यमन संकट: अदन में सरकारी इमारतों पर अलगाववादियों का कब्जा
यमन में पिछले दिनों तक सरकार के समर्थक रहे अलगाववादियों के साथ संघर्ष शुरू.
दक्षिणी यमन के अदन शहर में अलगाववादियों ने सरकारी इमारतों पर कब्ज़ा कर लिया है. यहां राष्ट्रपति अब्दरब्बुह मंसूर हादी की सेनाओं और अलगावादियों के बीच संघर्ष चल रहा है.
प्रधानमंत्री अहमद बिन दाग़ेर ने अलगाववादियों पर तख़्तापलत के हालात पैदा करने का आरोप लगाया है.
अभी तक इस संघर्ष में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लोग ज़ख़्मी हुए हैं.
यमन की सरकार ने अभी अदन में अपना अस्थायी ठिकाना बनाया हुआ है क्योंकि राजधानी सना हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है.
अभी दोनों पक्षों ने अपनी सेनाओं को रुकने के लिए कहा है. सरकारी बलों ने यमन के पड़ोसी अरब देशों से हस्तक्षेप करके मामले को सुलझाने की अपील की है.
पहले से ही विकट हालात से जूझ रहे यमन में लाखों लोगों को मदद की ज़रूरत है, मगर ताज़ा संघर्ष के बाद स्थिति और ख़राब हो गई है.
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क्या हो रहा है अदन में?
1990 में दक्षिणी और उत्तरी यमन को मिलाकर मौजूदा यमन का गठन किया गया था, मगर अभी भी दक्षिण यमन में अलगाववादी भावना शांत नहीं हुई है.
अलगाववादी अभी तक तो हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सरकार का समर्थन करते रहे थे, मगर कुछ सप्ताह पहले उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार और भेदभाव का आरोप लगाया था, जिससे तनाव बढ़ गया था.
अलगाववादियों ने प्रधानमंत्री दाग़ेर को हटाने के लिए राष्ट्रपति हादी को कुछ दिनों की मोहलत दी थी, जिसके ख़त्म होने के बाद रविवार को लड़ाई शुरू हो गई.
दक्षिणी अलगाववादियों को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का समर्थन हासिल है, जो हूती विद्रोहियों के खिलाफ़ लड़ रहे सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल है.
प्रधानमंत्री दाग़ेर ने यूएई से तुरंत शांति के लिए क़दम उठाने के लिए कहा है और चेताया है कि इस संघर्ष से हूती विद्रोहियों को फ़ायदा पहुंचेगा.
सऊदी अरब में रह रहे राष्ट्रपति हादी ने संघर्षविराम की अपील की है और जिसके बाद उनकी सरकार ने अपने समर्थक बलों को वापस लौटने का आदेश दिया है.
रिपोर्टें बताती हैं कि जिस समय अदन में यह संघर्ष शुरू हुआ, वहां मौजूद सऊदी और यूएई की सेनाओं ने उसमें हस्तक्षेप नहीं किया.
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बाकी देश में क्या हालात हैं?
सना के साथ-साथ उत्तर और पश्चिम के इलाकों पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है. उन्होंने 2014 में राजधानी पर कब्ज़ा किया था, जिसके बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सरकार के समर्थन में दख़ल दिया था.
कई सालों से चल रहे संघर्ष और गठबंधन द्वारा की गई नाकेबंदी के कारण यमन में पैदा हुए हालात को संयुक्त राष्ट्र ने "मौजूदा दौर का सबसे ख़राब मानव जनित संकट" करार दिया है.
यमन की तीन चौथाई जनता को मदद की ज़रूरत है और इनमें से कई लोग तो अनाज की कमी के कारण भुखमरी की कगार पर हैं.