RLD के अध्यक्ष चुने गए जयंत चौधरी, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में लिया गया फैसला
RLD के अध्यक्ष चुने गए जयंत चौधरी, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में लिया गया फैसला
लखनऊ, 25 मई। मंगलवार को हुई आरएलडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी को सर्वसम्मति से आरएलडी का नया प्रमुख चुन लिया गया। कोरोना के कारण वर्चुअली हुई इस मीटिंग में शामिल 34 सदस्यों ने राएलडी प्रमुख के तौर पर जयंत चौधरी के नाम पर मुहर लगा थी। मालूम हो कि आरएलडी के पूर्व प्रमुख और जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह के निधन के बाद से यह पद खाली था।
विधानसभा
चुनावों
पर
पार्टी
की
नजर
इस
समय
पार्टी
का
ध्यान
उत्तर
प्रदेश
में
अगले
साल
होने
वाले
विधानसभा
चुनावों
पर
है।
पश्चिमी
यूपी
में
पार्टी
कृषि
कानूनों
और
जाट
आरक्षण
जैसे
मुद्दों
पर
किसानों
और
जाटों
को
साधना
चाहती
है।
यह भी पढ़ें: Covid-19 testing kit: बाजार में आज से मिलेगी Cipla की रियल टाइम कोरोना टेस्टिंग किट, जानें हर जानकारी
आरएलडी के संस्थापक रहे अजित सिंह चौधरी का 6 मई को कोरोना के कारण निधन हो गया था। पिता की मौत के 18 दिनों के बाद जयंत को आरएलडी का नया प्रमुख घोषित किया जाएगा। रालोद के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अनिल दुबे ने बताया कि आज होने वाली बैठक में जयंत का पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुनाव निश्चित है।
वहीं, राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अपने पिता और अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जयंत को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा पश्चिमी यूपी में 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जो जाट वोट बैंक साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की ओर खिसक गया था उसे वापस अपनी ओर लाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
2014
में
हारे
लोकसभा
चुनाव
जयंत
इस
समय
राजनीति
में
संघर्ष
कर
रहे
हैं।
साल
2014
के
लोकसभा
चुनावों
में
उन्हें
मथुरा
संसदीय
सीट
पर
बीजेपी
उम्मीदवार
हेमा
मालिनी
के
हाथों
करारी
हार
मिली
थी।
इसके
बाद
साल
2019
में
भी
उन्हें
आरएलडी
का
गढ़
माने
जाने
बागपत
में
भी
करारी
हार
मिली
थी।
हालांकि अनिल दूबे का कहना है कि जयंत 2004 से राजनीति में सक्रिय हैं और वे उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय राजनीति को भलि-भांति समझते है और पार्टी प्रमुख का चार्ज संभालने के लिए उन्होंने पूरी ट्रेनिंग ली है।
बहरहाल यूपी विधानसभा का चुनाव काफी करीब है। इसके लिए जयंत को काफी तैयारी करनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चुनावों का परिणाम पार्टी के खिलाफ जाता है तो इससे जयंत की नेतृत्व क्षमता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें अभी काफी लंबी पारी खेलनी है।