MP चुनाव: गुरु को ‘शिव’ ‘नाथ’ के रोड-शो का महूर्त, महापौर-पार्षद प्रत्याशियों के पक्ष में होगा शक्ति-प्रदर्शन
प्रदेश में नगर-सत्ता के संग्राम का प्रचार-प्रसार जोरों पर हैं। बीजेपी कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेता जनता को लुभाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना नहीं चाहते। संस्कारधानी जबलपुर में 6 जुलाई को वोट डाले जाएंगे।
जबलपुर, 29 जून: मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव प्रचार अब चरम पर पहुँचता जा रहा है। ख़ासतौर पर भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के लिए प्रदेश के 16 नगर-निगम में चुनाव जीतना साख का सवाल है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ गुरूवार को जबलपुर पहुंचेगे। वे यहाँ अपनी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में रोड-शो और सभाएं करेंगे। अपने दिग्गजों के आगमन को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के समर्थक उत्साह से लबरेज है।
प्रदेश में नगर-सत्ता के संग्राम का प्रचार-प्रसार जोरों पर हैं। बीजेपी कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेता जनता को लुभाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना नहीं चाहते। संस्कारधानी जबलपुर में 6 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। उससे पहले राजनीतिक दल प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा रहे है। बीजेपी के पक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जबलपुर पहुंचेगे, तो वही कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रचार के जरिए जनता से अपने प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील करते नजर आएंगे। जबलपुर में गुरूवार को दोनों ही नेताओं के रोड शो का भी प्रोग्राम है।
इस
बार
कांटे
का
मुकाबला
बीजेपी
की
ओर
से
महापौर
प्रत्याशी
डॉ.
जितेन्द्र
जामदार
और
कांग्रेस
से
महापौर
प्रत्याशी
जगत
बहादुर
अन्नू
है।
दोनों
के
लिए
यह
चुनाव
प्रतिष्ठा
का
है।
पेशे
से
डॉक्टर
जितेन्द्र
जामदार
के
सामने
यह
मुकाबला
इसलिए
भी
बड़ी
चुनौती
है
क्योकि
कई
दावेदारों
की
लंबी
फेहरिस्त
में
से
उनके
नाम
पर
पार्टी
ने
मुहर
लगाई।
इधर
कांग्रेस
से
जगत
बहादुर
अन्नू
नगर
अध्यक्ष
होने
के
साथ
उन
पर
पूर्व
मुख्यमंत्री
कमलनाथ
के
ख़ास
शहर
के
दो
विधायकों
का
ठप्पा
लगा
है।
ऐसे
में
दोनों
ही
उम्मीदवार
चुनाव
जीतने
कोई
कसर
बाकी
नहीं
छोड़ना
चाहते।
बागियों
से
सबसे
ज्यादा
खतरा
भाजपा
हो
या
फिर
कांग्रेस
दोनों
ही
दलों
द्वारा
पार्षद
प्रत्याशियों
का
इस
बार
का
टिकट
वितरण
कई
जगहों
पर
गले
की
फांस
बन
गया
है।
जबलपुर
में
जिन
वार्ड
में
प्रभावशाली
दावेदारों
को
उनकी
पार्टी
ने
काबिल
नहीं
समझा,
उन्होंने
या
तो
निर्दलीय
उम्मीदवारी
की
है
या
फिर
घर
बैठे
बगावती
चाल
चल
रहे
है।
इससे
होने
वाले
वोटों
के
नुकसान
का
असर
महपौर
प्रत्याशियों
की
झोली
में
गिरने
वाले
वोटों
पर
भी
पड़
सकता
है।
हाल
फिलहाल
सियासी
दल
चाहे
कुछ
भी
कहे,
लेकिन
बागियों
से
ही
उन्हें
सबसे
ज्यादा
खतरा
है।
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