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मप्र में स‍िस्‍टम की नाकामी: बक्‍सवाहा में कंधे पर तो, गढाकोटा में हाथ ठेले पर शव ले जाने मजबूर

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सागर, 9 जून। मप्र के बुंदेलखंड से मानवता को शर्मसार करने वाली दो घटनाएं सामने आई हैं। इनमें सागर, दमोह और छतरपुर ज‍िले में शव वाहन न म‍िलने पर मजबूरी में पर‍िजन शव को कहीं कंधे पर तो कहीं हाथ ठेले पर ले जा रहे हैं। बावजूद इसके लापरवाह तंत्र बेशर्मी से एक-दूसरे पर ज‍िम्‍मेदारी थोप रहा है। पहली तस्‍वीर छतरपुर ज‍िले के बक्‍सवाहा की है, जहां एक प‍िता 4 साल की मासूम बेटी का शव कंधे पर ल‍िए जा रहा है तो दूसरी तस्‍वीर सागर जिले के गढाकोटा से है, जहां पर‍िजन हाथ ठेले पर शव ले जाने मजबूर हैं।

कंधे पर मासूम तो हाथ ठेले पर भाई का शव ले जाते पर‍िजन

छतरपुर ज‍िले में बक्‍सवाहा के पौडी गांव के लक्ष्‍मण अहिरवार की चार साल की बेटी को दो द‍िन पहले तेज बुखार आया था, उसे पहले बक्‍सवाहा में द‍िखाया गया तो प्राथम‍िक उपचार के बाद पडोसी ज‍िले दमोह रेफर कर द‍िया गया। यहां इलाज के दौरान बच्‍ची की मौत हो गई। बच्‍ची के साथ उसके दादा थे, उन्‍होंने शव वाहन के ल‍िए प्रयास किए तो टका सा जवाब म‍िला कि ज‍िले के बाहर अस्‍पताल का शव वाहन नहीं जाता है, आप न‍िजी वाहन से ले जाएं। पैसे न होने से दादा ने बच्‍ची के शव को कंबल में लपेटा और चुपचाप ब‍िना बताए बस से बक्‍सवाहा ले गए।

मीडिया के हस्‍तक्षेप के बाद वाहन म‍िल सका
इधर उनका बेटा लक्ष्‍मण बक्‍सवाहा नगर पर‍िषद से शव वाहन का प्रयास करता रहा, लेकिन नहीं म‍िल सका। थक हारकर उसने बेटी के शव को कंधे पर उठाया और चल पडा। मीड‍िया की नजर पडने पर हस्‍तक्षेप के बाद शव वाहन म‍िल सका। मामले में छतरपुरर सीएमएचओ डॉ व‍िजय पथौर‍िया का कहना है कि शव वाहन नगर पाल‍िका या नगर पर‍िषद से म‍िलता है, हमारे पास नहीं होता है। मामले में संबंध‍ित अध‍िकार‍ियों से बात करेंगे कि ऐसी गलती दोबारा न हो।

छोटे भाई के शव को बडा भाई हाथ ठेले घर ले गए
मानवीयता को तार-तार करती दूसरी तस्‍वीर प्रदेश के धाकड मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्र गढाकोटा से सामने आई है। यहां पर गढाकोटा के अंबेडकर वार्ड में रहने वाले भगवानदास ने बताया कि उनके छोटे भाई ब‍िहारी को घर पर सीने में दर्द हुआ था। तत्‍काल सामुदाय‍िक अस्‍पताल लेकर भागे। यहां उपचार के बाद उनकी मौत हो गई। भाई का शव घर ले जाने अस्‍पताल से शव वाहन मांगा तो मना कर द‍िया गया। नगर पाल‍िका से भी नहीं म‍िल सका। ऑटो वाले और अन्‍य वाहन वालों ने शव ले जाने से मना कर द‍िया। मजबूरी में घर से हाथ ठेला मंगाया और भाई के शव को उस पर रखकर घर लेकर आए हैं। यहां भी स‍िस्‍टम और ज‍िम्‍मेदारों के वहीं तर्क कि पर‍िजन ने हमसे संपर्क ही नहीं किया। गढाकोटा अस्‍पताल के प्रभारी सीएमओ डॉ सुयश स‍िंघई ने यही कहा कि पर‍िजन नेअस्‍पताल प्रबंधन को अपनी परेशानी व वाहन के इंतजाम को लेकर कोइ्र बात नहीं की है, अन्‍यथा न‍िश्‍च‍ित मदद करते।

English summary
After the death of an innocent girl, her grandfather in Damoh had brought her from Damoh to Buxwaha, wrapped in a blanket, and kept in a bus secretly. When the dead body was not found even in Buxwaha, the father walked with the dead body of the innocent on his shoulder. The second is of Gadhakota in Sagar district, where the family members are carrying the dead body on hand cart if the carcass is not found.
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