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रजत चौहान : मां ने जेवर व पिता ने बेची अपनी कार, फिर बेटा तीरंदाज से राजस्थान पुलिस में बना DSP

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जयपुर। रजत चौहान...। वो शख्स जो कभी हार नहीं मानता। मुश्किल से मुश्किल हालात में भी लड़ते रहना इनकी काबिलियत है। जीत के लिए इनमें गजब का जुनून है। शायद यही वजह है कि जयपुर के रजत चौहान तीरंदाजी में देश की उम्मीद हैं। एशियन गेम्स में उम्मीदों पर खरे भी उतरे हैं।

राजस्थान के 6 खिला​ड़ी बने डीएसपी

राजस्थान के 6 खिला​ड़ी बने डीएसपी

राजस्थान में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए पहली बार आउट ऑफ टर्न पॉलिसी लागू की गई है, जिसके तहत छह खिलाड़ियों को डीएसपी और 11 खिलाड़ियों को सब इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त किया गया है। रजत चौहान भी डीएसपी बने हैं।

 कौन हैं तीरंदाज रजत चौहान

कौन हैं तीरंदाज रजत चौहान

बता दें कि जयपुर के ताराचंद चौहान व निर्मला देवी के घर 30 दिसम्बर 1994 को जन्मे रजत चौहान देश के जाने-माने तीरंदाज हैं। रजत ने छोटी सी उम्र में धनुष तीर उठा लिया था। वर्ष 2008 में रजत को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में ट्रायल के लिए चुना गया। कोच कमलेश शर्मा ने रजत की प्रतिभा को निखारा और उसके बाद रतज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 पिता ने बेची कार, बेटा लाया स्वर्ण पदक

पिता ने बेची कार, बेटा लाया स्वर्ण पदक

मीडिया से बातचीत में रजत बताते हैं​ कि वो दिन भी देखे हैं जब वर्ष 2011 में बैंकॉक एशियन ग्रांपी की तैया​री कर रहा था। तब उम्र 17 साल थी। मेरा धनुष टूट गया था। मैं बहुत निराश हो चुका था। ​तीरंदाजी किट काफी महंगे आते हैं। यह बात जब पिता ताराचंद चौहान को पता चली तो उन्हें तुरंत अपनी टाटा इंडिगो कार बेच दी। ​एक समय ऐसा भी आया कि मां निर्जला को गहने भी गिरवी रखने पड़े। फिर बेटा बैंकाक में स्वर्ण जीतकर लौटा।

 तीरंदाज रजत चौहान की उपलब्धियां

तीरंदाज रजत चौहान की उपलब्धियां

रजत चौहान बताते हैं कि वर्ष 2016 से पहले मैंने एशियन गेम्स, विश्व कप, विश्व चैंपियन और एशियन ग्रां पी के मेडल शामिल थे। वर्ष 2018 में एशियन गेम्स में टीम मेडल लगाया। रजत के अनुसार राजस्थान में खिलाड़ियों के लिए आउट ऑफ टर्न सर्विस पॉलिसी बनी उसमें 2016 से पहले के मेडलिस्ट को नौकरी देने का नियम नहीं था। मैं बहुत परेशान था और कंपाउंड छोड़ रिकर्व खेलने लगा था।

कोच ने बदल दी जिंदगी

कोच ने बदल दी जिंदगी

रजत बताते हैं कि एक दिन मैं अपने नेशनल कोच जीवनजोत सिंह से मिलने पटियाला गया था। उन्होंने मुझे समझाया कि रजत कंपाउंड में भारत को तुम्हारी जरूरत है। मेरी बात मानो तुम अभी कंपाउंड खेलो। मैं पसोपेश में था। क्या करूं। फिर उन्होंने राजस्थान में मेरे कोच धनेश्वर मइदा और ​परिवारवालों पर दबाव बनाया कि रजत को कंपाउंड खेलने के लिए तैयार करो। काफी दबाव के बाद मैंने एक बार फिर कंपाउंड शुरू किया।

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English summary
Rajat Chauhan Archer Jaipur Rajasthan player Know Rajat Chauhan's Biography, Family and medals
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