Piyush Jain: अलमारियों के पीछे थे गुप्त दरवाजे और तहखाने, फर्श के पत्थरों में छिपे थे कोड
Piyush Jain: अलमारियों के पीछे थे गुप्त दरवाजे और तहखाने, फर्श के पत्थरों में छिपे थे कोड
कानपुर, 01 मार्च: इत्र कारोबारी पीयूष जैन, जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) और इनकम टैक्स विभाग की रेड के बाद मीडिया ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी सुर्खियों में आ गए थे। पीयूष के कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर करीब छह दिनों तक चली छापेमारी में अकूत संपत्ति मिली थी। तो वहीं, अब डीजीजीआई ने 334 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है, जिसके मुताबिक पीयूष जैन का घर किसी भूल-भुलैय्या से कम नहीं था। छापेमारी के दौरान डीजीजीआई और इनकम टैक्स विभाग की टीम को पीयूष के घर में कई रहस्यमस कमरे, बेसमेंट और अलमारियों के पीछे छोटे-छोटे गुप्त दरवाजे मिले थे।
कोड़ देखकर चकरा गए थे अधिकारी..फिर भी बरामद की अकूत संपत्ति
चार्जशीट के मुताबिक, फर्श के खूबसूरत पत्थरों की डिजाइन में छिपे तहत-तरह के कोड थे, जिनसे ये तहखाने खुलते थे। तलाशी के दौरान डीजीजीआई की टीम के सदस्य भी यह सब देखकर चकरा गए थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इन सभी कोड्स को ब्रेक कर पूरी दौलत और सोने तक अपनी पहुंच बनाई। चार्जशीट में तकरीबन 196.45 करोड़ रुपये नकद और 23 किलो सोना बरामद किया गया है। बरामद सोने की कीमत करीब 11 करोड़ रुपए बताई गई है, जो काले धन की श्रेणी में आएगा। तो वहीं, अभी कुछ दिनों पहले यह बात भी सामने आईं है कि पीयूष जैन का तार सिलीगुड़ी के एक सुपारी तस्कर से जुड़ा है। आयकर विभाग की टीम ने सुपारी कारोबारी के 25 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी।
चार्जशीट में दी यह जानकारी
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) अहमदाबाद की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक, पीयूष जैन ने कानपुर और कन्नौज स्थित कोठी के निर्माण के वक्त ही कई रहस्यमय कमरे, बेसमेंट, दरवाजे आदि बनवाए गए थे। चार्जशीट में बताया कि कानपुर में 22 दिसंबर को छापे मारने की तीसरे दिन यानी 24 दिसंबर को एक टीम पीयूष के दोनों बेटों प्रत्यूष जैन और प्रियांश जैन को लेकर कन्नौज स्थित उसके पैतृक आवास गई। पहले दिन उसका पूरा घर छान मारा लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। डीजीजीआई के दो अधिकारी प्रत्यूष को लेकर छत तक गए लेकिन एक शेड के अलावा कुछ नहीं दिखा।
ऐसा खुला पीयूष का राज
चार्जशीट में बताया गया कि डीजीजीआई के एक अधिकारी की नजर पीयूष के घर की छत से लगी दूसरी छत पर गई। दोनों घरों बीच एक छोटी सी दीवार थी। ये किसका घर है? जवाब में प्रत्यूष ने कहा, मेरा ही है। इसका रेनोवेशन करा रहे हैं। डीजीजीआई टीम ने उस घर में चलने के लिए कहा तो प्रत्यूष बोला, इसका गेट पीछे है। अफसर चौंके और पीछे वाले दरवाजे से ले चलने को कहा। जब दूसरे घर में डीजीजीआई की टीम घुसी तो एक खूबसूरत कमरा दिखा जो पीयूष जैन का बेडरूम बताया गया। 'हिन्दुस्तान' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बेड के पीछे दीवार में डिजायनर कुशन यानी फोम लगा था।
