हाईकोर्ट ने तलाक मामले में महिला को दिया आदेश, पूर्व पति को 3000 रुपया दे गुजारा भत्ता
मुंबई, 31 मार्च। तलाक के बाद महिला को गुजारा भत्ता मिलने की बात आम है लेकिन महाराष्ट्र में एक ऐसा केस सामने आया है जिसमें अदालत ने महिला को अपने पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने फैसले में महिला को अपने पूर्व पति को गुजारा भत्ता के रुप में प्रति माह 3 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।
सेलरी से पैसा काटने का आदेश
महिला स्कूल टीचर है और उसने अपने पति को अदालत के आदेश के बावजूद 2017 से गुजारा भत्ता नहीं दिया है। मामले में नांदेड़ की निचली अदालत ने महिला को अपने पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने महिला जहां पढ़ाती है उस स्कूल को निर्देश दिया है कि हर महीने उसके वेतन से पांच हजार रुपये काटे जाएं और उसे अदालत में जमा कराया जाए।
मामले की सुनवाई जस्टिस भारती डांगरे की पीठ में हुई। महिला ने अपनी दलील में कहा कि उसका तलाक पहले हो चुका था और अदालत ने गुजारा भत्ता देने का आदेश उसके बाद दिया था जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
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क्या था मामला?
नांदेड़ के एक शख्स ने अपनी पूर्व पत्नी से गुजारा भत्ता पाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद नांदेड़ में सेकंड जॉइंड सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने पाया कि शख्स की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जिस पर कोर्ट ने महिला को केस की सुनवाई पूरी होने तक पूर्व पति को 3 हजार रुपये अंतिरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
कोर्ट के आदेश के बाद भी महिला ने गुजारा भत्ता देने का पालन नहीं किया जिसके बाद पूर्व पति ने दोबारा अदालत से अपील की। इसके बाद कोर्ट ने स्कूल प्रिसिपल को आदेश दिया कि महिला के वेतन से हर माह पांच हजार रुपये काटकर कोर्ट में जमा कराने को कहा।
गुजारा भत्ता मिलना हक
महिला ने कोर्ट के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में चुनौती। महिला ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका विवाह 1992 में हुआ था लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही वह अपने पति से अलग हो गई थी। 2015 में कोर्ट से उनके तलाक को भी मंजूरी मिल गई थी। महिला ने नांदेड़ अदालत के फैसले को कानूनन यह कहते हुए गलत बताया कि यह तलाक की डिक्री के बाद का है।
महिला के दावे पर पूर्व पति के वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 का हवाला दिया जो कहती है कि पति या पत्नी की आर्थिक स्थिति देखते हुए अदालत उनमें से किसी को भी गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है। अदालत का आदेश पर तलाक होने से असर नहीं पड़ता।
निचली अदालत का फैसला सही
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 कहती है कि पति या पत्नी में से किसी एक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और दूसरे की ठीक है तो कमजोर पक्ष दूसरे वाले से गुजारा भत्ता मांग सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा गुजारा भत्ता अंतिम फैसला आने तक यहां हमेशा के लिए भी हो सकता है।
जस्टिस भारती डांगरे ने कहा कि वर्तमान केस में पूर्व पति की मांग पर फैसला आना बाकी है। इस वजह से फैसला आने तक महिला को पूर्व पति को 3 हजार रुपये अंतरिम गुजार भत्ता दिया जाने का निचली अदालत का आदेश सही है।
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