जान बचाने के लिए रातोरात लखनऊ पुलिस ने बनाया 18 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर
लखनऊ। यूं तो यूपी पुलिस अक्सर किसी ना किसी विवाद में रहती है, लेकिन इस बार यूपी की पुलिस ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसने एक व्यक्ति की जान बचा ली है। यूपी पुलिस ने ह्यूमन ऑर्गन को दूसरे अस्पताल पहुंचाने के लिए सराहनीय काम किया है।
किडनी, लीवर और कॉर्निया पहुंचाने के लिए बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर
नई दिल्ली में एक व्यक्ति जिसका लीवर और किडनी खराब हो गयी है उसे लखनऊ से दिल्ली के एम्स पहुंचाने के लिए लखनऊ की पुलिस ने 18 किलोमीटर के सफर के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया।
क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर
ग्रीन कॉरिडोर उसे कहते हैं जो मनष्यों के अंगों को एक निश्चित समय के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए बनाया जाता है। यह उस वक्त बनाया जाता है कि जब आपात स्थिति में किसी मरीज का इलाज चल रहा हो। वर्तमान में यह व्यवस्था बेंगलुरु, दिल्ली, कोची, चेन्नई और मुंबई में उपलब्ध है।
लेकिन लखनऊ की पुलिस ने किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की अपील पर यह ग्रीन कॉरिडोर बनाया। इस ग्रीन कॉरिडोर की कमान चौक के सीओ सर्वेश मिश्रा के हाथ में थी। यह ग्रीन कॉरिडोर मेडिकल कॉलेज से लेकर अमौसी एयरपोर्ट के बीच बनाया गया था।
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चौक सीओ ने लिया जिम्मा
सर्वेश मिश्रा के अनुसार इस ग्रीन कॉरिडोर के लिए 50 पुलिस वालों को तैनात किया गया था, जबकि इस सफर में महज 22 मिनट में 18 किलोमीटर की दूरी का सफर तय किया गया था।
केजीएमयू के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर डॉक्टर मनमीत सिंह ने बताया कि एक मरीज प्रमोद साहनी जिसका ब्रेन मृत घोषित हो चुका था उसका कॉर्निया, किडनी और लीवर दिल्ली में एक मरीज को प्रत्यर्पित किया जाना था।
इसके लिए मरीज के पिता राम नयन और भाई तैयार हो गये थे और उन्होने लिखित अपनी सहमति दी थी। जिसके बाद चौक सीओ से इसके लिए संपर्क किया गया था।
महज 22 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया अंगों को
मंगलवार रात 11.08 बजे चौक पुलिस एंबुलेंस को स्कॉर्ट करती हुई 11.30 मिनट पर अमौसी एयरपोर्ट पहुंची। ठीक 11.30 मिनट पर लीवर को अमौसी एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया। जिसके बाद उसे एयर एंबुलेंस से दिल्ली रवाना कर दिया गया। दिल्ली एयरपोर्ट से इसे न्यू दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बाईलाइरी साइंस तक भी इस ग्रीन कॉरिडोर के जरिए पहुंचाया गया।
ट्रकों के आवागमन पर लगा दी गयी रोक
इस ग्रीन कॉरिडोर के लिए चौक, वजीरगंज, हजरतगंज, आशियाना, कृष्णानगर और सरोजनीनगर के थानों को शामिल किया गया था जो पूरी तरह से सक्रिय थे । इस ग्रीन कॉरिडोर के दौरान ट्रकों के आवागमन पर रोक लगा दी गयी थी।