चार फुट तक पीछे हट गया था कुशन
इस दौरान कुशन को छूकर देखा और एक जगह से दबाया तो वह खिसक गया, जिससे अधिकारियों को शक हुआ। कुछ और जोर लगाते ही कुशन 4 फुट तक पीछे हट गया और सामने खुफिया लोहे का दरवाजा आ गया। यह देखते ही पीयूष के दोनों बेटों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं। अफसरों ने पूछा तो पीयूष के बेटों ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता। यह पापा का कमरा है। दरवाजे की चाबी कहां है? बच्चे बोले, हमारे पास नहीं है। तब टीम ने लोहार बुलवाया कर लोहे का दरवाजा कटवाया। दरवाजा खोलते ही संकरा सा जीना मिला। नीचे गए तो बंकर था, जिसे देखकर अफसर भी हैरान रह गए। 8 गुणा 5 फिट के बंकर में जूट के आठ बोरे थे। उनमें 10 करोड़ रुपए से ज्यादा मिले।
फर्श के पत्थरों में छिपे थे कोड
खबर के मुताबिक, पीयूष के घर की तलाशी लेते हुए अफसर जीने से ग्राउंड फ्लोर आए। तभी आखिरी जीने के ठीक नीचे वाले फर्श के पत्थर पर ध्यान गया। गौर से देखने पर मार्बल का एक टुकड़ा बाकी फर्श से थोड़ा अलग दिखा। नजदीक से देखा और 28 इंच गुणा 27 इंच के मार्बल को जोर से दबाया। खड़खड़ाहट हुई और खुल जा सिमसिम के गुप्त दरवाजे की तरह मार्बल एक तरफ सरक गया। नीचे लोहे का एक दरवाजा था। यह कोड लाक था। कैसे खुलेगा? इस सवाल के जवाब में भी पीयूष के बेटों ने रटा रटाया जवाब दिया, मालूम नहीं। मेरे पास चाबी नहीं है।
चंदन का तेल और सोने की ईंटे मिलीं
अफसरों ने उसकी चाबी बनवाई और खोलने पर वो नीचे जा सके। अफसर नीचे गए तो वहां 84 गुणा 82 गुणा 93 का दूसरा बंकर मिला। यहां ड्रमों में सुगंध भरी थी। 12 ड्रमों में चंदन का तेल था। एक ड्रम में 25 लीटर तेल था। यानी कुल 300 लीटर चंदन का तेल पाया गया। कंपाउंड के तीन ड्रम थे। इसके अलावा सात ड्रमों में बोरे भरे थे। खोला गया तो एक-एक किलो वाली 22 सोने की ईंटे रखी थीं। उनके साथ बोरियों में पांच सौ और दो हजार की गड्डियां ठुंसी हुई थीं।
जानें कौन हैं पीयूष जैन
पीयूष जैन मूलरूप से कन्नौज के छिपत्ती के रहने वाले हैं और वर्तमान में कानपुर जिले के जूही थानाक्षेत्र के आनंदपुरी में रहते हैं। पीयूष इत्र कारोबारी है और इनकी फैक्ट्री कन्नौज की इत्र वाली गली में स्थिति हैं। वहीं से पीयूष जैन अपना कारोबार चलाते थे। इनके कन्नौज, कानपुर के साथ मुंबई में भी ऑफिस हैं। कन्नौज स्थित फैक्ट्री से इत्र मुंबई जाता था। यहां से इत्र पूरे देश और विदेश में बेचा जाता है। इनकम टैक्स विभाग को पीयूष जैन की करीब 40 कंपनियां की जानकारी मिली है, जिनके माध्यम से पीयूष अपना इत्र कारोबार चला रहे थे। आज भी कानपुर की ज्यादातर पान मसाला यूनिट, पान मसाला कम्पाउंड पीयूष जैन से ही खरीदता था।
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