झोपड़ी से निकलकर वायुसेना में पहुंचे निंबाराम की कामयाबी को पूर्व CM वसुंधरा राजे का सैल्यूट
जोधपुर। अभावों में पला-बढ़ा और फिर झोपड़ी से भारतीय वायुसेना तक का सफर तय करने वाला निंबाराम कड़वासरा फिर सुर्खियों में है। अब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने निंबाराम की कामयाबी को सैल्यूट किया है।
निंबाराम के लिए यह लिखा पूर्व सीएम राजे
वसुंधरा राजे सिंधिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक और ट्विटर लिखा कि 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...' निंबाराम! यह पत्थर था आपके दृढ़ आत्मविश्वास का, कड़े परिश्रम का और सतत लगन का, जिसके दम पर आपने सफलता की नई कहानी लिखी है।'
युवाओं के लिए एक मिसाल पेश की
राजे आगे लिखा कि 'मैं बधाई देती हूं होनहार बेटे निंबाराम कड़वासरा को जिनका अभावों में बचपन बीता, मुश्किलों से पढ़ाई की। लेकिन ना कभी हिम्मत हारी और ना ही कभी हौसला खोया। नतीजतन उन्होंने भारतीय वायुसेना में अपना चयन करवाकर अन्य युवाओं के लिए एक मिसाल पेश की है।'
जानिए कौन है निंबाराम कड़वासरा
निंबाराम कड़वासरा राजस्थान के जोधपुर जिला मुख्यालय से 96 किलोमीटर दूर ओसिया पंचायत समिति के गांव हरलाया का रहने वाला है। 2001 में जन्मा निंबाराम पांच बहनों का इकलौता भाई है। चार बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। एक बहन निंबाराम से छोटी है। निंबाराम का बचपन झोपड़ी में बीता। भारतीय वायुसेना के सितम्बर 2019 के बैच में निंबाराम का चयन हुआ है। चार जुलाई 2020 को निंबाराम कर्नाटक के एयरमैन ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए रवाना हुआ। दिसंबर 2020 तक कर्नाटक में ट्रेनिंग लेगा। इसके बाद चेन्नई में भी ट्रेनिंग होगी। दोनों ट्रेनिंग पूरी होने पर इसे भारतीय वायु सेना में पोस्टिंग दी जाएगी।
पांच साल पहले पिता की मौत
निंबाराम के पिता रुपाराम कि वर्ष 2015 में फेफड़ों की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। उस समय निंबाराम नौवीं क्लास में था। पिता की मौत के बाद परिवार चलाने की जिम्मेदारी निंबाराम के कंधों पर आ गई थी। निंबाराम ने पढ़ाई छोड़नी चाहिए तो मां कोजी देवी ने मना कर दिया। मां ने बेटे की पढ़ाई के लिए मनरेगा और खेतों में मजदूरी करना शुरू कर दिया। निंबाराम ने खुद भी मां के साथ मनरेगा में मजदूरी की।
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