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समलैंगिक पैरेंट्स की संतान ऐसी पीएम जो बिना शादी किए मां बनी, अब नाश्ते के खर्च पर विवाद

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31 मई, हेल्सिंकी। एक प्रधानमंत्री ने परिवार के साथ सरकारी पैसे से नाश्ता-भोजन क्या किया, बबाल मच गया। विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर पद के दुरुपयोग क आरोप लगाया है। अब इस मामले की जांच का एलान भी हो चुका है। ये दुनिया की असाधारण प्रधानमंत्री हैं। डेढ़ साल पहले इन्होंने तब सुर्खियां बटोरी थीं जब वे विश्व की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनी थीं। इनका बचपन बहुत ही तनाव और दबाव में गुजरा।

world investigation of finland prime minister sanna marin had breakfast with family on government money

एक समलौंगिक अभिभावक की संतान होने के कारण इन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा। गरीबी की वजह से 15 साल की उम्र में बेकरी में नौकरी की। घर- घर जा कर पत्रिकाएं बांटी। लेकिन दुख और तिरस्कार से वे टूटी नहीं। बल्कि उनके मन में कुछ करने की जिद पैदा हो गयी। वे राजनीति में आयीं और फिर छा गयीं। 34 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन गयीं। जाहिर है पार्टी और जनता का उन्हें समर्थन प्राप्त था। लेकिन इतनी शोहरत बटोरनी वाली प्रधानमंत्री का फिजुलखर्ची के विवाद में आना, हैरान करने वाला है। इनका नाम है सना मारिन जो फिनलैंड की प्रधानमंत्री हैं।

सना मारिन की मां समलैंगिक हैं

सना मारिन की मां समलैंगिक हैं

उत्तरी यूरोप में स्वीडन और नार्वे की सीमा से लगा एक छोटा सा देश है फिनलैंड। इस देश की आबादी केवल 56 लाख है। इसे दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में एक माना जाता है। सना मारिन फिन लैंड की प्रधानमंत्री हैं। 2019 में जब वे प्रधानमंत्री बनीं थीं तब उनकी उम्र सिर्फ 34 साल थी। लेकिन इस पद पर पहुंचने से पहले उन्होंने बहुत तकलीफें झेलनी पड़ी थीं। सना मारिन जब बहुत छोटीं थीं तब उनके माता-पिता में तलाक हो गया। मारिन के पिता को शराब की बुरी लत थी। वे नशे में डूबे रहते। इसकी वजह से उनकी मां ने लग होने का फैसला कर लिया था। लेकिन इसके बाद सना की मां की जिंदगी में एक औरत आ गयीं। उन्होंने समलौंगिक रिश्ता को अपना लिया। इस तरह सना मारिन की जिंदगी में दो मां आ गयीं। समलौंगिक अभिभावक की संतान होने से सना की मानसिक परेशानी बढ़ने लगी।

हालात से लड़ने की हिम्मत

हालात से लड़ने की हिम्मत

आधुनिक और प्रगतिशील देश होने के बाबजूद फिनलैंड में समसैंगिता को बहुत खराब माना जाता था। 2015 में जब वे पहली सांसद बनी थीं तब उन्होंने एक इंटव्यू में कहा था, "जब मैं छोटी थी तब अपने परिवार के बारे में बिल्कुल बात नहीं कर पाती थी। लोग मेरे परिवार (मां का एक महिला से संबंध होना) को अस्वभाविक समझते थे। समाज में समलैंगिकता को कलंक या धब्बा की तरह माना जाता था। मैं चुप रहना ही बेहतर समझती। लेकिन इस अपमान ने मुझे एक मजबूती भी मिला। मैंने कुछ करने के लिए ठाना और राजनीति में आ गयी।" प्रधानमंत्री बनने के बाद भी सना अपने परिवार को 'रेनबो फैमिली' कहने में गुरेज नहीं करती। रेनबो फैमिली का मतलब है वैसे अभिभावकों का परिवार जो लेस्बियन हों, गे हों या फिर ट्रांसजेंडर हों।

