BMC में बिना अनुमति ड्रग ट्रायल जैसा मामला, हार्ट के मरीजों पर जाइलोकेन दवा का प्रयोग
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर द्वारा हार्ट के मरीजों पर जाइलोकेन दवा से इलाज करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन मरीजों पर इस दवा के प्रयोग से पहले एथिकल कमेटी से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
Madhya Pradesh के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में निश्चेतना विभाग के एचओडी व प्रोफेसर डॉ. सर्वेश जैन ने दावा किया है कि हार्ट व अटैक के मरीजों के इलाज के लिए जाइलोकेन दवा का सफल प्रयोग किया है। इससे मरीजों को चंद मिनटों में राहत मिल जाती है। उन्होंने कहा था कि करीब 25 मरीजों पर इस दवा का प्रयोग किया गया, जिसमें से 23 में सफलता मिली है, दो को बीपी व हल्की परेशानी भर हुई है। डॉ. सर्वेश जैन ने खुद स्वीकार किया कि इसके लिए उन्होंने एथिकल कमेटी से अनुमति नहीं ली थी। मेडिकल जर्नल में यह शोध इसलिए नहीं छपवाया, क्योंकि काफी टाइम लगता। इसके बाद से कार्डियक विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञों ने उनके दावे को गलत बताया। वहीं बीएमसी में अवैध रुप व अनैतिक रुप से ड्रग ट्रायल के आरोप भी लगने लगे हैं।
Bundelkhand Medical College में निश्चेतना विभाग के प्रोफेसर डॉ. सर्वेश जैन द्वारा हार्ट अटैक के मरीजों पर अपने शोध का प्रयोग करने के मामले में जिम्मेदार अफसरों ने मौन साथ लिया है। कारण डॉ. सर्वेश जैन मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन सागर के अध्यक्ष हैं, आईएमए में पदाधिकारी हैं। उन्होंने बगैर अनुमति हार्ट के मरीजों पर जाइलोकेन दवा का प्रयोग किया, इस पर न तो कोई सवाल-जवाब किया गया न उन्हें नोटिस दिया गया है। वजह डॉ. सर्वेश जैन का कॉलेज में और शहर की चिकित्स लॉबी में दबदवा और राजनीतिक एप्रोच होना बताया जा रहा है। ऐसे में अफसरों को डर है कि यदि इन पर कोई कार्रवाई हुई तो कहीं अन्य चिकित्सक विरोध न कर दें। इस कारण बीएमसी के डीन डॉ. आरएस वर्मा से लेकर एथिकल कमेटी के अध्यक्ष सब मौन साथ गए हैं। जबकि डॉ. जैन ने सिविल लाइन स्थित एक होटल में चार दिन पहले बाकायदा प्रेस कॉंफ्रेंस कर इस बात को खुद मीडिया के सामने रखा था।
इंदौर
में
अवैध
व
अनैतिक
ड्रग
ट्रायल
का
मामला
उजागर
हुआ
था
मप्र
में
ऐसा
ही
ड्रग
ट्रॉयल
का
एक
मामला
इंदौर
में
सामने
आ
चुका
है।
जिसमें
डॉक्टरों
ने
विदेशी
कंपनियों
से
पैसा
लेकर
अनैतिक
ड्रग
ट्रायल
किया
था।
इस
मामले
में
3607
लोगों
पर
दवाओं
का
ट्रायल
किया
गया,
जिसमें
80
से
भी
ज्यादा
मरीजों
की
मौत
हुई
थी।
इस
ड्रग
ट्रायल
में
डॉक्टरों
ने
विदेशी
कंपनियों
से
करोड़ों
रुपए
कमाए
और
अब
इनकी
वसूली
भी
की
जा
रही
है।
इस
मामले
के
बाद
बीएमसी
में
बगैर
एथिकल
कमेटी
की
अनुमति
के
हो
रहे
प्रयोगों
पर
सवाल
उठना
लाजमी
है,
कि
कहीं
सागर
में
भी
दवा
कंपनियां
ही
ऐसा
प्रयोग
तो
नहीं
करा
रहीं।
इंदौर
में
एक
मरीज
पर
ड्रग
ट्रायल
के
मिलते
थे
डेढ़
लाख
रुपए
जानकारी
अनुसार
साल
2008-09
में
अनैतिक
ड्रग
ट्रायल
का
मामला
सामने
आया
था।
इसमें
2011-12
में
महात्मा
गांधी
मेडिकल
कॉलेज
के
डॉक्टर्स
भी
लिप्त
पाए
गए।
विधानसभा
में
मामला
उठने
के
बाद
सरकार
ने
ईओडब्ल्यू
व
लोकायुक्त
को
जांच
सौंपी
थी,
जिसके
बाद
सामने
आया
कि
इंदौर
के
छह
डॉक्टर्स
ने
सरकार
की
इजाजत
के
बिना
मरीजों
और
उनके
परिजन
समेत
3607
लोगों
पर
दवाओं
का
ट्रायल
किया।
इस
ट्रायल
के
दौरान
81
मरीजों
की
मौत
हुई,
जबकि
डॉक्टर्स
ने
इस
ड्रग
ट्रायल
के
एवज
में
कंपनियों
से
5
करोड़
रुपए
से
ज्यादा
कमाए।
इंदौर
में
हुए
अनैतिक
ड्रग
ट्रायल
करने
वाले
डॉक्टरों
ने
50-50
लाख
रुपए
तक
कमाए।
कुछ
डॉक्टरों
को
एक
मरीज
पर
ट्रायल
करने
के
एवज
में
डेढ़
लाख
रुपए
तक
मिले।
एक-एक
डॉक्टर
ने
50
से
एक
हजार
मरीजों
तक
पर
ड्रग
ट्रायल
किया
था।
मोदी
के
यह
मंत्री
सड़क
पर
पालथी
लगाकर
बैठे,
संत
से
बतियाये,
मिजोरम
में
सब्जी
लेते
दिखे
एथिकल
कमेटी
की
अनुमति
के
बगैर
रिसर्च
कैसे
की,
जवाब
मांगा
है
एथिकल
कमेटी
की
अनुमति
के
बगैर
मरीजों
पर
रिसर्च
कैसे
की
गई
इस
संबंध
में
डॉ.
सर्वेश
जैन
से
जवाब
मांगा
जा
रहा
है।
जवाब
मिलने
के
बाद
आगे
की
कार्रवाई
की
जाएगी।
- डॉ. आरएस वर्मा, डीन बीएमसी