धारीवाल और जोशी को अगले दो दिन में देना होगा नोटिस का जवाब, गर्मा सकती है राजस्थान की सियासत
जयपुर, 4 अक्टूबर। राजस्थान में विधायकों के इस्तीफे सियासी घटनाक्रम के बाद माहौल शांत हो गया है। लेकिन अगले तीन दिन में प्रदेश की सियासत गरमाने के पूरे आसार हैं। कांग्रेस के दो मंत्रियों समेत जिन तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के नोटिस मिले थे। उनके जवाब देने की मियाद पूरी होने वाली है। इन नेताओं को 6 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करना है। ऐसे में जवाब देने के बाद पार्टी इन नेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। इसका सीधा असर राजस्थान की राजनीति पर दिखेगा।
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विधायक दल की बैठक का विधायकों ने किया था बहिष्कार
राजस्थान में 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। गहलोत समर्थक विधायकों ने बैठक का बहिष्कार किया था। विधायकों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि विधायक दल की बैठक के जरिए राजस्थान में किसी बड़े उलटफेर की आशंका है। इसके बाद जयपुर से दिल्ली लौटे पर्यवेक्षकों ने सोनिया गांधी को लिखित में अपनी रिपोर्ट दी थी। अजय माकन ने विधायक दल की बैठक के बहिष्कार को घोर अनुशासनहीनता करार दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। पार्टी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना प्रत्याशी बनाया। अशोक गहलोत खड़गे के नामांकन के दौरान दिल्ली में मौजूद रहे। राजस्थान में फिलहाल स्थितियां सामान्य है।
धारीवाल, जोशी और राठौड़ को मिला था नोटिस
राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद 27 सितंबर को मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनहीनता का नोटिस जारी किया गया। इसमें धारीवाल पर अपने आवास पर विधायक दल की बैठक के पैरेलल बैठक आयोजित करने। जोशी पर मुख्य सचेतक होते हुए विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने और धर्मेंद्र राठौड़ पर समानांतर बैठक की व्यवस्थाएं करने का आरोप लगाया था। इन नेताओं को 10 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया गया था। अब 6 अक्टूबर तक तीनों नेताओं को नोटिस का जवाब देना है। इस जवाब के आधार पर ही इन नेताओं का भविष्य तय होगा। माना जा रहा है कि पार्टी अगर इन पर कठोर कार्रवाई करती है तो दोनों मंत्रियों के पद जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह अशोक गहलोत पर सीधा हमला होगा।