उप चुनाव: सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे की जीत ने सिंधिया की रख ली लाज
विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे के निधन से इस सीट का प्रतिनिधित्व रिक्त हुआ। अब दिवंगत कटारे के पुत्र हेमंत कटारे भाजपा के अरविंद भदौरिया को मात्र 857 वोटों से हराकर विधायक बन गए हैं।
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में हुए दो विधानसभा सीटों के उप चुनाव के नतीजे आ गए हैं। उमरिया जिले की बांधवगढ़ सीट भाजपा की झोली में गई है जबकि भिंड जिले की अटेर सीट कांग्रेस को मिली है। पहले से ही इसी प्रकार के परिणाम की संभावना दिख रही थी। बांधवगढ़ सीट पर भाजपा के शिवनारायण सिंह ने कांग्रेस की सावित्री देवी को 25,476 वोटों से हराया। पहले इस सीट पर भाजपा के ही ज्ञानसिंह विधायक थे जो शहडोल संसदीय सीट उप चुनाव में विजयी हो गए थे। पार्टी ने उनके पुत्र शिवनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया। यानी अब पिता सांसद तो पुत्र विधायक बन गए हैं।
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इसी प्रकार अटेर सीट कांग्रेस के पास ही थी। विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे के निधन से इस सीट का प्रतिनिधित्व रिक्त हुआ। अब दिवंगत कटारे के पुत्र हेमंत कटारे भाजपा के अरविंद भदौरिया को मात्र 857 वोटों से हराकर विधायक बन गए हैं। नतीजों पर गहराई से गौर करें तो अटेर चुनाव जीतना कांग्रेस व हेमंत कटारे के लिए किसी करिश्में से कम नहीं है क्योंकि शुरुआती राउंड में भाजपा के भदौरिया आगे चल रहे थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि कहीं ये सीट कांग्रेस के हाथ से न निकल जाए। हालांकि कटारे बहुत कम वोटों से जीते हैं। फिर भी जीत तो जीत है और कटारे की जीत ने न केवल कांग्रेस की बल्कि क्षेत्र में कांग्रेस के लोकप्रिय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की लाज रख ली, जिन्होंने कटारे को जिताने के लिए अटेर में लगातार 4 दिन दिए थे।
कांग्रेस यदि अटेर चुनाव हारती तो राजनीतिक संदेश जाता कि सिंधिया अपने ही क्षेत्र में कांग्रेस को बचा नहीं पाए। प्रदेश कांग्रेस में चुनाव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की उनकी हसरत पर भी शायद पानी फिर जाता। अटेर में कांग्रेस की जीत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रदेशव्यापी लोकप्रियता में रुकावट तो डाल ही दी है। भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं में ये भी चर्चा हो रही है कि शायद अटेर में आए प्रतिकूल परिणामों से सरकार और संगठन को कुछ सबक मिले और छोटे कार्यकर्ताओं की पूछ-परख हो।
वैसे अटेर में कटारे की जीत का श्रेय कांग्रेस के कमलनाथ, अजय सिंह राहुल, अरुण यादव, डॉ. गोविंद सिंह को भी दिया जाना चाहिए। जिन्होंने क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी के लिए जनसंपर्क किया, सभाएं की। हालांकि अगले कुछ रोज में सिंधिया खेमा यही प्रचारित करेगा कि उनके नेता ने कटारे को विजयश्री दिलवाई है। हालांकि ये भी सच है कि अटेर चुनाव में सिंधिया की सभाओं में ज्यादा भीड़ दिखी, मुख्यमंत्री शिवराज की सभाओं के मुकाबले। चुनाव परिणाम के बाद ये भी बहस का मुद्दा बन सकता है कि भिंड में शिवराज सिंह द्वारा 1857 में सिंधिया शासकों के बारे में दिए बयान से तो कहीं भाजपा का नुकसान नहीं हुआ?
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