विधायक दल की बैठक में क्या होगा सचिन पायलट गुट को पहले कैसे हुई जानकारी, माकन की भूमिका पर उठे सवाल
जयपुर, 29 सितंबर। राजस्थान में रविवार को घटित हुए सियासी घटनाक्रम को लेकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। राजस्थान के विधायकों द्वारा माकन की भूमिका को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन की राजस्थान में भूमिका को सचिन पायलट से जोड़कर देखा जा रहा है। राजस्थान में विधायक दल की बैठक को लेकर दिल्ली हाईकमान के आदेश से पहले ही पायलट गुट को सारी जानकारी मिल गई थी। उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि विधायक दल की बैठक कब होगी। उसमें क्या होगा। क्या प्रस्ताव होगा। उसके बाद हाईकमान सीएम घोषित करेगा। विधायकों को यहां तक पता था कि नए मुख्यमंत्री को शपथ भी अगले दिन ही दिलाई जाएगी।
पायलट गुट को कैसे मिली सारी जानकारी
राजनीति के जानकारों के मुताबिक राज्यपाल के यहां मिलने का समय मांगा जाना। फिर नहीं जाना। इतना ही नहीं विधायक और मंत्रियों को संदेश दिया जाने लगा था कि नया मुख्यमंत्री बनने के बाद कौन बना रहेगा और किसे हटाया जाएगा। प्रदेश में रविवार के घटनाक्रम से पहले यह सब कुछ घटित हुआ। इससे विधायक सहम गए। जैसे ही विधायक दल की बैठक की घोषणा हुई तो विधायक सकते में आ गए। सब कुछ इतना तेजी से घटित हो रहा था कि विधायक कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे। ऐसे में विधायक आशंकित हो गए कि वाकई अशोक गहलोत हट गए तो उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं होगा। कई विधायकों को कैरियर का डर सताने लगा। जिस तरीके से यह संदेश फैलाया गया कि आलाकमान के कहने पर यह सब हो रहा है। उससे विधायकों में असमंजस बढ़ने लगा। वही पायलट गुट की ओर से भी पहले ही बताया जा चुका था कि बैठक कब होगी। उसमें क्या होगा। ऐसे में माना जाने लगा कि वाकई आलाकमान राजस्थान में बदलाव करने जा रहा है।
अजय माकन पर इसलिए उठ रहे सवाल
राजस्थान में विधायक दल की होने वाली बैठक की गोपनीय जानकारी माकन को थी। इस बात की चर्चा है कि कहीं अजय माकन ने ही तो यह जानकारी पायलट गुट को नहीं दी। माकन ऐसा मान बैठे थे कि एक बार प्रस्ताव पारित हो गया तो विधायक नए सीएम का नाम घोषित होते ही गहलोत का साथ छोड़ देंगे। अजय माकन ने जब जयपुर छोड़ा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलना तक उचित नहीं समझा। मीडिया वालों से उन्होंने कहा कि मैं गहलोत से क्यों मिलूं। ऐसा लग रहा था जैसे प्लान असफल होने से वे गुस्से में हो।
कांग्रेस हाईकमान को नहीं दी पूरी जानकारी
माकन की भूमिका पर सवाल उठने की दूसरी बड़ी वजह यह है कि उन्होंने समय रहते दिल्ली को नहीं बताया कि विधायक चाहते क्या हैं। माकन चाहते तो कांग्रेस हाईकमान को बता देते कि बहुमत अशोक गहलोत के साथ है। लेकिन वे यही कोशिश करते रहे कि किसी तरह से एक लाइन का प्रस्ताव पारित हो और अगले दिन सीएम का नाम घोषित कर तुरंत शपथ दिलवा दी जाए। लेकिन राजस्थान के विधायकों ने उनकी एक भी चाल कामयाब नहीं होने दी और नया इतिहास रच दिया।
हाईकमान के सामने गहलोत की छवि बिगाड़ने की कोशिश
पार्टी के दिग्गज नेताओं और गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा के गहलोत के पक्ष में खड़ा होने से साफ हो गया कि गलत जानकारियों के सहारे राजस्थान को भी संकट में डालने की तैयारी थी। इससे पार्टी की छवि को बड़ा धक्का लगा। साथ ही कांग्रेस हाईकमान के सामने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि को बिगाड़ने की कोशिश के तौर पर भी देखा गया।