बाल्टिक सागर में 40 मीटर नीचे दुनिया की सबसे लंबी टनल, 13000 हाथियों के लोड सहन करने की क्षमता
नई दिल्ली, 20 सितंबर। डेनमार्क और जर्मनी के बीच फेहमर्न बेल्ट सुरंग की लंबाई 18 किलोमीटर होगी। ये सुरंग जर्मनी के फेहमर्न द्वीप को डेनमार्क के लोलांड द्वीप से जोड़ेगी। इसके लिए एक भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। इस सुरंग के लिए डेनिश कंपनी ने 2016 की कीमतों के आधार पर करीब 7.1 अरब यूरो यानी 8.3 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। साल 2015 में टनल को प्रोजेक्ट को डेनमार्क सरकार ने अनुमति दी थी।
बाल्टिक सागर में 40 मीटर नीचे सुरंग
फेहमर्न बेल्ट सुरंग यूरोप के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के रुप में देखा जा रहा है। ये दुनिया की सबसे लंबी समु्द्र में डूबी हुई सुरंग होगी। जो डेनमार्क और जर्मनी की बीच की दूरियां काम करेगी। शुरूआत में इस प्रोजेक्ट को लेकर डेनमार्क में आपत्तियां भी आईं। जिसके सामाधान के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो पाया।
2020 में शुरू हुआ निर्माण
फेहमर्न बेल्ट सुरंग के निर्माण से पहले इस प्रोजेक्ट की योजना तैयार करने में करीब 10 साल लगे थे। दरअसल, ये परियोजना 2008 की है, जब जर्मनी और डेनमार्क ने सुरंग बनाने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। बाल्टिक सागर में साल 2020 में इस टनल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया। अब डेनमार्क में एक अस्थायी बंदरगाह पूरा हो चुका है।
टनल के निर्माण खर्च होगा भारी बजट
सुरंग 11.1 मील यानी 18 किलोमीटर लंबी होगी। ये यूरोप की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है, जिसके निर्माण में 7 अरब यूरो यानी 7.1 अरब डॉलर से अधिक का बजट खर्च होने वाला है। अगर अन्य टनल की तुलना की जाए तो इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ने वाली 50 किलोमीटर चैनल टनल 1993 में पूरी हुई थी। जिसमें 13.6 मिलियन डालर खर्च किए गए थे। हालांकि ये चैनल फेहमर्नबेल्ट टनल से अधिक लंबा है। लेकिन फेहमर्नबेल्ट टनल समुद्र में बनने से लागत अधिक आ रही है।
जर्मनी- डेनमार्क दूरियां होंगी कम
यह फेहमर्न बेल्ट जर्मन द्वीप फेहमर्न और डेनिश द्वीप लोलैंड के बीच दूरी कम हो जाएगी। टनल से होकर ट्रेन और रोड से कम समय में सफर किया जा सकेगा। टनल से होकर मालवाहक ट्रक और ट्रेनें गुजरेंगे। इससे दोनों देशों के व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
टनल में रेल और रोड दोनों शामिल
फेहमर्न टनल अत्याधुनिक सुरंगों में एक है। ये दुनिया की सबसे लंबी संयुक्त सड़क और रेल मार्ग वाली सुरंग होगी। इसमें डबल लेन मोटरवे और दो इलेक्ट्रिक रेलवे ट्रैक शामिल होंगे। ये ट्रैक स्वीडन और मध्य यूरोप के बीच 160 किलोमीटर दूरी कम करेगा। निश निर्माण कंपनी फेमर्न ए / एस के सीईओ हेनरिक विन्सेन्ट्सन के अनुसार, साल 2024 की शुरुआत तक टनल की पहली लेन पूरी करने की पूरी तैयारी है। उन्होंने कहा है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत तक टनल की ठक लेन तैयार हो जाएगी।
कई खंडों में निर्माण
इस परियोजना को कई चरणों में क्रियान्वित किया जा रहा है। अब डेनिश साइट पर सुरंग खंडों का निर्माण करेगा। प्रत्येक खंड 217 मीटर लंबा होगा। फेहमर्नबेल्ट सुरंग के हिस्से में निश और जर्मन पक्षों पर नए प्राकृतिक क्षेत्र और पत्थर की चट्टानें बनाई जाएंगी। इस टनल को लेकर डेनमार्क के सबसे बड़े व्यापारिक संगठनों में से एक कन्फेडरेशन ऑफ डेनिश इंडस्ट्री के माइकल स्वेन का मानना है कि सुरंग डेनमार्क से परे व्यवसायों के लिए फायदेमंद होगी।
73,000 मीट्रिक टन का भार सहन करेगी टनल
13,000 से अधिक हाथियों के जितना भारी वजन सहन करने की क्षमता टनल की है। प्रोजेक्ट के अधिकारिओं के अनुसार, ये टनल 6 लेन की होगी। पहली लेन 95% तक पूरी कर ली गई है। इसे बनाने के लिए 2,500 लोग निर्माण परियोजना पर सीधे लगाए जाने की योजना है। हालांकि ये स्टील और अन्य कच्चे माल की कीमत में वृद्धि हुई है। लेकिन प्रोजेक्ट के कार्य की गति प्रभावित नहीं हुई।
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