MP उपचुनावः प्रचार थमा, BJP जीते या हारे, 'ठगे' भाजपाई ही जाएंगे!
भोपाल, 28 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में एक लोकसभा सीट के साथ तीन विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है। इसके लिए बुधवार शाम को 5 बजे प्रचार थम गया। मतदान से ठीक एक सप्ताह पहले कांग्रेस के बड़वाह सीट से विधायक सचिन बिरला ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। साल 2018 विधानसभा चुनाव के बाद सचिन बिरला 31वें कांग्रेसी विधायक हैं, जो पिछले 20 महीने में पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि अन्य दलों से भी विधायक या नेता भाजपा के सदस्य बने हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं के लिए बेहद मुश्किल खड़ी होती जा रही है।
मध्यप्रदेश की पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा सीटों व खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इन सीटों पर नतीजे दीपावली से दो दिन पहले 2 नवंबर को आएंगे। उपचुनावों में भाजपा ने दो सीटों पर अन्य दलों के नेताओं पर भरोसा जताया है। आइए, जानते हैं उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा की स्थिति और क्यों ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा जीते या हारे, ठगे तो भाजपाई ही जाएंगे...
पृथ्वीपुर विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा ने शिशुपाल सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। बड़ी बात यह है कि शिशुपाल सिंह यादव पिछली बार सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे जो कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह से केवल 8000 वोटों से चुनाव हारे थे। बीते चुनाव में इस सीट पर बीजेपी की बुरी गत हुई थी और पार्टी चौथे नंबर पर रही थी। ऐसे में भाजपा ने अपने संगठन को मजबूत करने की बजाय शिशुपाल को टिकट दे दिया है। उनके सामने पूर्व विधायक बृजेन्द्र सिंह के बेटे नितेन्द्र सिंह हैं। अगर भाजपा यहां जीत भी गई तो स्थानीय भाजपा नेता और कार्यकर्ता कितना खुश होंगे उसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
जोबट विधानसभा सीट
इस सीट पर भी भाजपा ने अपने मूल नेता पर दांव लगाने की बजाय ऐसे उम्मीदवार पर भरोसा किया है जो कांग्रेस छोड़कर आई हैं। मतलब वर्षों से पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को यहां भी भाजपा ने निराश किया है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। पिछले 13 में से 10 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी है। दो बार भाजपा ने और एक बार प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी ने विजय हासिल की है। ऐसे में पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आई सुलोचना रावत को ही टिकट दिया है। सुलोचना यहां दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। बीते चुनाव में सुलोचना के बेटे विशाल रावत कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय मैदान में थे और 30 हजार से ज्यादा मत हासिल भी किये थे। इसे देखते हुए भाजपा ने सुलोचना रावत को एन मौके पर पार्टी में शामिल करा मैदान में उतार दिया है। सुलोचना का टिकट फाइनल होते ही यहां विरोध के स्वर बुलंद हो गए थे ऐसे में भाजपा को इस सीट पर भितरघात का ख़तरा भी सता रहा है लेकिन पार्टी दमोह की हार के बाद सतर्क है। देखना यह है कि नतीज़ा क्या होता है और उसके बाद भाजपा के स्थापित नेताओं की इस सीट पर क्या प्रतिक्रिया रहती है।
रैगांव विधानसभा सीट
रैगांव विधानसभा सीट पर जरूर भाजपा ने अपने ही नेता पर दांव खेला है। वहीं, खंडवा लोकसभा सीट पर नतीजे में सबसे दिलचस्प यह देखना होगा कि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक सचिन बिरला अपनी बड़वाह सीट से भाजपा को जिता पाते हैं या नहीं? सचिन बिरला के दलबदल से यहां भी उपचुनाव होना है। यह भी तय है कि भाजपा यहां सचिन बिरला को ही अपना उम्मीदवार बनाएगी। यानी भाजपा कार्यकर्ताओं को एक बार फिर मन मारकर ही सही, लेकिन कांग्रेस से आए दलबदलू के लिए पसीना बहाना होगा।