बिना शादी किये मां बनी

बिना शादी किये मां बनी

पढ़ाई के दौरान ही सना मारिन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा शाखा से जुड़ गयीं। सिटी काउंसिल के चुनाव से उनकी राजनीति की शुरुआत हुई। 2015 में वे पहली बार सांसद चुनी गयीं। 2019 में वे फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनकी जिंदगी में कई अनोखी बातें हैं। सना मारिन जब 18 साल की थीं तब उनकी मुलाकात मार्कस राइकोनेन से हुई थी। उनकी दोस्ती बाद में रिलेशनशिप में बदल गयी। सना और मार्कस ने शादी नहीं की थी फिर भी उन्हें 2018 में एक बेटी पैदा हुई। सना मारिन बिना शादी किये मां बनी थीं लेकिन इसके बाद भी उनके राजनीतिक जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने पार्टनर मार्कस से शादी की। प्रधानमंत्री के पद पर रहने के बाद भी उन्होंने एक बोल्ड फोटोशूट कराया था। अक्टूबर 2020 में फैशन मैगजीन ट्रेंडी में उनकी एक तस्वीर छपी थी। इस तस्वीर में उन्होंने डीप नेकलाइन ब्लेजर के नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था।

दिसम्बर 2019 में बनी प्रधानमंत्री

दिसम्बर 2019 में बनी प्रधानमंत्री

नवम्बर 2019 में फिनलैंड में बहुत बड़ी डाक हड़ताल हुई थी। उस समय गठबंधन की सरकार थी और एंट्टी रिने प्रधानमंत्री थे। सना मारिन इस सरकार में परिवहन मंत्री थीं। एंट्टी रिने हड़ताल की समस्या से निबटने में नाकाम रहे। उन्होंने सहयोगी सेंटर पार्टी का विश्वास खो दिया। दिसम्बर 2019 में एंट्टी रिने ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सना मारिन प्रधानमंत्री बनीं। 2020 में जब कोरोना महामारी फैल रही थी तब सना मारिन ने कठोर रक्षात्मक उपायों को लागू कर फिनलैंड को तबाही से बचाया था। इस महामारी से निबटने में उनकी सक्रियता की खूब सराहना हुई थी। जनता के बीच उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी थी। लेकिन अब ब्रेकफास्ट बिल विवाद ने उन्हें विपक्षी दलों के निशाने पर ला दिया है।

नाश्ता-भोजन खर्च को लेकर विवाद

नाश्ता-भोजन खर्च को लेकर विवाद

25 मई को फिनलैंड के अखबार 'इल्टलेहटी' ने एक खबर प्रकाशित की थी कि प्रधानमंत्री के सरकारी निवास पर जो खाने-पीने के लिए वस्तुएं आती हैं उसके लिए वे बिल भर कर सरकारी खजाने से पैसा लेती हैं। जब कि राष्ट्रपति साउली निनिस्टो खाने-पीने के सामान का अपने वेतन से भुगतान करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सना मारिन प्रधानमंत्री निवासस्थान में रहने के दौरान सपरिवार नास्ते-भोजन के लिए हर महीने 300 यूरो (करीब 26 हजार 508 रुपये) का भुगतान ले रहीं थीं। कहा जा रहा है कि फिनलैंड में प्रधानमंत्री को टैक्सफ्री रिहायशी सुविधाएं हासिल हैं लेकिन उनमें खान-पान की सुविधा शामिल नहीं है। खुद राष्ट्रपति साउली निनिस्टो भोजन सामग्री खरीदने के लिए सरकारी पैसे का उपयोग नहीं करते। जब कि सना मारिन का कहना है, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। पहले के प्रधानमंत्री भी ये सुविधा लेते रहे हैं। मैं इस मामले की जांच के लिए तैयार हूं। मैंने खुद ये चीजें नहीं खरीदी हैं। इसकी खरीदारी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से की गयी है।" फिनलैंड एक ऐसा देश है जहां राजनीतिज्ञों को हर सार्वजनिक बात के लिए जवाबदेह बनाया गया है।

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world investigation of finland prime minister sanna marin had breakfast with family on government money
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