बिना लेन-देन गठबंधन नहीं हो सकता है- अजीत सिंह
अजीत सिंह बोले बिना लेन देन के गठबंधन नही हो सकता है, अगर महागठबंधन होता है तो बसपा और भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव की दस्तक के साथ ही गठबंधन का मौसम अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस कड़ी में जदयू, आरजेडी, कांग्रेस, सपा सहित तमाम दल शामिल हैं।
मौजूदा स्थिति में गठबंधन जरूरी
आरएलडी के मुखिया अजीत सिंह का मानना है कि इस समय हर कोई गठबंधन करना चाहता है, अगर पार्टी को यह लगता कि वह अकेले जीत सकती हैं तो वह गठबंधन के लिए नहीं जाती। वह तभी इस तरह की बात करते हैं जब उन्हें लगता है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में यह जरूरी है।
तमाम नेता गठबंधन के पक्ष में
अजीत सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि मौजूदा समय में यूपी में गठबंधन जरूरी है, मैंने पहले ही कहा था कि भाजपा को रोकने के लिए गठबंधन इस समय की जरूरत है। जब सपा के कार्यक्रम में एक मंच पर तमाम नेता आए तो इसका मतलब यही है कि सभी गठबंधन के पक्षधर हैं।
लेन-देन तय होना जरूरी
लेकिन इस भावना से इतर यह बात जरूरी है कि अगर हम गठबंधन चाहते हैं तो यह उस शर्त पर नहीं होगा कि हम क्या चाहते हैं, या कोई एक दल क्या चाहता है, बल्कि क्या मिलेगा और क्या देना है इस बात पर काफी चर्चा की जरूरत है। इसमें सिर्फ दो मत नहीं हो सकते हैं, कोई भी गठबंधन तब तक नहीं हो सकता है जबतक लेन देन तय ना हो।
यूपी में सपा-बसपा साथ नहीं आ सकते
अजीत सिंह से जब यह पूछा गया कि नीतीश कुमार सपा के कार्यक्रम में नहीं आए तो उन्होंने कहा कि शरद यादव आए थे। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के लिए सपा और बसपा के साथ आने की बात उन्होंने बिहार की तर्ज पर कही जहां जदयू और आरजेडी एक दूसरे के विरोधी साथ आए, लेकिन यह यूपी में सपा और बसपा का साथ आना संभव नहीं है। लेकिन अन्य दलों के साथ गठबंधन हो सकता है।
भाजपा और बसपा की बढ़ेगी मुश्किल
महागठबंधन की कवायद पर अजीत ने कहा कि बसपा और भाजपा दोनों ही इस कवायद से परेशान हैं। बीएसपी के पास उसका मुख्य दलित जनाधार है लेकिन सिर्फ उससे उसे जीत हासिल नहीं होगी, जबतक कि दूसरे समुदाय के वोटों में बिखराव ना हो। अगर महागठबंधन होता है कि मुस्लिम वोटों का बिखराव नहीं होगा और इससे बसपा को नुकसान होगा। मुस्लिम उसे वोट नहीं करना चाहेंगे जो भाजपा को हरा ना पाए, लेकिन गठबंधन के बाद हम उस स्थिति में होंगे कि भाजपा को हरा दें।