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बिश्नोई समाज : वो लोग जिनके घरों में हिरण भरते हैं कुलांचे, पेड़ाें को बचाने में ये जान भी लगा देते हैं दांव पर

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जोधपुर। हिरणों को अपने परिवार का सदस्य मानकर वर्षों से सेवा करने वाले बिश्नोई समाज का वन्यजीव प्रेम देखने के लिए सात समंदर पार से लोग विशेष तौर पर आने लगे हैं। जोधपुर के लूणी क्षेत्र में हिरण बिश्नोईयों के घर पर परिवार के सदस्य की तरह विचरण करते हैं।

Bishnoi community treats Deer as a family member in Rajasthan

वन्यजीवों की रक्षा और पेड़ पौधों के संरक्षण के लिए देश और दुनिया में विख्यात बिश्नोई समाज में हिरणों को परिवार के बच्चों की तरह रखना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। वहीं, बिश्नोई समाज के कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि अन्य समाजों को भी वन्यजीवों की रक्षा और पेड़-पौधों के संरक्षण की प्रेरणा लेकर काम करना चाहिए।

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वहीं देश विदेश से आने वाले परिवार बाकायदा बिश्नोई समाज के परिवारों के साथ-साथ जाजीवाल धोरा गांव स्थित जंभेश्वर भगवान के मंदिर में जाकर देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं कि किस तरह बेखौफ होकर मोर पंख फैलाकर खूबसूरती से नाच रहा था तो वहीं दूसरी ओर मंदिर परिसर में ही विचरण करने वाले हिरण परिवार के सदस्य की तरह कुलांचे भर रहे हैं और बड़े ही लाड-चाव से चने खाते पीते अपनी मस्ती में ही विचरण करते रहते हैं।

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स्वामी स्वामी ओमानन्द शास्त्री बताते हैं कि बिश्नोई समाज के लोग बाकायदा इन जीव जंतुओं से ना केवल अपार प्रेम करते हैं बल्कि इनकी रक्षा के लिए खुद की जान तक देने से नहीं चूकते। वहीं इन पड़ रही भीषण गर्मी को देखते हुए बिश्नोई समाज की ओर से पानी की विशेष व्यवस्था की गई है। पानी के टैंकरों द्वारा वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने में जुटे हुए हैं। राजस्थान के जोधपुर के जाजीवाल धौरा स्थित जम्भेश्वर मंदिर में घायल हिरणों का इलाज किए जाकर नया जीवन दिए जाने की भी तारीफ स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रवासी भारतीय भी करते हैं।

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English summary
Bishnoi community treats Deer as a family member in Rajasthan
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