ती
है
प्याज
जैसे
महाराष्ट्र
में
टमाटर
बिगड़
रहे
हैं...कुछ
इसी
तरह
गुजरात
के
कई
जिलों
में
प्याज
की
पैदावार
करने
वाले
किसान
भी
घाटा
झेलते
हैं।
गुजरात
में
भावनगर
समेत
कई
जिलों
में
हजारों
किलो
प्याज
सड़कों
किनारे
फेंकने
पड़ती
है।
किसान
यूनियनों
का
कहना
हैं
कि,
सरकार
बेहतर
खरीद
व्यवस्था
बनाए
तो
सब्जी
खरीदने
वाले
ग्राहक
और
विक्रेता
दोनों
का
फायदा
हो
सकता
है।