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विधान परिषद चुनाव: सहयोगियों को नहीं साध पाए अखिलेश, 2024 से पहले ही गठबंधन में पड़ गई फूट !

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लखनऊ, 08 जून: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद अब एमएलसी के चुनाव को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। राज्यसभा चुनाव में सहयोगी दल आरएलडी के चीफ जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने वाले अखिलेश ने एमएलसी के चुनाव में ओम प्रकाश राजभर, केशव देव मौर्य जैसे सहयोगियों को नाराज कर दिया है। सूत्रों की माने तो एमएलसी की लिस्ट आने के बाद अब सवाल ये है की अखिलेश का गठबंधन कितने दिनों तक टिक पाएगा। सूत्रों की माने तो जल्द ही इस गठबंधन के टूटने का औपचारिक ऐलान भी हो सकता है।

Akhilesh could not handle allies split in the alliance before 2024 election

अखिलेश ने स्वामी प्रसाद को दिया टिकट, राम गोविंद का नाम शामिल नहीं

अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद का टिकट दिया है। इसके साथ ही उन्होंने आजम के करीबी सहारनपुर के नेता को टिकट दिया है। माना जा रहा है कि यह फैसला आजम को खुश करने के लिए किया था। दरअसल समाजवादी पार्टी में शामिल हुए इमरान मसूद भी दावेदारों में शामिल थे। लेकिन इनको भी टिकट नहीं मिला है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोविन्द चौधरी भी दावेदारों की सूची में शामिल थे लेकिन उनको भी अखिलेश ने सदन में भेजने की जहमत नहीं उठाई।

सहयोगी दलों की डिमांड को किया अनसुना

विधान परिषद चुनाव में समाजवादी पार्टी को 4 सीटें मिलने थीं। इसमें सहयोगी दलों की मांग को भी अनसुना कर दिया। ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को एमएलसी का टिकट दिलाने में लगे हुए थे। इससे पहले राज्यसभा के चुनाव में भी राजभर ने अखिलेश यादव पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। लेकिन अखिलेश ने जयंत को राज्यसभा भेजने का फ़ैसला किया था। इसके बाद अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि परिषद के के चुनाव में राजभर को गठबंधन का इनाम मिलेगा। हालाकि विधानसभा चुनाव के दौरान हुए गठबंधन के तहत राजभर के बेटे अरविंद राजभर को वाराणसी के सेवापुरी से टिकट दिया था लेकिन वो चुनाव हार गए थे।

महान दल के नेता केशव देव मौर्य भी हुए नाराज

अखिलेश की मुस्किलें यहीं नहीं काम होने वाली हैं। राजभर के अलावा महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने भी अखिलेश का साथ दिया था। केशव देव मौर्य भी विधान परिषद जाने की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन उनको भी निराशा हाथ लगी है। केशव देव मौर्य ने चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में यात्रा भी निकाली थी। अखिलेश के इस फैसले के बाद अब केशव देव मौर्य भी अंदरखाने नाराज बताए जा रहे हैं। हालाकि अखिलेश यादव अपने सहयोगी दलों के नेताओं को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

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क्या 2024 से पहले सहयोगी बढ़ाएंगे अखिलेश की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी राजनीतिक दलों की निगाहें 2024 में होने वाले आम चुनाव पर टिकी हैं। अखिलेश ने प्रमुख सहयोगी जयंत चौधरी को तो साध लिया लेकिन ओम प्रकाश राजभर और केशव देव मौर्य की हसरत अधूरी रह गई। राजभर पहले भी अखिलेश पर दबाव बनाने की राजनीति करते रहे हैं। उन्होंने अखिलेश को एसी क्रम से बाहर निकलकर राजनीति करने की सलाह दी थी। SBSP के सूत्रों का कहना है कि राजभर चुप बैठने वाले नहीं हैं। इसको लेकर उनके मन में जो नाराजगी है वो सही समय आने पर जाहिर करेंगे।

English summary
Akhilesh could not handle allies split in the alliance before 2024 election
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