जोधपुर कलक्टर ने नए साल से बंद कर दी अपॉइंटमेंट व्यवस्था, आमजन दे रहा दुआएं
Jodhpur News , जोधपुर। आईएएस अफसर अपनी अनूठी पहल और फैसलों से अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। आइए आज आपको भी मिलवाते हैं एक ऐसे ही अफसर से। नाम है आईएएस प्रकाश राजपुरोहित। नए साल 2019 पर पूरे राजस्थान में इनकी चर्चा हो रही है। वजह ये है कि नए साल पर आईएएस राजपुरोहित ने वर्षों पुरानी एक व्यवस्था को बदल दिया है। नतीजतन, आमजन इन्हें लाख दुआएं दे रहा है।
आईएएस प्रकाश राजपुरोहित वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर के जिला कलक्टर हैं। 01 जनवरी 2019 से जोधपुर जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अपने कार्यालय में अपॉइंंटमेंट व्यवस्था को बंद कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत जिला कलक्टर का कार्यालय अब आमजन के हर समय खुला रहेगा। कोई भी अपनी समस्या या शिकायत सीधी कलक्टर तक आसानी से पहुंचा सकेगा। इससे पहले प्रकाश राजपुरोहित राजस्थान के अलवर के जिला कलक्टर थे। राजस्थान में नई सरकार बनने के बाद किए तबादलों में इन्हें जोधपुर लगाया गया है।
जनसुनवाई का समय बढ़ाया
प्रकाश राजपुरोहित ने 26 दिसम्बर 2018 को जोधपुर जिला कलक्टर को कार्यभार ग्रहण किया है। आते ही इन्होंने बैठकों व जनसुनवाई के समय बदलाव किया है। आमजन को ज्यादा समय देने के लिए विभिन्न बैठकों को समय सुबह नौ से 11 और शाम पांच बजे बाद का रखा गया है जबकि सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक जनसुनवाई करेंगे।
इससे अब आमजन के जोधपुर कलक्टर के पास अपॉइंंटमेंट लेकर आने की आवश्यकता नहीं होगी। वे सुबह 11 से शाम पांच बजे के बीच किसी भी समय अपनी समस्या का समाधान करवा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जोधपुर के नए जिला कलक्टर ने कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही आमजन को राहत पहुंचाने वाले कार्यों को अपनी प्राथमिकता बताया था। नए साल के साथ ही उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं पर काम करना भी शुरू कर दिया है।
जानिए कौन हैं आईएएस प्रकाश राजपुरोहित
IAS prakash Rajpurohit मूलरूप से राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले हैं। पिता देवी सिंह राजपुरोहित प्राइवेट सेक्टर की कम्पनी में मैनेजर व माता रामा राजपुरोहित ग्रहणी हैं। प्रकाश राजपुरोहित अपने माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। गाजियाबाद व दिल्ली के स्कूल से इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। बीटेक फाइनल ईयर के दौरान इन्होंने सिविल सर्विसेस में जाने का फैसला लिया और वर्ष 2008 से तैयारियां शुरू की। फिर कड़ी मेहनत के दम पर दूसरी रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बन गए।