विधानसभा सचिवालय में दो साल से चल रहा था उपनिदेशक का फर्जी ऑफिस, ऐसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा
लखनऊ। कभी फर्जी नियुक्ति तो कभी फर्जी प्रवेश पास बनने को लेकर विवादों में रहने वाला उत्तर प्रदेश सचिवालय एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय में दो साल से उपनिदेशक का फर्जी दफ्तर चल रहा था। इस बात का खुलासा रविवार को उस वक्त हुआ, जब पशुधन विभाग में करोड़ों का ठेका दिलाने के बदले इंदौर के व्यापारी से 9.72 करोड़ रुपये ऐंठने के मामले में यूपी एसटीफ ने पशुधन राज्यमंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया।
240
करोड़
रुपए
के
टेंडर
के
नाम
पर
बुना
गया
था
पूरा
फर्जीवाड़ा
आईजी
एसटीएफ
अमिताभ
यश
ने
बताया
कि
पशुधन
विभाग
में
240
करोड़
रुपए
के
किसी
टेंडर
के
नाम
पर
फर्जीवाड़े
का
जाल
बुना
गया।
इसका
शिकार
बने
इंदौर
(मध्य
प्रदेश)
के
व्यापारी
मंजीत
सिंह
भाटिया।
भाटिया
को
जाल
में
फंसाने
के
लिए
पशुधन
राज्यमंत्री
के
निजी
सचिव
के
कमरे
का
इस्तेमाल
किया
गया।
मंजीत
को
झांसे
में
लेने
के
लिए
मंत्री
की
गाड़ी
में
बैठा
कर
उसे
सचिवालय
लाया
गया।
यहां
निजी
सचिव
धीरज
कुमार
देव
के
कार्यालय
को
फर्जी
उप
निदेशक,
पशुपालन
विभाग
एसके
मित्तल
का
कार्यालय
बता
कर
जहां
आशीष
राय
पहले
से
बैठा
था,
उससे
मिलवाया
गया।
इसके
लिए
बकायदा
एसके
मित्तल
के
नाम
की
तख्ती
भी
निजी
सचिव
के
कमरे
के
बाहर
लगा
दी
गई।
यहीं
पूरी
डील
हुई
और
बारी-बारी
करके
मंजीत
से
ठेका
दिलाने
के
नाम
पर
9.72
करोड़
रुपए
ले
लिए
गए।
जांच
के
लिए
एसटीएफ
को
लगाया
मंजीत
सिंह
भाटिया
ने
किसी
तरह
अपनी
बात
यूपी
के
सीएम
योगी
आदित्यनाथ
तक
पहुंचाई।
जिसके
बाद
सीएम
ने
इस
मामले
की
गोपनीय
तरीके
से
जांच
के
लिए
एसटीएफ
को
लगाया।
एसटीएफ
की
जांच
में
जालसाजी
की
परत
दर
परत
खुलने
लगी।
इसके
बाद
मंजीत
की
तहरीर
पर
हजरतगंज
थाने
में
मुकदमा
दर्ज
करा
कर
गिरफ्तारियां
शुरू
की
गई।
पशुधन
राज्यमंत्री
के
निजी
सचिव
धीरज
कुमार
देव,
प्रधान
सचिव
रजनीश
दीक्षित,
कथित
पत्रकार
एके
राजीव,
पत्रकार
अनिल
राय,
रुपक
राय,
उमाशंकर
तिवारी
और
जालसाज
आशीष
राय
को
गिरफ्तार
कर
लिया।
पुलिस
ने
की
जांच
पड़ताल
पुलिस
सोमवार
को
विधानसभा
सचिवाल
पहुंची
और
करीब
दो
घंटे
की
पड़ताल
में
पुलिस
ने
यह
जानने
का
प्रयास
किया
कि
किस
तरह
से
यहां
सब
कुछ
मैनेज
हुआ।
उपनिदेशक
का
बोर्ड
कब
लगाया
जाता
था
और
कब
उतारा
जाता
था।
कैसे
कोई
दो
साल
तक
चले
इस
फर्जीवाड़े
को
जान
नहीं
सका।
विवेचक
एसीपी
गोमतीनगर
संतोष
कुमार
सिंह
ने
सचिवालय
में
तीन
कर्मचारियों
से
काफी
सवाल
जवाब
किए।
इस
दौरान
एसटीएफ
से
मिली
जानकारी
के
आधार
पर
दो
अन्य
कर्मचारियों
को
भी
बुलाया
गया
लेकिन
वह
सचिवालय
से
जा
चुके
थे
और
उनके
मोबाइल
स्विच
ऑफ
मिले।
13
लोगों
के
खिलाफ
हजरतगंज
कोतवाली
में
दर्ज
है
मामला
इस
फर्जीवाड़े
में
शासन
के
आदेश
पर
इंदौर
निवासी
मंजीत
भाटिया
उर्फ
रिंकू
की
तहरीर
पर
हजरतगंज
कोतवाली
में
13
लोगों
के
खिलाफ
मुकदमा
दर्ज
कराया
गया
था।
इनमें
सात
लोग
रविवार
को
गिरफ्तार
किए
गए
थे।
इस
मामले
की
विवेचना
एसीपी
संतोष
कुमार
सिंह
को
दी
गई
है।
एसीपी
रविवार
को
एसटीएफ
के
साथ
ही
कार्रवाई
में
थे।
आरोपियों
से
पूछताछ
के
बाद
एसटीएफ
ने
कई
तथ्य
एसीपी
को
दिए।
इन
तथ्यों
के
आधार
पर
ही
एसीपी
ने
सोमवार
को
पड़ताल
शुरू
की।