एकनाथ शिंदे का बड़ा दांव, शिवसेना की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का किया गठन, उद्धव ठाकरे को बनाया अध्यक्ष
मुंबई, 19 जुलाई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को खुद को शिवसेना का मुख्य नेता घोषित कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना के बागी नेताओं के साथ एक नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है। हालांकि उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे ने नई कार्यकारिणी का अध्यक्ष बनाया है। गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट की सुनवाई से पहले शिंदे ने यह अहम कदम उठाया है। दरअसल शिवसेना के 19 में से 12 सांसदों ने भी शिंदे के नई कार्यकारिणी के गठन के फैसले को अपना समर्थन दिया है।
उद्धव ठाकरे ने खारिज किया
हालांकि उद्धव ठाकरे को पार्टी का मुखिया बनाया गया है, ऐसे में साफ है कि बागी विधायक उद्धव ठाकरे को मुख्य नेता बनाए रखना चाहते हैं, साथ ही शिंदे के साथ भी रहना चाहते हैं क्योकि पार्टी के अधिकतर सांसद और विधायक उन्हें अपना समर्थन दे रहे हैं। एकनाथ शिंदे का यह फैसला चौंकाने वाला नहीं है, उद्धव ठाकरे ने इन फैसलों को ठुकरा दिया है, उन्होंने पहले ही एकनाथ शिंदे को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नेता के पद से हटा दिया है।
उद्धव ठाकरे रहेंगे अध्यक्ष
शिंदे गुट के शिवसेना सांसद ने कहा कि उद्धव ठाकरे को पार्टी का अध्यक्ष बनाए रखा गया है, लेकिन शिंदे पार्टी के मुख्य नेता होंगे। इसके अलावा संगठन में अन्य पदों पर भी नियुक्ति की गई है, जिसमे आनंदराव अदसुल, रामदास कमम को पार्टी ने पार्टी का नेता नियुक्त किया है। तानाजी सावंत, गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, पूर्व सांसद शिवाजीराव अधलराव पाटिल, यशवंत जाधव, विजय नहाता, शरद पोंखशे को पार्टी के डेप्युटि नेता के पद पर नियुक्त किया गया है जबकि विधायक दीपकर केसरकर को पार्टी का मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।
कानूनी लड़ाई के लिए नए पद का गठन
शिवसेना के भीतर के नियमों के अनुसार पार्टी के मुखिया की मदद के लिए नेता होते हैं और इसके अलावा उपनेता होते हैं, जिनकी मदद से पार्टी का संचालन होता है। एकनाथ शिंदे के लिए चीफ लीडर का नया पद गठित किया गया है। नवनियुक्त उपनेता ने कहा कि उद्धव जी को पार्टी का अध्यक्ष बनाए रखने का फैसला हर किसी का है, लेकिन कानूनी लड़ाई को देखते हुए एकनाथ शिंदे को चीफ लीडर बनाया गया है। इसके जरिए बागी शिवसेना गुट यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि पार्टी के भीतर किसी भी तरह की फूट नहीं प़ी है। पार्टी ने हिंदुत्व के समर्थक यानि भाजपा के साथ गठबंधन किया है।